चीनी छात्रों को अमेरिका बुला रहे हैं ट्रंप, लेकिन खुफिया विभाग को सता रहा रिसर्च चोरी का डर

2 days ago 1

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने बयान और नीतियों को आए दिन बदलते रहते हैं. एक ओर उन्होंने भारत समेत कई देशों पर भारी टैरिफ लगा दिया है, तो वहीं दूसरी ओर वह चीन पर मेहरबान नजर आ रहे हैं. उन्होंने छह लाख चीनी छात्रों को अमेरिका में पढ़ने के लिए वीजा देने का फैसला किया है. लेकिन ट्रंप के इस फैसले से उनके समर्थक भी नाराज हैं और अब राष्ट्रीय खुफिया विभाग ने भी इसे लेकर चिंता जताई है. ट्रंप का यह फैसला उनके पुराने रुख से बिल्कुल उलट है.

चीनी छात्रों से हैकिंग का खतरा

ट्रंप 6 लाख चीनी छात्रों को अमेरिका लाना चाहते हैं, लेकिन उनके राष्ट्रीय खुफिया विभाग ने चेतावनी दी है कि चीनी सीक्रेट सर्विसेस छात्रों की भर्ती कर रही है और अमेरिकी रिसर्च को चुरा रही है. एजेंसी का कहना है कि चीनी छात्र अमेरिकी विश्वविद्यालयों में प्रतिरोध की आवाज को बुलंद कर सकते हैं और बाकी छात्रों को भड़का सकते हैं. सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीनी छात्रों के वीजा पर किसी भी कीमत पर रोक लगनी चाहिए, क्योंकि इससे टेक्नोलॉजी की चोरी और जासूसी से बचा जा सकता है. 

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नेशनल काउंटर इंटेलिजेंस एंड सिक्योरिटी सेंटर की एक नई रिपोर्ट जो रिसर्च, बौद्धिक संपदा, टेक्नोलॉजी और अमेरिकी रिसर्च इकोसिस्टम के विषय पर आधारित थी, में कहा गया है कि अन्य विदेशी जासूस भी इसी तरह के मिशन के जरिए विश्वविद्यालयों को निशाना बना रहे हैं, लेकिन चीनी खतरा सबसे गहरा है. रिपोर्ट में कहा गया कि, 'किसी भी देश ने रिसर्च, साइंस एंड टेक्नोलॉजी को चीन जितनी आक्रामकता के साथ निशाना नहीं बनाया है. चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) और चीनी सीक्रेट सर्विस से अमेरिका को लगातार जासूसी का खतरा रहता है.

रिपोर्ट में साल्ट टाइफून का जिक्र

नेशनल सिक्योरिटी सेंटर की तरफ से यह चेतावनी साइबर सिक्योरिटी, एफबीआई और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी जैसी तमाम एजेंसियों की ओर से एक सलाह के तौर पर आई है, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया है कि किस तरह साल्ट टाइफून जैसे स्टेट स्पॉन्सर हैकर्स दुनियाभर के नेटवर्क में घुसपैठ करते हैं. चेतावनी में कहा गया कि डर सिर्फ डेटा की चोरी का नहीं बल्कि पूरे इकोसिस्टम को हैक करके उसके एक्सिस पर कब्जा करने का भी है.

राष्ट्रपति ट्रंप ने बीते दिनों आलोचना के बावजूद छह लाख चीनी छात्रों को अमेरिका में एंट्री की इजाजत देने के अपने फैसले का बचाव किया और कहा कि चीन, अमेरिका को 'काफी पैसा' दे रहा है और उनके बच्चों को अमेरिका आने देना सही कदम है. उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपने संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि राष्ट्रपति शी के साथ मेरे बहुत अच्छे संबंध हैं.

ट्रंप ने किया छात्रों की एंट्री का बचाव

उन्होंने कहा कि चीन वर्तमान में अमेरिका को करोड़ों डॉलर दे रहा है. दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली जे म्युंग के साथ बैठक में भी ट्रंप ने अमेरिका-चीन संबंधों के महत्व पर ज़ोर दिया था. ओवल ऑफिस में पत्रकारों से बातचीत में ट्रंप ने कहा कि हम उनके छात्रों को आने की इजाजत देने जा रहे हैं. ट्रंप ने कहा कि छह लाख का आंकड़ा दो साल से ज्यादा का है और वह बीजिंग से बदले में कुछ नहीं चाहते हैं.

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चीनी छात्रों को लेकर ट्रंप का यह रुख साल की शुरुआत में विदेश मंत्री मार्को रुबियो को दिए गए उनके आदेश के ठीक उलट है. ट्रंप ने रुबियो को चीनी छात्रों के वीजा तेजी से रद्द करने के निर्देश दिए थे. यह ऑर्डर उन छात्रों के लिए खास तौर पर था जो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से जुड़े हैं या अहम सेक्टर्स में स्टडी कर रहे हैं.

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