बिजनौर जिले में गंगा नदी पर बना तटबंध कटाव के खतरे का सामना कर रहा है, जिससे आसपास के एक दर्जन से अधिक गांवों के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है. इस स्थिति से घबराए ग्रामीणों ने हाल ही में दौरा करने आए प्रभारी मंत्री कपिल देव अग्रवाल के सामने रो-रोकर मदद की गुहार लगाई और उनके पैर तक पकड़ लिए.
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बिजनौर में मंत्री के सामने गुहार लगाते ग्रामीण (Photo: Screengrab)
उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में गंगा बैराज पर गंगा नदी के तटबंध में कटाव हो रहा है. यह घटना बीते दिनों हुई जब गंगा की तेज धारा ने तटबंध को काटना शुरू किया. इस बीच प्रदेश के कौशल विकास मंत्री और जिले के प्रभारी मंत्री कपिल देव अग्रवाल स्थिति का जायजा लेने पहुंचे. इस दौरान ग्रामीणों ने मंत्री के सामने मदद की गुहार लगाई. लोग रो रहे थे और कुछ ने तो उनके पैर भी पकड़ लिए. यह सब इसलिए हुआ क्योंकि उन्हें डर है कि अगर तटबंध टूटा तो उनके गांव और फसलें पानी में डूब जाएंगी. लोगों का गुस्सा सिंचाई विभाग के खिलाफ भी बढ़ रहा है.
मंत्री के सामने ग्रामीणों ने पकड़े पैर
गंगा की धार पिछले चार दिनों से तटबंध को काट रही थी, लेकिन अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया. दो दिन पहले जब कटाव और बढ़ गया, तब अधिकारियों ने हरकत में आकर बचाव कार्य शुरू किया. तब तक काफी देर हो चुकी थी. अब तक लगभग 500 मीटर तटबंध गंगा में समा चुका है. अगर यह तटबंध टूटता है तो बिजनौर शहर का कुछ हिस्सा और एक दर्जन से ज्यादा गांव डूब सकते हैं. इसी डर से ग्रामीण मंत्री के सामने रोकर गुहार लगा रहे थे. एक शख्स ने कहा- 'मंत्री जी बचा लीजिए, सबकुछ बर्बाद हो जाएगा, मैं आपके पैर पकड़ता हूं.'
मंत्री ने दिए सख्त निर्देश
प्रभारी मंत्री कपिल देव अग्रवाल ने अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि किसी भी हालत में तटबंध को टूटने से बचाना है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने भी किसी भी तरह की जनहानि न होने देने के निर्देश दिए हैं. मंत्री ने अधिकारियों से हर संभव उपाय करने को कहा ताकि लोगों की जान और संपत्ति को सुरक्षित रखा जा सके. दूसरी तरफ, ग्रामीणों और प्रशासन की टीम मिलकर तटबंध को बचाने की कोशिश कर रही है. वे बालू भरे बोरे और बल्लियां लगाकर कटाव रोकने का प्रयास कर रहे हैं.
लोगों ने छोड़े अपने घर
खतरे को देखते हुए प्रशासन ने आसपास के गांवों के लोगों को अपने घर खाली करके सुरक्षित जगहों पर जाने को कहा है. कुछ ग्रामीणों ने अपने घर छोड़कर गांव के ऊंचे स्थानों पर झोपड़ियां बनाकर रहना शुरू कर दिया है. तटबंध अभी भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं है और उसके टूटने का खतरा लगातार बना हुआ है. ग्रामीणों को डर है कि अगर तटबंध टूटा तो उनके घर और फसलें पूरी तरह से तबाह हो जाएंगी, जिससे उनकी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी.
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