अमेरिका में परमाणु मिसाइल की टेस्टिंग की तैयारी तेज, ट्रंप के बयान के बाद सेना ने दिया अपडेट

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया परमाणु हथियारों पर बयान ने दुनिया को हिला दिया है. 30 अक्टूबर 2025 को ट्रंप ने सेना को 33 साल बाद परमाणु परीक्षण फिर शुरू करने का आदेश दिया. इसके ठीक बाद, अमेरिकी वायुसेना का ग्लोबल स्ट्राइक कमांड ने मिनटमैन-3 आईसीबीएम मिसाइल लॉन्च की तैयारी शुरू कर दी.

यह परीक्षण 5 या 6 नवंबर 2025 को कैलिफोर्निया के वांडेनबर्ग स्पेस फोर्स बेस से होगा. मिसाइल बिना हथियार के होगी. मार्शल द्वीपसमूह के क्वाजलीन एटोल पर रोनाल्ड रीगन बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस टेस्ट साइट को निशाना बनाएगी. यह रूटीन टेस्ट है, जो मिसाइल की विश्वसनीयता और तत्परता जांचेगा. 

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ट्रंप का बयान: क्यों फिर परीक्षण?

ट्रंप ने कहा कि रूस, चीन और पाकिस्तान जैसे देश परमाणु परीक्षण कर रहे हैं, इसलिए अमेरिका को पीछे नहीं रहना चाहिए. उन्होंने पेंटागन को तुरंत परीक्षण शुरू करने को कहा. लेकिन ऊर्जा विभाग ने स्पष्ट किया कि अभी विस्फोट वाले परीक्षण नहीं होंगे.

यह आदेश व्यापक नीति का हिस्सा है, जो कॉम्प्रिहेंसिव न्यूक्लियर-टेस्ट-बैन ट्रीटी (CTBT) के तहत आता है. CTBT सभी परमाणु परीक्षण रोकने का अंतरराष्ट्रीय समझौता है, लेकिन अमेरिका ने इसे पूरी तरह लागू नहीं किया. ट्रंप का यह बयान कोल्ड वॉर की याद दिलाता है, जब अमेरिका और सोवियत संघ हथियारों की होड़ में थे.

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विशेषज्ञ कहते हैं कि ट्रंप का मकसद राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत करना है. अमेरिका के पास दुनिया के सबसे ज्यादा परमाणु हथियार हैं, लेकिन सिमुलेशन से उनकी जांच हो रही है. ट्रंप चाहते हैं कि वास्तविक परीक्षण से तकनीक अपडेट हो. लेकिन आलोचक चिंतित हैं- यह हथियारों की होड़ बढ़ा सकता है और शांति को खतरा पैदा कर सकता है. 

Minuteman III ICBM Test Trumps Nuclear Directive

मिनटमैन-3: अमेरिका की परमाणु ताकत का प्रतीक

मिनटमैन-3 एक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) है. यह जमीन से लॉन्च होती है. 13,000 किलोमीटर दूर निशाना साध सकती है. इसमें परमाणु वारहेड लग सकता है, लेकिन इस टेस्ट में बिना हथियार के होगी. यह अमेरिका की लैंड-बेस्ड न्यूक्लियर डिटरेंट (रोकथाम) का मुख्य हिस्सा है.

परीक्षण कैलिफोर्निया के वांडेनबर्ग बेस से होगा. मिसाइल प्रशांत महासागर पार करके मार्शल द्वीपसमूह पहुंचेगी—करीब 7000 किलोमीटर दूर. वहां रोनाल्ड रीगन टेस्ट साइट पर डमी टारगेट को हिट करेगी. यह टेस्ट मिसाइल की सटीकता, गति और सिस्टम की जांच करेगा. USAF कहता है कि यह रूटीन है- हर तिमाही एक बार होता है. मई 2025 में भी ऐसा ही टेस्ट हुआ था.

दुर्लभ है सबमरीन से लॉन्च: अमेरिका के 70% परमाणु हथियार पनडुब्बियों पर हैं. वहां से बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्च कम होते हैं, क्योंकि गोपनीयता ज्यादा रहती है. 

Minuteman III ICBM Test Trumps Nuclear Directive

परीक्षण का उद्देश्य: सुरक्षा, न कि हमला

USAF का ग्लोबल स्ट्राइक कमांड परमाणु बमवर्षकों, मिसाइलों और पनडुब्बियों का प्रबंधन करता है. यह टेस्ट CTBT के तहत वैध है, क्योंकि कोई विस्फोट नहीं. इसका मकसद मिसाइल की रेडीनेस साबित करना है. अगर दुश्मन हमला करे, तो अमेरिका तुरंत जवाब दे सके.

ट्रंप के आदेश के बाद यह टेस्ट समय पर लग रहा है. लेकिन USAF ने जोर दिया- यह ट्रंप के बयान से सीधा जुड़ा नहीं, बल्कि लंबे समय की नीति है. फिर भी, दुनिया की नजरें इस पर हैं. रूस और चीन ने अमेरिका के कदम पर चेतावनी दी है. संयुक्त राष्ट्र कहता है, ऐसे परीक्षण तनाव बढ़ाते हैं.

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इतिहास: 1992 के बाद पहली बार?

अमेरिका ने आखिरी विस्फोट वाला परमाणु परीक्षण 1992 में किया था. उसके बाद मोरेटोरियम (रोक) लग गया. अब ट्रंप नॉन-एक्सप्लोसिव टेस्ट बढ़ाना चाहते हैं. मिनटमैन-3 को 1970 से इस्तेमाल हो रहा है. यह 400 से ज्यादा सक्रिय हैं, जो मोंटाना, वायोमिंग और नॉर्थ डकोटा में तैनात हैं.

पिछले टेस्ट सफल रहे. मई वाला टेस्ट भी बिना समस्या के पूरा हुआ. लेकिन कभी-कभी देरी होती है, जैसे मौसम या तकनीकी खराबी से.

दुनिया पर असर: शांति या खतरा?

यह टेस्ट अमेरिका की ताकत दिखाएगा, लेकिन वैश्विक शांति के लिए चिंता है. ट्रंप का बयान रूस-चीन को उकसा सकता है. वेनेजुएला जैसे देश भी परमाणु मुद्दों पर सतर्क हैं. शांति संगठन कहते हैं, CTBT को पूरी तरह लागू करें. अमेरिका अगर परीक्षण बढ़ाएगा, तो नया हथियारों का दौर शुरू हो सकता है. वैज्ञानिकों का मानना है, सिमुलेशन से ही हथियार मजबूत रखे जा सकते हैं. लेकिन ट्रंप की नीति 'पीस थ्रू स्ट्रेंथ' (ताकत से शांति) पर टिकी है.

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