इजरायल और ईरान की जंग से पूरे मिडिल ईस्ट पर खतरा मंडरा रहा है और दोनों देश एक-दूसरे पर लगातार हवाई हमले कर रहे हैं. इस बीच ईरान को पाकिस्तान की तरफ से मदद मिलने का दावा किया गया था और ईरान के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी मोहसिन रजाई ने कहा कि अगर ईरान पर इजरायल परमाणु हमला करता है, तो पाकिस्तान भी इजरायल पर जवाबी न्यूक्लियर अटैक करेगा. लेकिन पाकिस्तान ने इसे सिरे से खारिज कर दिया. ऐसे में जानते हैं कि आखिर पाकिस्तान और ईरान के बीच संबंध कैसे हैं?
सीमा विवाद और आतंकवाद
पाकिस्तान और ईरान के बीच रिश्ते 14 अगस्त 1947 को स्थापित हुए, जिस दिन पाकिस्तान आजाद हुआ. पाकिस्तान को मान्यता देने वाला पहला देश ईरान ही था. दोनों के बीच संबंधों का इतिहास रहा है क्योंकि भौगोलिक रूप से ये एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं जो कि करीब 990 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं. पाकिस्तान और ईरान के बीच सीमावर्ती क्षेत्रों में साझी सामाजिक-आर्थिक, जातीय और सांस्कृतिक समानताएं भी हैं. पाकिस्तान में सुन्नी समुदाय की आबादी ज्यादा है जबकि ईरान एक शिया बहुल देश है.
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ईरान और पाकिस्तान दोनों ही इस्लामी देश हैं और इनके बीच सांस्कृतिक व धार्मिक समानताएं भी हैं. लेकिन उनके बीच सीमा विवाद, आतंकवाद के आरोप और क्षेत्रीय हितों के टकराव ने समय-समय पर रिश्तों में तनाव पैदा किया है. पाकिस्तान और ईरान के बीच लंबी सीमा है जो बलूचिस्तान और सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांतों को जोड़ती है. इस सीमा पर कई मुद्दों ने संबंधों को तल्ख किया है. दोनों देश एक-दूसरे पर अपनी जमीन से आतंकवादी गुटों को पनाह देने का आरोप लगाते हैं.
बलूच विद्रोहियों को पनाह देने के आरोप
दोनों देश के बीच विवाद की एक वजह जैश अल अदल है, यह सुन्नी आतंकवादी संगठन ईरान में सक्रिय है और ईरानी सरकार का मानना है कि इसे पाकिस्तान से समर्थन मिलता है. जनवरी 2024 में ईरान ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान में जैश अल-अदल के ठिकानों पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए, जिसे पाकिस्तान ने अवैध बताते हुए जवाबी कार्रवाई भी की थी.
इसके अलावा बलूच लिबरेशन आर्मी को लेकर भी दोनों के बीच विवाद रहा है. पाकिस्तान का दावा है कि ईरान में सक्रिय बलूच विद्रोही गुट बीएलए को ईरान से समर्थन मिलता है, जो पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हमले करता है. हाल ही में हुए जफर एक्सप्रेस हाईजैक में इसी संगठन का नाम आया था, जिसके बाद पाकिस्तान की काफी किरकिरी हुई थी.
ड्रग्स और हथियारों की तस्करी
ईरान का मानना है कि पाकिस्तान अपनी जमीन पर सुन्नी आतंकवादी गुटों जैसे जैश अल-अदल को पनाह देता है, जो ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में हमले करते हैं. ईरान ने 2023 और 2024 में हुए आतंकी हमलों के बाद पाकिस्तान से इस मुद्दे पर कार्रवाई की मांग की. इसके उलट पाकिस्तान का दावा है कि ईरान बलूच विद्रोहियों को समर्थन देता है, जो पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियों में शामिल हैं. पाकिस्तान ने ईरान पर अपनी जमीन पर शिया चरमपंथियों को समर्थन देने का भी आरोप लगाया है.
इसके अलावा सीमा पर ड्रग्स और हथियारों की तस्करी ने भी दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ाया है. ईरान ने 2024 में अपनी सीमा पर 4 मीटर ऊंची और 300 किलोमीटर लंबी दीवार बनाने की योजना शुरू की ताकि आतंकवाद, ड्रग तस्करी और घुसपैठियों को देश में दाखिल होने से रोका जा सके. अप्रैल 2025 में ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान में एक कार वर्कशॉप में आठ पाकिस्तानी नागरिकों की हत्या ने दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया था. पाकिस्तान ने इसकी निंदा की और दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की. लेकिन तब ईरान ने इसे आतंकवादी हमला करार दिया था.
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ईरान का भारत और सऊदी अरब के साथ बढ़ता सहयोग भी पाकिस्तान को असहज करता है. इसके अलावा ईरान में इस्लामिक क्रांति के बाद पाकिस्तान के साथ उसके रिश्तों पर असर देखा गया. इस क्रांति के बाद ईरान की सत्ता पर शिया समुदाय का कब्जा हो गया, इसके विपरीत सुन्नी बहुल पाकिस्तान के साथ रिश्तों में घटास की शुरुआत हो गई, जो अब तक चली आ रही है.