जवानों, आज खत्म कर दो इनको… जब जख्मी इम्तियाज ने दी हुंकार, और बन गए अमर शहीद

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ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की तरफ से हो रही ड्रोन और मोर्टार फायरिंग के बीच BSF के सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तेयाज बुरी तरह घायल हो चुके थे, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. खून बहता रहा, गोलियां चलती रहीं और उन्होंने अपने साथियों को ललकारते हुए कहा कि जवानों, आज खत्म कर दो इनको. कुछ ही मिनटों बाद उन्होंने अपनी जान देश के लिए न्योछावर कर दी.

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शरीर छलनी था, हौसला नहीं टूटा, BSF SI इम्तियाज ने आखिरी सांस तक की लड़ाई

शरीर छलनी था, हौसला नहीं टूटा, BSF SI इम्तियाज ने आखिरी सांस तक की लड़ाई

'जवानों, आज खत्म कर दो इनको...!' ये शब्द BSF के सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज के थे. ऑपरेशन सिंदूर में गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद अपने साथियों को इन शब्दों से जोश दिला रहे थे. ये घटना ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुई, जब उन्होंने पाकिस्तान के ड्रोन हमले का जवाब देते हुए अपनी जान कुर्बान कर दी.

ऑपरेशन सिंदूर में ल‍िखी वीरता की कहानी

10 मई को जम्मू के खरकोला बॉर्डर पोस्ट (BOP) पर पाकिस्तान की ओर से भारी मोर्टार शेलिंग और ड्रोन अटैक हुआ. BSF की 7वीं बटालियन के सब-इंस्पेक्टर मोहम्मद इम्तियाज और कांस्टेबल दीपक चिंगाखम ने मोर्चा संभाला. इम्तियाज ने बंकर से बाहर निकलकर LMG (लाइट मशीन गन) से एक ड्रोन को मार गिराया जबकि चिंगाखम ने दूसरे ड्रोन को निशाना बनाया. लेकिन तभी एक मोर्टार शेल पास में फट गया, जिसमें दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए.

जान जाती रही पर हौसला नहीं टूटा

इम्तियाज को कई जगहों पर छर्रे लगे, पैर बुरी तरह जख्मी हुए, पेट और गले में गंभीर चोटें आईं. फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपने जवानों को आदेश देते रहे  कि 'जवानों, आज खत्म कर दो इनको!' आखिरकार, उन्होंने ड्यूटी के दौरान शहादत दे दी.

साथी ने भी निभाया फर्ज

कांस्टेबल दीपक चिंगाखम भी बुरी तरह घायल थे. छाती में छर्रे लगे और पैर टूट गया लेकिन उन्होंने इवैक्यूएशन (निकासी) से इनकार कर दिया. साथी को अकेला छोड़ने से मना करते हुए, वे भी लड़ते-लड़ते शहीद हो गए. दोनों शहीदों को वीर चक्र (Vir Chakra) से मरणोपरांत सम्मानित किया गया जो युद्धकाल में मिलने वाला तीसरा सबसे बड़ा वीरता पदक है (परमवीर चक्र और कीर्ति चक्र के बाद).

इसके अलावा, 16 अन्य BSF जवानों को भी ऑपरेशन सिंदूर में असाधारण बहादुरी दिखाने के लिए पुलिस गैलेंट्री मेडल से सम्मानित किया गया. ये कहानी बताती है कि सीमा पर खड़ा हर जवान सिर्फ देश की रक्षा नहीं करता बल्कि अपने प्राणों की आहुति देकर वीरता की नई मिसाल गढ़ता है.

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