'स्थायी युद्धविराम करें, संवाद से सुलझाएं मतभेद', PAK और अफगानिस्तान से बोला चीन

22 hours ago 1

चीन ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच 48 घंटे के संघर्षविराम का स्वागत करते हुए दोनों देशों से स्थायी शांति समझौते की दिशा में आगे बढ़ने की अपील की है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि संघर्षविराम दोनों देशों और पूरे क्षेत्र के हित में है. उन्होंने पाकिस्तान और अफगानिस्तान से संयम बरतने और संवाद के ज़रिए मतभेद सुलझाने की अपील की, ताकि दक्षिण एशिया में स्थिरता बनी रहे.

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PAK और अफगानिस्तान के बीच फिलहाल 48 घंटे का सीजफायर लागू है (Photo: AFP)

चीन ने पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच 48 घंटे के युद्धविराम का स्वागत किया और दोनों देशों से अपील की कि वे स्थायी और व्यापक शांति समझौते की दिशा में कदम बढ़ाएं. 

चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि हमने नोट किया है कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान ने अस्थायी संघर्षविराम लागू करने और संवाद के ज़रिए समाधान खोजने का फैसला किया है. यह दोनों पक्षों के साझा हित में है. साथ ही क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने में मदद करेगा. चीन इस पहल का स्वागत करता है और इसका समर्थन करता है.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, लिन जियान ने कहा कि चीन दोनों देशों से अपील करता है कि वे शांत दिमाग से काम लें, संयम बरतें और स्थायी संघर्षविराम की दिशा में आगे बढ़ें. उन्होंने कहा कि मतभेदों को बातचीत और परामर्श के ज़रिए सुलझाया जाना चाहिए, ताकि क्षेत्र में दीर्घकालिक स्थिरता बनी रहे. 

उन्होंने आगे कहा कि चीन चाहता है कि दोनों देश राजनीतिक समाधान की राह पर लौटें, जिससे पाकिस्तान, अफगानिस्तान और पूरे क्षेत्र में शांति कायम हो सके. चीन इस दिशा में रचनात्मक भूमिका निभाने के लिए प्रतिबद्ध है.

बता दें कि चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच एक त्रिपक्षीय वार्ता तंत्र (tripartite mechanism) सक्रिय है, जिसके तहत तीनों देश समय-समय पर बैठकें करते हैं, ताकि आपसी मतभेद दूर किए जा सकें.

हालांकि पाकिस्तान लगातार आरोप लगाता रहा है कि अफगानिस्तान उसकी ज़मीन पर सक्रिय तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) और बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) जैसे आतंकी समूहों को पनाह देता है. लेकिन अफगान तालिबान ने इन आरोपों को सख्ती से खारिज किया है और उलटे पाकिस्तान की आक्रामक सैन्य कार्रवाइयों को संघर्ष बढ़ने का कारण बताया है, जिनमें काबुल पर हवाई हमले भी शामिल हैं.

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