ईरान के न्यूक्लियर सपने पर बड़ा प्रहार, नतांज पर इजरायली अटैक में परमाणु प्लांट के 15000 सेंट्रीफ्यूज डैमेज

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ईरान के सबसे बड़े परमाणु सयंत्र नतांज पर हुए इजरायली हमले में भारी नुकसान हुआ है. इस हमले में नतांज में मौजूद लगभग 15000 सेंट्रीफ्यूज नष्ट हो गए हैं. अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के चीफ राफेल ग्रॉसी ने बीबीसी से कहा है कि शुक्रवार को इजरायली हमलों के बाद ईरान के नतांज स्थित अंडरग्राउंड यूरेनियम एनरिचमेंट प्लांट में सेंट्रीफ्यूज संभवतः बुरी तरह से टूट गए हैं. 

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के चीफ राफेल ग्रॉसी ने कहा कि सेंट्रीफ्यूज को ये नुकसान इस न्यूक्लियर साइट पर इजरायली हमले के बाद बिजली की सप्लाई बंद हो जाने की वजह से हुई है. उन्होंने कहा कि इजरायली हमले में नंताज परमाणु साइट पर जमीन के ऊपर मौजूद एक प्लांट तो पूरी तरह से नष्ट हो गया है. 

इजरायली हमले में नतांज न्यक्लियर साइट में 15000 सेंट्रीफ्यूज का गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो जाना ईरान न्यूक्लियर सपने के लिए बहुत बड़ा झटका जैसा है. 

क्या होती हैं सेंट्रीफ्यूज मशीनें

सेंट्रीफ्यूज (Centrifuges) ऐसी मशीनें हैं जो हाई गति से घूमकर यूरेनियम को अलग करती है. परमाणु संदर्भ में गैस सेंट्रीफ्यूज का उपयोग यूरेनियम संवर्धन (Uranium Enrichment) के लिए किया जाता है. ये मशीनें यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड (UF6) गैस को तेजी से घुमाकर यूरेनियम-235 (U-235) आइसोटोप को यूरेनियम-238 (U-238) से अलग करती हैं. U-235 वह आइसोटोप है जिसका विखंडन होता है यानी कि इसे तोड़ा जाता है और इसका इस्तेमाल परमाणु बम बनाने या परमाणु ऊर्जा पैदा करने में होता है. 

परमाणु बम बनाने में सेंट्रीफ्यूज क्यों जरूरी है

परमाणु बम बनाने के लिए हथियार-ग्रेड यूरेनियम (Weapons-Grade Uranium) की आवश्यकता होती है. यानी कि ऐसा यूरेनियम जिसमें U-235 की शुद्धता 90% या अधिक हो. लेकिन प्राकृतिक यूरेनियम में U-235 की मात्रा केवल 0.7% होती है, इसलिए सेंट्रीफ्यूज का उपयोग इसे संवर्धित यानी कि शुद्ध करने के लिए किया जाता है. सेंट्रीफ्यूज यूरेनियम गैस को उच्च गति (हजारों RPM) से घुमाते हैं, जिससे हल्का U-235 भारी U-238 से अलग हो जाता है. इस प्रक्रिया को कई बार दोहराया जाता है ताकि U-235 की उच्च सांद्रता प्राप्त हो. यानी कि ठोस और शुद्ध वाला हिस्सा अलग हो जाए. 

अधिक शक्तिशाली सेंट्रीफ्यूज, जैसे ईरान के IR-2m या IR-6, इस प्रक्रिया को तेज और कुशल बनाते हैं. परमाणु बम बनाने की प्रक्रिया में ये जरूरी कदम है. 

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के चीफ राफेल ग्रॉसी ने कहा कि सेंट्रीफ्यूज को ये नुकसान अंडरग्राउंड हॉल में (जहां सेंट्रीफ्यूज मशीनें हैं) सीधा हमला न होने के बावजूद हुई. क्योंकि हमले के बाद पावर कट की वजह से इन मशीनों को बिजली की सप्लाई रूक गई थी. 

उन्होंने कहा कि इस्फ़हान परमाणु स्थल पर चार इमारतें भी क्षतिग्रस्त हुईं, लेकिन भूमिगत फ़ोर्डो संवर्धन संयंत्र में कोई नुकसान नहीं हुआ.

