आम तौर पर हर महीनें में 30 या 31 दिन होते हैं लेकिन एक साल ऐसा भी था जिसके कैलेंडर में 31 दिसंबर की जगह 0 जनवरी लिखा गया था. ऐसे क्यों हुआ था, आइए आपको बताते हैं.
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30 फरवरी,1712
दरअसल, साल 1700 में स्वीडन ने जूलियन कैलेंडर छोड़कर ग्रेगोरियन कैलेंडर अपनाया था. इस वजह से उस साल जूलियन कैलेंडर में लीप ईयर होने के बाद भी स्वीडन में कोई लीप ईयर नही था. (फोटो-Pixabay)
लेकिन साल 1704 और 1708 में चल रही नॉर्थर्न वॉर के कारण स्वीडन का ध्यान अपने कैलेंडर से हट गया ये दोनों साल लीप ईयर बने रहे. कन्फ्यूजन से बचने के लिए उन्होनें वापस जूलियन कैलेंडर अपनाने का फैसला किया. (फोटो-Pixabay)
साल 1700 से हटाया गया एक दिन साल 1712 में जोड़ा गया. क्योंकि 1712 पहले से लीप ईयर था, इसलिए केवल उस साल स्वीडन में 30 फरवरी की तारीख रही. (फोटो-Pixabay)
0 जनवरी
एस्ट्रोनॉमी के एक पुराने कैलेंडर में 31 दिसंबर को 'जीरो जनवरी' कहा गया है. इस कैलेंडर के मुताबिक यह तारीख एक जनवरी से पहले आती है. साल 1900 में समय से जुड़ी कुछ साइंटिफिक कैल्कुलेशन्स और टेबलें जीरो जनवरी तारीख से ही शुरू हुई हैं. (फोटो-Pixabay)
32 दिसंबर, 1980
लीयर फैन 2100 एक दो इंजन वाला जेट था, जिसे कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक दिसंबर 1980 तक तैयार होना था. ब्रिटिश सरकार इस प्रोजेक्ट को फंड कर रही थी. (फोटो- Pixabay)
हालांकि तकनीकी खराबी के कारण 31 दिसंबर को होने वाली इसकी टेस्ट फ्लाइट रद्द हो गई और इसके प्रोटोटाइप ने 1 जनवरी 1981 को अपनी पहली उड़ान भरी. सरकारी रिकॉर्ड में यह तारीख 32 दिसंबर, 1980 दर्ज है. (फोटो-Pixabay)