पश्चिम बंगाल सरकार के लिए सोमवार का दिन बड़ी जीत लेकर आया. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी. हाई कोर्ट ने राज्य में मनरेगा (MGNREGA) यानी 100 दिन के रोजगार गारंटी योजना को तीन साल बाद दोबारा शुरू करने का निर्देश दिया था.
क्या है मनरेगा?
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) साल 2006 में यूपीए सरकार के दौरान शुरू हुई थी. इसका मकसद ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को साल में कम से कम 100 दिन का मजदूरी वाला रोजगार देना है ताकि उनकी जीविका सुरक्षित रहे.
तीन साल से बंद थी योजना
केंद्र सरकार ने मार्च 2022 में पश्चिम बंगाल में मनरेगा के फंड जारी करना बंद कर दिया था. केंद्र का आरोप था कि योजना में भ्रष्टाचार हुआ है. अब सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के 18 जून के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा है कि केंद्र सरकार को एक अगस्त से पश्चिम बंगाल में यह योजना दोबारा लागू करनी होगी.
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि जहां भ्रष्टाचार के आरोप हैं, उन मामलों की जांच होनी चाहिए, लेकिन इसके चलते योजना को बंद नहीं किया जा सकता.
अब केंद्र को फिर जारी करने होंगे फंड
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब केंद्र सरकार को पश्चिम बंगाल के लिए मनरेगा फंड जारी करने होंगे. संसद के मानसून सत्र में 22 जुलाई को केंद्र ने कहा था कि ग्रामीण विकास मंत्रालय हाई कोर्ट के आदेश का अध्ययन कर रहा है.
टीएमसी ने बताया ‘ऐतिहासिक जीत’, बीजेपी पर निशाना
तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने इस फैसले को ऐतिहासिक जीत बताया और कहा कि ये बीजेपी के लिए बड़ा झटका है. उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि बंगाल विरोधी बाहरी जमींदारों को एक और करारी हार. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की याचिका खारिज कर दी है. ये बंगाल के लोगों की ऐतिहासिक जीत है जिन्होंने दिल्ली के अहंकार और अन्याय के आगे झुकने से इनकार कर दिया.
अभिषेक ने आगे कहा कि जब बीजेपी हमें चुनाव में नहीं हरा पाई तो उसने आर्थिक नाकाबंदी थोप दी. गरीबों की मजदूरी रोक दी ताकि बंगाल को सजा दी जा सके. लेकिन हमने हर हक की लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की. ये फैसला लोकतंत्र की जीत है और उन लोगों के लिए सबक है जो सोचते थे कि बंगाल को डराया या झुकाया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि बीजेपी सत्ता तो चाहती है लेकिन जवाबदेही नहीं. वे बंगाल से लेते हैं, लेकिन उसका हक लौटाते नहीं. अब उन्हें जनता ने भी हराया और सुप्रीम कोर्ट ने भी.
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