दिल्ली-एनसीआर या मुंबई नहीं, प्रॉपर्टी में सबसे ज्यादा रिटर्न दे रहा है ये शहर

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दिल्ली, मुंबई या बेंगलुरू क्या आप जानते हैं पिछले कुछ सालों में भारत के कौन से शहर में रियल एस्टेट सेक्टर में सबसे ज्यादा उछाल देखा गया है? इन्वेस्टमेंट बैंकर सरथक अहूजा के लिंक्डइन पोस्ट के मुताबिक, हैदराबाद पिछले चार साल में रियल एस्टेट सेक्टर में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी 80 फीसदी के साथ भारत का नंबर एक शहर बन गया है. वहीं नोएडा 70 फीसदी के साथ दूसरे नंबर पर और गुड़गांव 60 फीसदी के साथ तीसरे स्थान पर है. दिल्ली और मुंबई इस मामले में पीछे है.

दिल्ली और बेंगलुरू पीछे

दिल्ली और बेंगलुरु में 45 फीसदी की वृद्धि देखी गई है, मुंबई 40 फीसदी की वृद्धि के साथ पीछे है. जबकि चेन्नई 20 फीसदी से कम वृद्धि के साथ लिस्ट में सबसे नीचे है. कोलकाता और अहमदाबाद में 25 फीसदी तेजी देखी गई है और पुणे में करीब 30 फीसदी की वृद्धि रही है. 

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सरथक अहूजा कहते हैं- 'हर शहर में कुछ खास हैं, जहां कोई कह सकता है कि चार साल में कीमतें तीन गुना हो गई, लेकिन हम यहां औसत की बात कर रहे हैं. यह लिस्ट दिखाती है कि पुराने बड़े शहरों की जगह अब नए उभरते शहर रियल एस्टेट में आगे हैं. नाइट फ्रैंक की 2024 की रिपोर्ट भी हैदराबाद के शानदार प्रदर्शन की पुष्टि करती है, जिसमें औसतन 6% सालाना वृद्धि और मेडचल-मल्कजगिरी जैसे इलाकों में 14% तक की बढ़ोतरी का जिक्र है'. 

हालांकि पूरे शहर में ठीक 80 फीसदी की बढ़ोतरी की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन हैदराबाद भारत के रियल एस्टेट बाजार में सबसे लगातार बढ़ने वाले शहरों में से एक है. 

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नोएडा का हो रहा है तेजी से विकास

नोएडा की तरक्की और भी खास है. PropEquity के मुताबिक, 2019 से 2024 तक नए प्रोजेक्ट्स की औसत कीमत 152 फीसदी बढ़ी, यानी चार साल में करीब 100% की वृद्धि. इससे नोएडा शीर्ष स्थान के लिए मजबूत दावेदार है, यह इस बात पर निर्भर करता है कि बढ़ोतरी कैसे मापी जाती है. गुड़गांव की बढ़ोतरी खास इलाकों जैसे द्वारका एक्सप्रेसवे और गोल्फ कोर्स रोड से हुई, जहां साल-दर-साल तेज उछाल देखा गया. फिर भी, पूरे शहर का औसत नोएडा से पीछे है.

बेंगलुरु और मुंबई में स्थिर लेकिन कम बढ़ोतरी हुई, जबकि चेन्नई और कोलकाता जैसे शहर राष्ट्रीय महानगरों के 50% औसत से कम प्रदर्शन कर रहे हैं, अहूजा का शहर-दर-शहर विश्लेषण भारतीय रियल एस्टेट में बदलाव को दर्शाता है, जहां सबसे तेज बढ़ोतरी अब देश के सबसे पुराने बाजारों में नहीं, बल्कि नए उभरते शहरों में हो रही है.

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