उन्होंने कहा, "हमारा आकलन है कि बाहर से आ रहे बिजली की अचानक कमी के कारण, बहुत अधिक संभावना है कि सेंट्रीफ्यूज पूरी तरह से नष्ट न हुए हों, बल्कि गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हों."

बता दें कि बिजली की सप्लाई बंद हो जाने से बेहद नाजुक और जटिल मशीनों को नुकसान पहुंचाती हैं. ये मशीनें ही अत्यधिक स्पीड में घूमकर यूरेनियम एनरिचमेंट को संभव बनाती हैं. 

इससे पहले सोमवार को ग्रॉसी ने IAEA बोर्ड को बताया था कि नतांज संयंत्र में रेडियोलॉजिकल और रासायनिक दोनों तरह के मिलावट की आशंका है.

हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि, "नतांज न्यूक्लियर साइट के बाहर रेडियोधर्मिता के स्तर में कोई बदलाव नहीं हुआ है और ये सामान्य स्तर पर बना हुआ है, जो दर्शाता है कि इस घटना से आबादी या पर्यावरण पर कोई बाहरी रेडियोलॉजिकल प्रभाव नहीं पड़ा है."

ग्रॉसी ने कहा कि शुक्रवार को नतांज पर हुए हमले ने पायलट ईंधन संवर्धन संयंत्र (पीएफईपी) के ऊपरी हिस्से को नष्ट कर दिया, जहां सेंट्रीफ्यूज के कैस्केड 60% शुद्धता तक रिफाइन यूरेनियम का उत्पादन कर रहे थे - जो हथियार-ग्रेड यूरेनियम के लिए आवश्यक 90% के करीब है. 

अगर ईरान 90 फीसदी तक का ये लक्ष्य हासिल कर लेता है तो वह परमाणु बम बना सकता है.

ग्रॉसी ने IAEA के बोर्ड को बताया, "पीएफईपी और मुख्य ईंधन संवर्धन संयंत्र के हिस्से वाले भूमिगत कैस्केड हॉल पर किसी फिजिकल हमले का कोई संकेत नहीं मिला है. हालांकि, कैस्केड हॉल में बिजली की कमी से वहां के सेंट्रीफ्यूज क्षतिग्रस्त हो सकते हैं."

पावर कट से सेंट्रीफ्यूज से क्या नुकसान होता है

बता दें कि सेंट्रीफ्यूज को अगर निरंतर पावर सप्लाई नहीं मिलता है तो एक छोटी सी समस्या - जैसे कि बिजली कटौती - से सेंट्रीफ्यूज अनियंत्रित हो सकता है, जिसके बाद सेंट्रीफ्यूज के अंदर की मशीनें एक दूसरे से टकरा सकती हैं और सम्पूर्ण कैस्केड को क्षति पहुंच सकती है.

नतांज परमाणु साइट पर इजरायली हमले के बाद IAEA के अधिकारियों ने वहां पर अभी तक फिजिकल वैरिफिकेशन नहीं किया है लेकिन ये टीम सैटेलाइट से मिल रही तस्वीरों का विस्तार से अध्ययन करती है.

बता दें कि इजरायल ने शुक्रवार को तड़के नतांज पर बमबारी की थी. जो ईरानी सैन्य और परमाणु स्थलों के खिलाफ अपने अभियान की शुरुआत करने वाला पहला बड़ा हमला था. इजरायल का कहना है कि यह कदम तत्काल अस्तित्वगत परमाणु खतरे को विफल करने के लिए आवश्यक था.

इजरायली सेना का दावा है कि नतांज़ पर हमले के दौरान भूमिगत सेंट्रीफ्यूज हॉल को भी नुकसान पहुंचाया गया, हालांकि इजरायल ने कोई सबूत नहीं दिया है. 

इस्फहान और फोर्डो न्यूक्लियर साइट के बारे में इजरायली सेना ने कहा कि इस्फ़हान हमले ने "मेटालिक यूरेनियम उत्पादन की सुविधा, संवर्धित यूरेनियम को पुनः परिवर्तित करने के लिए बुनियादी ढांचा, लैब और अतिरिक्त बुनियादी ढांचों को नष्ट कर दिया."

IAEA के अनुसार इस्फ़हान में भूमिगत स्थान भी हैं, जो इस हमले से प्रभावित नहीं हुए हैं. ग्रॉसी ने कहा कि फोर्डो प्लांट में "अगर कोई नुकसान हुआ है तो वह बहुत सीमित है."

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