ब्रिटेन ने समूह-आधारित बाल यौन शोषण की राष्ट्रीय जांच का ऐलान किया है. इसके बाद एक ऑडिट किया गया. ब्रिटेन की गृह सचिव यवेटे कूपर ने सोमवार को संसद को बैरोनेस लुईस केसी के नेतृत्व में 'समूह आधारित बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार पर राष्ट्रीय ऑडिट' के से नतीजों से अवगत कराया.
ऑडिट में तीन पुलिस बलों के मामलों की जांच की गई. इसमें पाया गया कि संदिग्धों में एशियाई और पाकिस्तानी मूल के पुरुषों का बहुत अधिक प्रतिनिधित्व है. नस्लीय रूप से देखे जाने या सामुदायिक तनाव को भड़काने के डर से जातीयता के बारे में चर्चा से बचने के लिए संस्थानों की भी आलोचना की गई. कूपर ने जोर देकर कहा कि इस तरह की चुप्पी ने केवल गलतफहमी को बढ़ावा दिया है.
ऑडिट का हवाला देते हुए कूपर ने कहा, "ऑडिट में जिस स्थानीय डेटा की जांच की गई, उसमें एशियाई और पाकिस्तानी मूल के संदिग्धों के बीच अत्यधिक प्रतिनिधित्व के सुबूत मिले. उन्होंने ऐसे संगठनों के उदाहरणों का भी हवाला दिया, जो नस्लवादी प्रतीत होने या सामुदायिक तनाव बढ़ाने के डर से इस विषय से पूरी तरह बचते रहे."
गृह सचिव यवेटे कूपर ने आश्वासन दिया कि ब्रिटिश एशियाई और पाकिस्तानी विरासत वाले समुदायों के ज्यादातर लोग ऐसे अपराधों से शामिल हैं और इस बात पर सहमत हैं कि अपराधियों को सख्त कानूनी परिणामों का सामना करना चाहिए. उन्होंने पीड़ितों से माफ़ी मांगने का भी वादा किया और ऐलान किया कि रेप कानूनों को सख्त किया जाएगा. इसके अलावा, बाल वेश्यावृत्ति के लिए पहले से दोषी ठहराई गई कई लड़कियों को बरी कर दिया जाएगा.
यह कदम प्रधानमंत्री कीर स्टारमर द्वारा बैरोनेस केसी द्वारा की गई सभी 12 सिफारिशों को लागू करने का वादा करने के बाद उठाया गया है, जिसमें राष्ट्रीय जांच भी शामिल है.
197 पन्नों की रिपोर्ट में 'समूह-आधारित बाल यौन शोषण' शब्द को 'कई बार कई पुरुषों द्वारा बच्चों के खिलाफ किए गए कई यौन हमलों' से जुड़े अपराधों के लिए एक शब्द के रूप में बताया गया है. इसमें गंभीर दुर्व्यवहार की जानकारी दी गई है, जिसमें जबरन गर्भपात, यौन संचारित संक्रमण और जन्म के समय पीड़ितों से बच्चे छीन लेना शामिल है.
रिपोर्ट में अपराधी की जातीयता का सटीक रिकॉर्ड रखने और अधिकारियों से सभी शोषित नाबालिगों को अपराधी या संदिग्ध नहीं बल्कि बच्चों के रूप में व्यवहार करने का आह्वान किया गया.
टेस्ला के सीईओ एलन मस्क द्वारा ग्रूमिंग गिरोहों से जुड़े पिछले घोटालों से निपटने के यूके सरकार के तरीके की आलोचना करने के बाद इस साल की शुरुआत में यह मुद्दा फिर से सार्वजनिक चर्चा में आया. ऑडिट जल्द ही शुरू किया गया था और तब से अपराधियों की जातीयता के बारे में लंबे वक्त से चली आ रही कहानियों पर सवाल उठाया गया है.