ईरान और इज़रायल के बीच तनाव पिछले कुछ समय से चरम पर है. इज़रायल ने ईरान के परमाणु ठिकानों, खासकर नतांज़ और फोर्डो जैसी सुविधाओं पर बार-बार हमले किए हैं, जिनमें सेंट्रीफ्यूज (यूरेनियम को शुद्ध करने वाली मशीनें) और परमाणु वैज्ञानिक निशाना बने हैं. लेकिन सवाल यह है कि क्या ईरान का परमाणु हथियार बनाने का सपना उसी के लिए बूमरैंग बन सकता है? यानी क्या ये हथियार ईरान को ही नुकसान पहुंचा सकते हैं?
ईरान का परमाणु कार्यक्रम: एक नजर
ईरान का परमाणु कार्यक्रम दशकों पुराना है. ईरान का कहना है कि उसका कार्यक्रम शांतिपूर्ण है, जैसे बिजली उत्पादन और चिकित्सा अनुसंधान के लिए. लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय, खासकर इज़रायल और अमेरिका का मानना है कि ईरान गुप्त रूप से परमाणु हथियार बना रहा है.
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- नतांज़: यह ईरान का सबसे बड़ा यूरेनियम शुद्धिकरण केंद्र है, जहां करीब 14000 सेंट्रीफ्यूज काम करते हैं. यह आंशिक रूप से ज़मीन के नीचे है. यूरेनियम को 60% तक शुद्ध करता है, जो परमाणु हथियार के लिए 90% शुद्धता से थोड़ा कम है.
- फोर्डो: यह सुविधा पहाड़ों के नीचे 90 मीटर गहरी है. लगभग 3000 उन्नत सेंट्रीफ्यूज से लैस है. यह 83.7% तक यूरेनियम शुद्ध कर चुकी है.
- इस्फहान: यह परमाणु अनुसंधान केंद्र है, जहां यूरेनियम को धातु में बदला जाता है.
ईरान ने 2024 तक 400 किलोग्राम से अधिक उच्च शुद्धता वाला यूरेनियम जमा कर लिया है, जिससे विशेषज्ञों का अनुमान है कि वह कुछ हफ्तों में 10 परमाणु बम बना सकता है.
इज़रायल का हमला: क्यों और कैसे?
इज़रायल का मानना है कि ईरान का परमाणु हथियार उसकी सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है. इसलिए, वह ईरान के परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए बार-बार हमले कर रहा है. हाल के हमलों में...
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13 जून 2025 को नतांज़ पर हमला: इज़रायल ने नतांज़ के ऊपरी हिस्से को नष्ट कर दिया, जिसमें बिजली आपूर्ति और सेंट्रीफ्यूज को चलाने वाली इमारतें शामिल थीं. बिजली कटने से सेंट्रीफ्यूज खराब हुए, क्योंकि ये मशीनें तेज़ गति से चलती हैं. छोटी सी गड़बड़ी से नष्ट हो सकती हैं.

इस्फहान पर हमला: चार महत्वपूर्ण इमारतें नष्ट हुईं, जिनमें यूरेनियम को धातु में बदलने वाली सुविधा शामिल थी.
फोर्डो पर हमला: हालांकि फोर्डो पर सीमित क्षति हुई, क्योंकि यह गहरे पहाड़ों में है. इज़रायल के पास इसे नष्ट करने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली बम (जैसे अमेरिका का GBU-57A/B) नहीं हैं.
इज़रायल ने न केवल सुविधाओं को निशाना बनाया, बल्कि ईरान के शीर्ष सैन्य कमांडरों (जैसे जनरल हुसैन सलामी और मोहम्मद बघेरी) और परमाणु वैज्ञानिकों को भी मारा. यह एक तरह से ईरान की सैन्य और वैज्ञानिक क्षमता को कमजोर करने की रणनीति है.
बूमरैंग प्रभाव: ईरान को कैसे नुकसान हो सकता है?
ईरान का परमाणु कार्यक्रम उसके लिए कई तरह से बूमरैंग बन सकता है...
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इज़रायल के लगातार हमले: नतांज़ और इस्फहान जैसे ठिकानों को बार-बार निशाना बनाया जा रहा है. इससे ईरान का परमाणु कार्यक्रम सालों पीछे चला गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि नतांज़ की मरम्मत में हफ्तों से ज्यादा समय लगेगा. फोर्डो को नष्ट करना इज़रायल के लिए मुश्किल है, लेकिन बिजली और अन्य सहायक सुविधाओं पर हमले सेंट्रीफ्यूज को नुकसान पहुंचा सकते हैं.
