सोचिए, कोई बिना काम किए 16 साल तक 11 करोड़ रुपए से ज्यादा कमा ले और फिर भी नौकरी बनी रहे. सुनने में यह अजीब लगता है, लेकिन जर्मनी में ऐसा हुआ है. यह मामला अब सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है.
जर्मनी के नॉर्थ राइन-वेस्टफेलिया राज्य की एक महिला शिक्षिका 2009 से अब तक यानी पूरे 16 साल से बीमार छुट्टी (सिक लीव) पर है. इस दौरान उन्होंने एक दिन भी कॉलेज में ड्यूटी नहीं की, लेकिन हर महीने पूरी सैलरी लेती रहीं.
16 साल में कमाए 11 करोड़ रुपए से ज्यादा
जर्मन अखबार डी वेल्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, वहां के शिक्षकों को हर महीने करीब 6,174 यूरो (करीब 6.3 लाख रुपए) सैलरी मिलती है. सालाना आय लगभग 72,000 यूरो (74 लाख रुपए) होती है.यानी 16 साल में यह रकम 1 मिलियन यूरो (करीब 11.6 करोड़ रुपए) से ज्यादा हो गई.
स्कूल ने मांगा मेडिकल टेस्ट
हाल ही में स्कूल में नई लीडरशिप आने पर आंतरिक जांच हुई. तब पता चला कि महिला हर महीने मेडिकल सर्टिफिकेट देती रही थीं, लेकिन कभी किसी आधिकारिक मेडिकल एग्जामिनर ने उनकी बीमारी की जांच नहीं की.जब स्कूल ने मेडिकल टेस्ट कराने को कहा, तो महिला ने इनकार कर दिया और उल्टा अपने नियोक्ता पर मुकदमा कर दिया.
कोर्ट ने क्या कहा
जर्मन अदालत ने महिला की याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह स्थिति वास्तव में समझ से परे है.अदालत ने साफ कर दिया कि नियोक्ता को बीमारी का सबूत मांगने का पूरा अधिकार है. साथ ही महिला को 2,500 यूरो (करीब 2.9 लाख रुपए) कानूनी खर्च भरने का आदेश भी दिया गया.
टीचर ने शुरू कर दिया स्टार्टअप
मामला इसलिए और विवादों में है क्योंकि खबरें हैं कि इस लंबे अवकाश के दौरान महिला ने एक मेडिकल स्टार्टअप भी शुरू किया था. अगर यह साबित होता है, तो यह नियमों का गंभीर उल्लंघन होगा और उन्हें अपनी नौकरी, वेतन और पेंशन लाभ से हाथ धोना पड़ सकता है.
विशेषज्ञ की राय
कानूनी विशेषज्ञ राल्फ डेलगमैन का कहना है कि अब सब कुछ मेडिकल टेस्ट के नतीजों पर निर्भर करेगा. हालांकि उनका मानना है कि शिक्षिका को पिछले 16 साल की सैलरी वापस करने की नौबत शायद नहीं आएगी, क्योंकि यह साबित करना लगभग असंभव होगा कि वह इस पूरे समय बीमार नहीं थीं.
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