सोमवार को स्वीडन स्थित थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट (SIPRI) ने अपनी हालिया ईयरबुक रिलीज की है जिसमें इस बात का खुलासा हुआ है कि किस देश के पास कितना परमाणु बम मौजूद है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी 2025 तक भारत के पास 180 परमाणु बम है जबकि चीन के पास 600 परमाणु बम हो गए हैं. स्वीडिश थिंक टैंक की रिपोर्ट में कहा गया कि चीन अपने परमाणु जखीरे में सालाना 100 नए परमाणु बम जोड़ रहा है जो किसी भी देश की तुलना में बहुत ज्यादा है. यह दुनियाभर में शांति के प्रयासों के लिए खतरा बताया जा रहा है. ऐसे में अपना खुलासा होने के बाद चीन चिढ़ गया है और उसके विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उसके परमाणु हथियार आत्मरक्षा के लिए हैं.
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसकी परमाणु स्ट्रैटेजी 'नो फर्स्ट यूज' यानी पहले इस्तेमाल न करने की रही है. मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, 'चीन एक ऐसी परमाणु रणनीति का पालन करता है जो आत्मरक्षा पर केंद्रित है. चीन हमेशा अपनी परमाणु क्षमताओं को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए न्यूनतम स्तर पर रखता है और कभी भी हथियारों की दौड़ में शामिल नहीं होता है.'
उन्होंने कहा कि, 'चीन किसी भी समय और किसी भी परिस्थिति में परमाणु हथियारों का 'पहले इस्तेमाल न करने' की नीति का पालन करता है. हमने बिना किसी शर्त के गैर परमाणु हथियार वाले देशों और परमाणु मुक्त क्षेत्रों के खिलाफ परमाणु हथियारों के इस्तेमाल न करने या इस्तेमाल करने की धमकी न देने की प्रतिबद्धता जताई है. चीन ऐसी नीति अपनाने वाला एकमात्र परमाणु हथियार संपन्न देश है. चीन अपने वैध सुरक्षा हितों की रक्षा करने और दुनिया को शांतिपूर्ण और स्थिर बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध रहेगा.'
SIPRI की रिपोर्ट पर चीनी एक्सपर्ट ने क्या कहा?
परमाणु हथियारों को लेकर SIPRI की रिपोर्ट पर चीन के सैन्य मामलों के विशेषज्ञ झांग जुनशे ने भी टिप्पणी की है. चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स से बात करते हुए उन्होंने कहा कि रिपोर्ट पश्चिमी एजेंडे से प्रभावित है जो चीन के परमाणु हथियारों और चीन के कथित खतरे की स्थिति को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है. उन्होंने कहा कि इसके जरिए चीन को गलत तरीके से परमाणु निरस्त्रीकरण वार्ता में धकेलने की कोशिश की जा रही है जिस पर चीन कभी राजी नहीं होगा.
SIPRI की रिपोर्ट में कहा गया कि दुनिया में सबसे अधिक परमाणु हथियार अमेरिका और रूस के पास है. दोनों देशों के पास दुनिया का 90% परमाणु हथियार है जिसमें रिटायर कर दिए गए परमाणु बम भी शामिल हैं. रूस के पास 5,459 तो अमेरिका के पास 5,177 परमाणु बम है.
तीसरे नंबर पर चीन है. चीनी एक्सपर्ट ने सवाल किया कि अगर इतनी बड़ी संख्या में परमाणु हथियार रखने वाला अमेरिका चीन पर दबाव बना रहा है तो क्या चीन को अपने परमाणु हथियारों का जखीरा नहीं बढ़ाना चाहिए. उन्होंने यह भी सवाल किया कि अगर निरस्त्रीकरण की बात है तो रूस और अमेरिका को भी अपना परमाणु जखीरा चीन के बराबर घटा लेना चाहिए.
परमाणु हथियारों तो लेकर SIPRI के ईयरबुक में और क्या है?
SIPRI की रिपोर्ट में कहा गया कि रूस, चीन, भारत, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया दोहरी क्षमता वाली मिसाइलें तैनात करते हैं ये सभी अपने परमाणु हथियारों का आधुनिकीकरण कर रहे हैं.
इसमें कहा गया, '2000 के दशक के मध्य तक, केवल फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका ने कई परमाणु हथियारों वाली मिसाइलें तैनात की थीं. तब से, चीन ने परमाणु बम ले जाने वाली दो मिसाइलें विकसित की हैं, जबकि भारत, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया सभी इस दिशा में कोशिश कर रहे हैं.'