पुरुष अभिभावक न अपनाएं तो हमेशा के लिए कैद, कैसी है यमन की वो जेल, जहां निमिषा प्रिया बंद

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केरल की नर्स निमिषा प्रिया का मामला चर्चा में है. उन्हें साल 2017 में अपने बिजनेस साझेदार की हत्या का दोषी माना गया और फांसी की सजा सुनाई गई. भारत सरकार की गुजारिश और धार्मिक गुरुओं में नेगोशिएशन के बीच ये सजा अस्थाई रूप से टल चुकी, लेकिन निमिषा जिस जेल में हैं, वहां के हालात भी मौत उतने ही बदतर हैं. यमन की जेलों को दुनिया की सबसे क्रूर जेलों में गिना जाता है, जहां कथित अश्लीलता के आरोप में भी महिलाओं को जेल भेजा जा सकता है. 

क्यों खराब हैं यमन के हालात

यमन पिछले दशकभर से अस्थिरता में जी रहा है.  साल 2011 में अरब स्प्रिंग के दौरान यहां हूती मिलिशिया काफी सक्रिय हो गई. इस बीच पिक्चर में पड़ोसी देशों की भी एंट्री हुई और देश की स्थिति खराब होती चली गई. लड़ाई-झगड़ों की वजह से यहां न स्कूल-कॉलेज सही स्थिति में हैं, न अस्पताल, और ही सरकारी संस्थान. इस बीच यहां दो सरकारें बन गईं, एक जिसे इंटरनेशनल मान्यता मिली हुई है, और दूसरी हूती विद्रोहियों की सरकार. ये दोनों ही अपने तौर-तरीके और कानून बना रहे हैं. यहां तक कि दोनों की जेलें और सुप्रीम कोर्ट भी अलग हैं. 

चूंकि ये अस्थिर देश है, लिहाजा बिना जांच प्रक्रिया के जेल में डालना कोई बड़ी बात नहीं. ज्यादातर समय केवल शक के आधार पर या फिर महिलाओं के लिए बने नियम तोड़ने के आधार पर उन्हें जेल में डाला जा सकता है. अपराध साबित करने के लिए कोई जांच या सबूत की जरूरत नहीं, बल्कि एक पुरुष की गवाही ही काफी है. अक्सर कथित अश्लीलता फैलाने, जासूसी या मॉरल पोलिसिंग के नाम पर उन्हें पकड़ा जाता रहा. 

nimisha priya indian nurse who got arrested in Yemen (File Photo) केरल की नर्स निमिषा प्रिया साल 2017 से यमन में कैद हैं. (File Photo)

खस्ताहाल हैं जेलों में स्वास्थ्य सुविधाएं

कट्टरपंथी देश होने का सबसे ज्यादा असर पड़ा महिलाओं पर. आम महिलाएं भी वहां घरनुमा जेल में रहती हैं, ऐसे में कैदी महिलाओं की क्या कहें! उनके साथ हर स्तर की हिंसा हो रही है. अक्सर महिलाएं तंग कमरों में रखी जाती हैं, जहां चौबीस घंटों में दो बार ही वॉशरूम के इस्तेमाल की इजाजत होती है. अगर कोई महिला ऐसी बातों का विरोध करे तो उसे अंधेरे कमरे में कैद कर दिया जाता है. यहां साफ-सफाई की भारी कमी है. गर्भवती कैदी अगर जेल पहुंच जाए तो सुरक्षित प्रसव लगभग असंभव है. अगर ऐसा हो भी जाए तो जन्म के बाद संक्रमण से जच्चा-बच्चा की मौत हो जाती है. 

कैद में रहने के दौरान वे वकील या परिवार से संपर्क नहीं कर सकतीं. और सबसे बड़ी बात कि सजा पूरी भी हो जाए तो भी उन्हें तब तक नहीं छोड़ा जाएगा, जब तक कि पुरुष अभिभावक लेने न आ जाए. पुरुष अभिभावकों का आना बेस्ट-केस सीनेरियो है. यमन चूंकि महिला-विरोधी रवैए के लिए जाना जाता रहा इसलिए आमतौर पर जेल जाने वाली महिलाओं को परिवार दोबारा नहीं अपनाता. यानी ये महिलाएं अनंतकाल तक जेल में रह जाएंगी. 

