क्या ईरान के इन ठिकानों पर भी अटैक करेगा इजरायल? जहां रखे हैं न्यूक्लियर सीक्रेट

20 hours ago 1

ईरान और इजरायल के बीच तनाव चरम पर है. इजरायल ने ऑपरेशन राइजिंग लॉयन के तहत ईरान के कई परमाणु ठिकानों पर हमला किया जिसमें सेना प्रमुख और कई टॉप परमाणु वैज्ञानिकों के मारे जाने के पुष्टि हुई है. तेहरान के डिफेंस और न्यूक्लियर कमान को बड़ा झटका लगा है. ईरान पर हमले के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि आईडीएफ ने ईरान के लिए परमाणु बम बना रहे कुछ वैज्ञानिकों को भी निशाना बनाया है. इसके अलावा ईरान के बैलिस्टिक मिसाइल फैसिलिटीज को भी नुकसान पहुंचा है. अब सवाल यह है भी है कि ईरान के न्यूक्लियर ठिकाने कहां-कहां है, जहां इजरायल हमला कर सकता है.

दरअसल, US और UN की न्यूक्लियर पर निगरानी रखने वाली संस्था का मानना है कि ईरान के पास गुप्त तरीके से न्यूक्लियर हथियार बनाने पर काम कर रहा था जिसे साल 2003 रोक दिया गया था. हालांकि इस्लामिक रिपब्लिक इस बात से इनकार कर रही है कि उसके पास कभी परमाणु हथियार या बनाने से संबंधित कोई प्लानिंग नहीं रही. यह अलग बात है कि ईरान ने साल 2015 में विश्व शक्तियों के साथ इंटरनेशनल प्रतिबंधों को हटाने के एवज में न्यूक्लियर एक्टिविटज रोकने का समझौता किया था, जो साल 2018 में टूट गया था. क्योंकि अमेरिका ने इस समझौते से अपना हाथ खींच लिया.

क्या ईरान परमाणु हथियार बना रहा है?
माना जा रहा कि 2015 का समझौता टूटने के बाद (2018 से) ईरान अपने यूरेनियम संवर्धन प्रोग्राम पर युद्धस्तर पर काम कर रहा है. नेतन्याहू ने शुक्रवार को कहा कि ईरान ने नौ परमाणु बमों के लिए हाई लेवल यूरेनियम तैयार कर लिया है. बीते कुछ महीनों में ईरान ने यूरेनियम को हथियार बनाने की दिशा में ऐसे कदम उठाए गए हैं जो उसने पहले कभी नहीं उठाए थे. अगर इसे रोका नहीं किया तो ईरान महज एक साल या कुछ महीनों में परमाणु हथियार बना लेगा. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने भी इसकी पुष्टि की है.

कितने परमाणु बम बना सकता है ईरान?
इजराइली न्यूज वेबसाइट जेरूसलम पोस्ट की माने तो यूएन की एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) की एक रिपोर्ट में कहा गया कि ईरान ने जांच में 'सामान्य सहयोग' नहीं दिखाया. एजेंसी के अनुसार, ईरान दो जगहों पर 60% तक शुद्धता वाला यूरेनियम है. अगर इसे और अधिक बेहतर किया जाए तो इससे छह परमाणु बम बनाए सकते हैं. रिपोर्ट्स के अनुसार, नतांज के अलावा भी ईरान के कई शहरों में न्यूक्लियर सीक्रेट्स रखने होने का दावा किया जा रहा है, जहां इजरायल कभी भी अटैक कर सकता है. इनमें फोर्डो, इस्फहान, खोंदाब, बुशहर और तेहरान अनुसंधान केंद्र शामिल हो सकते हैं.

नतांज न्यूक्लियर फैसिलिटी तबाह
इजरायल ने शुक्रवार को ईरान की नतांज परमाणु फैसिलिटी पर हवाई हमले से तबाह कर दिया है, इसकी पुष्टि इंटरनेशनल परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने भी की है. इजरायल की पीएम ने कहा कि हमने नतांज में ईरान के मुख्य न्यूक्लियर प्लांट और ईरानी परमाणु वैज्ञानिकों को टारगेट किया है.

नतांज, तेहरान के दक्षिण में कोम शहर के पास पहाड़ों के किनारे स्थित है. नतांज़ में दो मेजर प्लांट्स हैं- पहला- फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट (FEP), जो जमीन के नीचे बना है और बड़े पैमाने पर यूरेनियम बढ़ा रहा है और दूसरा- पायलट फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट (PFEP), जो जमीन के ऊपर है. FEP में लगभग 16,000 सेंट्रीफ्यूज हैं, जिनमें से 13,000 काम कर रहे हैं और 5% तक शुद्धता वाला यूरेनियम बना रहे हैं. साल 2002 में इस साइट का खुलासा हुआ था, जिसके बाद ईरान और पश्चिमी देशों के बीच तनाव बढ़ा. इस साइट को इजरायल ने पहले भी साल 2021 में निशाना बनाया था.

फोर्डो
यह कोम के दूसरी तरफ पहाड़ के अंदर बना एक संवर्धन केंद्र (जहां यूरेनियम की क्षमता बढ़ने और विकसित किया जाता है) है, जो हवाई हमलों से बेहतर सुरक्षित माना जाता है. 2015 के परमाणु समझौते में फोर्डो में संवर्धन की अनुमति नहीं थी, लेकिन अब वहां करीब 2,000 हाईटेक IR-6 सेंट्रीफ्यूज काम कर रहे हैं, जिनमें से 350 यूरेनियम को 60% शुद्धता तक संवर्धित करते हैं. अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने साल 2009 इसका खुलासा किया था.

इस्फहान
यह ईरान का दूसरा सबसे बड़ा शहर है, जहां एक बड़ा न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी सेंटर है. इसमें फ्यूल प्लेट फैब्रिकेशन प्लांट (FPFP) और यूरेनियम कन्वर्जन फैसिलिटी (UCF) शामिल हैं, जो यूरेनियम को सेंट्रीफ्यूज में इस्तेमाल होने वाले यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड में बदलता है. इस्फहान में संवर्धित यूरेनियम भी स्टोर किया जाता है. साथ ही, यहां यूरेनियम मेटल बनाने की मशीनें हैं, जो परमाणु बम के कोर के लिए संवेदनशील हैं. IAEA ने 2022 में बताया था कि इस्फहान में सेंट्रीफ्यूज के पुर्जे बनाने की फैसिलिटी भी है.

खोंदाब (पहले अराक)
यह एक आधा-अधूरा बना हेवी वाटर रिसर्च रिएक्टर है, इसे पहले अराक और अब खोंडाब कहा जाता है. हेवी वाटर रिएक्टर प्लूटोनियम बना सकते हैं, जो परमाणु बम के लिए इस्तेमाल हो सकता है. 2015 के समझौते में इस रिएक्टर का कोर हटाकर कंक्रीट से भर दिया गया था, ताकि यह हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम न बनाए. ईरान ने IAEA को बताया है कि वह 2026 में इस रिएक्टर को फिर से शुरू करने की योजना बना रहा है.

तेहरान अनुसंधान केंद्र
तेहरान में परमाणु अनुसंधान सुविधाएं हैं, जिनमें एक अनुसंधान रिएक्टर शामिल है. यह केंद्र परमाणु अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण है.

बुशहर
यह ईरान का एकमात्र काम कर रहा परमाणु बिजली संयंत्र है, जो खाड़ी तट पर स्थित है. यह रूसी ईंधन से चलता है और इस्तेमाल के बाद रूस इसे वापस ले लेता है, जिससे हथियार बनाने का जोखिम कम होता है.

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