रेडियोलॉजिकल खतरा: नतांज़ पर हमलों से रेडियोलॉजिकल और रासायनिक रिसाव हुआ है, हालांकि बाहर का रेडिएशन स्तर सामान्य है. अगर इज़रायल इस्फहान में यूरेनियम भंडार को निशाना बनाए, तो यह एक "डर्टी बम" जैसा प्रभाव पैदा कर सकता है, जिससे ईरान की जनता और पर्यावरण को नुकसान हो सकता है.
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अंतरराष्ट्रीय दबाव: अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने जून 2025 में ईरान को गैर-अनुपालन घोषित किया, जो 20 साल में पहली बार हुआ. अगर ईरान परमाणु अप्रसार संधि (NPT) से बाहर निकलता है, तो उसे और कड़े प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है. ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर पश्चिमी देशों का अविश्वास बढ़ रहा है, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था पर और दबाव पड़ सकता है.
आंतरिक अस्थिरता: इज़रायल के हमलों में 220 से अधिक ईरानी मारे गए हैं, जिनमें नागरिक भी शामिल हैं. इससे ईरान में सरकार के खिलाफ असंतोष बढ़ सकता है. ईरान की जनता पहले से ही आर्थिक समस्याओं से जूझ रही है. अगर परमाणु कार्यक्रम नष्ट होता है, तो अरबों डॉलर की लागत बेकार हो सकती है, जिससे सामाजिक अशांति बढ़ सकती है.
क्षेत्रीय जवाबी कार्रवाई: ईरान ने इज़रायल पर फतह-1 हाइपरसोनिक मिसाइलों से जवाबी हमले किए, जिसमें 24 इज़रायली मारे गए. लेकिन ईरान की जवाबी क्षमता सीमित हो रही है, क्योंकि इज़रायल ने उसके मिसाइल और ड्रोन ठिकानों को भी नष्ट किया है.
ईरान के सहयोगी, जैसे सीरिया में असद सरकार और लेबनान में हिजबुल्लाह, कमजोर हो चुके हैं, जिससे ईरान की क्षेत्रीय ताकत कम हुई है.
ईरान की रणनीति और चुनौतियां
ईरान का कहना है कि वह परमाणु हथियार नहीं बना रहा, लेकिन उसने IAEA के साथ सहयोग कम कर दिया है और निगरानी उपकरण हटा दिए हैं. वह अपनी मिसाइलों, जैसे फतह-1 और क्षेत्रीय सहयोगियों के जरिए जवाब दे रहा है. लेकिन कई चुनौतियां हैं...
- सैन्य कमजोरी: इज़रायल के F-35 जेट्स और ड्रोनों ने ईरान की हवाई रक्षा को कमजोर किया है.
- मिसाइल स्टॉक की कमी: लगातार हमलों से ईरान का मिसाइल भंडार कम हो रहा है.
- आर्थिक दबाव: प्रतिबंधों और हमलों से ईरान की अर्थव्यवस्था पहले से ही चरमरा रही है.
क्या ईरान परमाणु हथियार बनाएगा?
विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान अभी परमाणु हथियार बनाने की प्रक्रिया में नहीं है, लेकिन उसके पास "नियर-थ्रेशोल्ड" क्षमता है. यानी, वह कुछ हफ्तों में हथियार-ग्रेड यूरेनियम बना सकता है. इज़रायल के हमले इस प्रक्रिया को धीमा कर सकते हैं, लेकिन पूरी तरह रोकना मुश्किल है, क्योंकि... फोर्डो जैसी गहरी सुविधाएं इज़रायल के हमलों से सुरक्षित हैं. ईरान के वैज्ञानिकों का अनुभव और ज्ञान नष्ट नहीं किया जा सकता.
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ईरान का परमाणु कार्यक्रम उसके लिए ताकत और कमजोरी दोनों है. यह उसे क्षेत्रीय शक्ति का दर्जा देता है, लेकिन इज़रायल के हमले, अंतरराष्ट्रीय दबाव और आंतरिक अस्थिरता इसे बूमरैंग बना सकते हैं. इज़रायल की रणनीति सेंट्रीफ्यूज, बिजली आपूर्ति और वैज्ञानिकों को निशाना बनाकर ईरान को कमजोर कर रही है, लेकिन फोर्डो जैसे ठिकानों को नष्ट करने के लिए उसे अमेरिका की मदद चाहिए.
अगर ईरान परमाणु हथियार की दौड़ में आगे बढ़ता है, तो वह और बड़े हमलों, प्रतिबंधों और क्षेत्रीय युद्ध का सामना कर सकता है. दूसरी ओर, अगर वह पीछे हटता है, तो उसकी क्षेत्रीय साख को नुकसान हो सकता है. इस जटिल स्थिति में, ईरान का अगला कदम मध्य पूर्व के भविष्य को तय करेगा