क्या कहते हैं इंटरनेशनल संस्थान

संयुक्त राष्ट्र की लगातार रिपोर्ट्स आती रहीं जो यमनी जेलों में महिलाओं की स्थिति पर बात करती हैं. यूनाइटेड नेशन्स पॉपुलेशन फंड की रिपोर्ट के अनुसार गरीबी और महंगाई की वजह से यहां कैदियों को भरपेट खाना भी नहीं मिल पाता. महिला कैदियों की स्थिति और खराब है. उन्हें एक वक्त का ही खाना मिल पाता है. बच्चों वाली महिला को यही खाना अपने बच्चों के साथ भी शेयर करना पड़ता है. 

houthi rebels in Yemen (Photo- Reuters) यमन में लगभग दो दशक से हूती विद्रोहियों ने हंगामा मचाया हुआ है. (Photo- Reuters)

हूती विद्रोहियों के पास अनाधिकारिक डिटेंशन सेंटर

यमन के बड़े हिस्से पर हूती विद्रोहियों ने कब्जा किया हुआ है. चूंकि ये खुद को सरकार मानते हैं, लिहाजा इनके पास सारा सिस्टम अलग है, जिसमें जेलें भी शामिल हैं. यमन की आधिकारिक जेलों की स्थिति तो खराब है ही, लेकिन हूती विद्रोहियों के कब्जे वाली जेल इससे भी बदतर स्थिति में है. वहां के एक एनजीओ मवात्ना ने साल 2020 में एक रिपोर्ट जारी की थी- इन द डार्कनेस. इसमें साल 2016 से अप्रैल 2020 तक हूती जेलों में महिलाओं की स्थिति पर बात थी. 

दो हिस्सों में आई रिपोर्ट में दावा है कि हूती विद्रोहियों के पास 11 अनाधिकारिक डिटेंशन सेंटर हैं. यहां महिलाओं को जबरन डिटेन करके रखा जाता है और कई बार इतनी हिंसा होती है कि कैद में ही उनकी मौत हो चुकी. इन साइट्स का असल इस्तेमाल लोगों को लंबे समय तक कैद में रखने के लिए होता है. कई बार ये समय सालों या पूरी जिंदगी का हो सकता है. 

कैदी को कितने तरीकों से परेशान किया जा सकता है, इन जेलों की इसी प्रयोग में सबसे ज्यादा दिलचस्पी है. इन द डार्कनेस रिपोर्ट के मुताबिक, कई दिनों के लिए खाना-पानी बंद किया जाना यहां सबसे आसान सजा है. इसके अलावा मारपीट, यौन हिंसा भी यहां आम है.

jails in yemen (Representational photo- Unsplash) मानवाधिकार कार्यकर्ता भी जेल पहुंचते रहे. (Representational photo- Unsplash)

द गार्जियन ने एसोसिएटेड प्रेस को रिपोर्ट करते हुए दावा किया कि मानवाधिकार पर बात करने वाली महिलाओं के लिए ये जेलें सबसे बड़ा खतरा हैं. ज्यादातर ऐसी एक्टिविस्ट्स या तो अंडरग्राउंड हो चुकीं, या फिर कैद मिल गई, जहां से उनकी वापसी शायद ही संभव हो.

देश की राजनीतिक हालत का अंदाजा इसी बात से लगा लीजिए कि यूनाइटेड नेशन्स के एड वर्कर, जिन्हें युद्धग्रस्त इलाकों में भी आमतौर पर इम्युनिटी मिलती है, वे भी हूती विद्रोहियों के आतंक से बचे नहीं. अब तक यूएन समेत कई संस्थानों के दो दर्जन से ज्यादा एक्टिविस्ट जेल भेजे जा चुके. इनमें वे लोग भी शामिल हैं, जो राहत सामग्री बांटा करते थे. 

निमिषा प्रिया किस जेल में 

अब बात करते हैं उस जेल की, जहां निमिषा बंद हैं. वे राजधानी सना की सेंट्रल जेल में रखी गई हैं, जो हूती विद्रोहियों के कब्जे में है. यानी आधिकारिक सरकार का यहां कोई दखल नहीं. हूती विद्रोही ही तय करेंगे कि कैदी किस स्थिति में रखे जाएं. किसी समय पर आतंकियों या देशद्रोहियों के आरक्षित जेल में अब कई श्रेणी के कैदी रखे जाते हैं, जिनमें चोर-डकैत से लेकर हत्या या दूसरे बड़े अपराध करने वाले भी शामिल हैं.

यहां छोटी सेलों में ढेर सारी महिलाएं होती हैं. ज्यादा मुश्किल कैदी के लिए सॉलिटरी कन्फाइनमेंट की भी व्यवस्था है. चूंकि यहां से जानकारी बाहर नहीं जा सकती, लिहाजा ये पक्का नहीं कि निमिषा को किस तरह की कैद मिली हुई है और वे किस स्थिति में हैं. 

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