दिल्ली में साइबर क्राइम का एक चौंकाने वाला बड़ा मामला सामने आया है. यहां एक युवक ने फर्जी ट्रैफिक चालान का झांसा देकर मोबाइल फोन में मालवेयर एप्लिकेशन इंस्टॉल करवाया और फिर पीड़ित का फोन हैक करके 1.58 लाख रुपए उड़ा लिए. दिल्ली पुलिस ने इस सनसनीखेज मामले में पंजाब के जालंधर निवासी 24 वर्षीय अजय कुमार को गिरफ्तार किया है.
उत्तर-पश्चिम जिले के डीसीपी भीष्म सिंह ने बताया कि पीतमपुरा निवासी आयुष गोयल ने साइबर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी. इसके मुताबिक, उन्हें एक फर्जी लिंक के जरिए लंबित ट्रैफिक चालान की सूचना भेजी गई. लिंक पर क्लिक करने के बाद एक एपीके फाइल डाउनलोड करवाई गई, जिसने फोन को हैक कर दिया. इसके बाद बैंक खाते से पैसे उड़ गए.
पुलिस जांच में पता चला कि अजय कुमार ने ठगी की रकम अपने क्रेडिट कार्ड खाते में ट्रांसफर कर ली थी. इसके बाद रकम का ट्रेस रोकने के लिए उसने पैसे को कई अलग-अलग बैंक खातों में विभाजित कर जमा कर दिया. पुलिस ने अजय के पास से अपराध में इस्तेमाल किया गया क्रेडिट कार्ड बरामद कर लिया है. पूछताछ में अजय ने एक और बड़ा खुलासा किया.
🔸North West Police arrest fraudster in ₹1.58L traffic challan scam!
🔸Victims phones hacked via a fake APK file, money siphoned to multiple credit cards and laundered through bank accounts.
✅Credit card was recovered. #DPUpdates🇮🇳 pic.twitter.com/YHMd2uiptJ
उसने बताया कि वह समर नामक शख्स के साथ मिलकर काम करता था. समर पुर्तगाल स्थित एक इंटरनेशनल नंबर के जरिए उससे संपर्क करता था. उसने ही अजय को ठगी की रकम निकालने और अलग-अलग खातों में बांटकर सोर्स छिपाने के निर्देश दिए थे. इसकी जांच पुलिस के लिए आसान नहीं थी. साइबर ठगों ने पुलिस को चकमा देने के लिए पूरी व्यवस्था की थी.
दरअसल, आरबीआई मानकों के मुताबिक पेमेंट एग्रीगेटर क्रेडिट कार्ड का पूरा विवरण स्टोर नहीं करते, जिससे शुरुआती ट्रैकिंग में दिक्कत आई. लेकिन व्यापारी डेटा, एग्रीगेटर रिकॉर्ड और लाभार्थी खातों के बारीकी से विश्लेषण के बाद पुलिस असली लेन-देन तक पहुंचने में कामयाब रही. इसके आधार पर अजय कुमार का लोकेशन जालंधर में ट्रेस किया गया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया.
पुलिस की पूछताछ में सामने आया कि अजय और समर कभी आमने-सामने नहीं मिले थे. दोनों के बीच सिर्फ व्हाट्सएप के जरिए बातचीत होती थी. फिलहाल पुलिस यह जांच कर रही है कि क्या आरोपी अन्य साइबर ठगी के मामलों में भी शामिल रहे हैं. इस केस ने साफ कर दिया है कि ऑनलाइन फ्रॉड का नेटवर्क न सिर्फ राष्ट्रीय, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैला हुआ है.
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