पाकिस्तान के कई राज्य इस वक्त बाढ़ की चपेट में हैं, जिसमें पंजाब और सिंधु प्रांत का हाल बुरा है. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने बाढ़ की इस आपदा को 'अल्लाह की नेमत' और 'ब्लेसिंग' बताया है. उन्होंने कहा है कि जो लोग पानी के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, उन्हें अब बाढ़ के पानी को टब, बाल्टी और दूसरी चीजों में जमा करके रख लेना चाहिए.
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पाकिस्तान के रक्षा मंत्री खवाजा आसिफ ने बाढ़ की इस विनाशकारी स्थिति को अल्लाह की ब्लेसिंग बताया (Photo: Reuters)
दक्षिण एशिया में इस समय बाढ़ की स्थिति बेहद गंभीर है. भारत के कई राज्य—खासकर पंजाब—इस आपदा की चपेट में हैं, वहीं पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांत की हालत भी खराब है. लेकिन पाकिस्तान के नेताओं के बयानों ने इस त्रासदी को और विवादास्पद बना दिया है.
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने बाढ़ की इस विनाशकारी स्थिति को “अल्लाह की नेमत” और “ब्लेसिंग” बताकर एक तरह से मजाक बना दिया. उनका यह बयान पूरी तरह से वास्तविकता से कटकर और आम जनता के दर्द से असंवेदनशील प्रतीत होता है. उन्होंने यह तक कह दिया कि जो लोग कल तक पानी की कमी और जलभराव के लिए विरोध कर रहे थे, वे अब अपने घरों में टब, बाल्टी या किसी अन्य कंटेनर में पानी जमा कर लें. उनके अनुसार, यह पानी भविष्य के लिए एक संसाधन और उपयोग का अवसर है, जबकि वास्तव में यह लाखों लोगों के जीवन, घर और फसलों के लिए खतरा बन चुका है.
पाकिस्तान के डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के अनुसार, दक्षिण एशिया में भारी बारिश के कारण रावी, चिनाब और सतलज नदियों का जलस्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के करीब 2,00,000 लोग सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किए जा चुके हैं. यह बाढ़ पाकिस्तान के इतिहास की सबसे भयानक बाढ़ों में से एक बताई जा रही है.
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वहीं, पाकिस्तान के कुछ मंत्री भारत को जिम्मेदार ठहराने लगे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि भारत ने अपने बांधों में पानी रोककर और नियंत्रित मात्रा में छोड़ा, जिससे पाकिस्तान में बाढ़ आई. इस तरह के बयान न केवल राजनीतिक रूप से विवादास्पद हैं, बल्कि दोनों देशों के बीच जलस्रोत प्रबंधन और समझौते—जैसे इंडस वाटर ट्रीटी—की गंभीरता को भी कमजोर करते हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत और पाकिस्तान आपसी सहयोग और इंसानियत के दृष्टिकोण से बाढ़ प्रबंधन करते, तो इस तबाही की मार कम की जा सकती थी. पानी का सही नियोजन और बांधों का संतुलित संचालन आपदा को कम करने में सहायक हो सकता था.
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