कानपुर में मनोज कुमार की जगह मनोज पोरवाल को पकड़ कर ले गई पुलिस, कोर्ट ने पूछा-गलती कैसे हुई 

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एक नाम, दो चेहरे और पुलिस की बड़ी चूक. कानपुर में लापरवाही का ऐसा मामला सामने आया है, जिसने न सिर्फ पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं बल्कि कोर्ट को भी सख्त रुख अपनाने के लिए मजबूर कर दिया है. बात हो रही है 19 साल पुराने एक बिजली चोरी के केस की, जिसमें पुलिस ने असली आरोपी मनोज कुमार की जगह मनोज पोरवाल नाम के एक शख्स को पकड़कर कोर्ट में पेश कर दिया.

पूरा मामला 2006 में दर्ज ईसी एक्ट (Essential Commodities Act) के तहत एक मुकदमे से जुड़ा है. केसको (कानपुर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी) बनाम मनोज कुमार  से दर्ज यह केस विशेष अदालत में वर्षों से लंबित चल रहा था. इसी बीच कोर्ट ने बार-बार गैरहाजिरी पर आरोपी मनोज कुमार के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया. इस आदेश का पालन करते हुए हाल ही में बजरिया थाना पुलिस ने कानपुर के गांधी नगर निवासी एक शख्स को पकड़ा और अदालत में पेश कर दिया. लेकिन कोर्ट पहुंचते ही सारी कहानी पलट गई.

कोर्ट में आरोपी ने खुद को बताया निर्दोष

अदालत में जब आरोपी मनोज कुमार पोरवाल को पेश किया गया तो उसने अपना पक्ष रखा. उसने आधार कार्ड, बैंक दस्तावेज और अपने निवास प्रमाण पत्र अदालत के सामने रखे और कहा कि वह इस केस से किसी भी तरह से जुड़ा नहीं है. आश्चर्य की बात यह रही कि पुलिस ने केवल नाम की समानता के आधार पर उसे गिरफ्तार किया था. यह जानकर अदालत भी चौंक गई और तत्काल उसे 20 हजार रुपये के निजी मुचलके पर रिहा कर दिया. साथ ही यह भी आदेश दिया कि अगली बार कोर्ट के बुलावे पर वह जरूर उपस्थित हो.

कोर्ट ने पुलिस से पूछा गलती कैसे हुई?

बेकसूर को कोर्ट तक लाने की गलती पर अदालत ने बजरिया थाना प्रभारी को सख्त लहजे में फटकार लगाई है. कोर्ट ने तीन दिन के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है कि आखिर कैसे बिना उचित सत्यापन के एक निर्दोष व्यक्ति को पकड़कर अदालत में पेश कर दिया गया. इसके साथ ही कोर्ट ने असली मनोज कुमार की गिरफ्तारी के लिए पुलिस को निर्देश दिए हैं.

एसीपी बोले वही है पुराना आरोपी, नाम बदलने की हो सकती है साजिश

इस पूरे घटनाक्रम पर एसीपी सीसामऊ मंजय सिंह का बयान भी सामने आया है. उनका कहना है कि, यह वही व्यक्ति है, जो इस मामले में अभियुक्त था. 2006 में इसका नाम मनोज कुमार लिखा जाता था. अब संभवतः इसने अपना नाम बदलकर मनोज पोरवाल कर लिया है, जिससे वह अदालत की कार्रवाई से बच सके. हालांकि, एसीपी ने यह भी स्पष्ट किया कि फिलहाल न तो थाना और न ही एसीपी ऑफिस को कोई लिखित नोटिस प्राप्त हुआ है. उनका कहना है कि नोटिस मिलने के बाद जांच की जाएगी और तथ्यों के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी.

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