भारत और चीन के बीच रिश्ता हाल के दिनों में पहले से बेहतर हुए हैं. रिश्ते को बेहतर करने की नींव आज से छह महीने पहले ही चीन की ओर से रखा गया था. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपंग ने मार्च में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम पर एक गुप्त पत्र लिखा था. इस पत्र में भारत-चीन के संबंध को बेहतर करने के दिशा में प्रमुख कदम बताया गया था. ये पत्र ऐसे समय भेजा गया था, जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ वॉर शुरू करने के संकेत दिए थे.
डेटाबेस प्लेटफॉर्म ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि पत्र चीन के राष्ट्रपति ने भारत-चीन के संबंध को बेहतर करने की इच्छा जाहिर की थी. इस संदेश को बाद में फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पहुंचाया गया.
अमेरिका के दबाव में पहल
चीन के राष्ट्रपति की ओर से ये पत्र ऐसे समय भेजा गया था जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापार को लेकर तनाव बढ़ गया. यह पत्र चीन की ओर से सावधानीपूर्वक और सोच-समझकर भेजा गया था. इसके बाद जून महीने में, लंबे समय बाद नई दिल्ली और बीजिंग के बीच बातचीत शुरू कर दी.
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सीमाओं और द्विपक्षीय संबंधों में सुधार
ब्लूमबर्ग ने बताया कि दोनों देशों के बीच बैकचैनल कम्युनिकेशन (बातचीत के अलग-अलग माध्यमों से) बड़े मुद्दों पर बातचीत की और सुलझाने की कोशिश की.
इसी महीने चीन के विदेश मंत्री वांग यी भारत आए हुए थे. इस दौरान दोनों देशों ने 2020 के गलवान घाटी संघर्ष से उत्पन्न लंबित सीमा मामलों को सुलझाने की कोशिशों को फिर से शुरू करने पर सहमति जताई.
इस दौरे के दौरान चीनी विदेश मंत्री बीजिंग ने फर्टिलाइजर, दुर्लभ पृथ्वी धातु और सुरंग बनाने वाली मशीनों पर भारत की चिंताओं को दूर करने का आश्वासन दिया.
पिछले रुस के काजान में प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति के बीच मुलाक़ात हुई थी, इस मुलाकात के बाद चीन-भारत के संबंध में नया अध्याय देखने को मिला. इसमें गलवान घाटी के पहले की तैनाती की जगहों पर गश्त की वापसी भी शामिल है.
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