महिला ने जिस AI चैटबॉट को ट्रेन किया, उसी ने छीन ली उसकी नौकरी!

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दुनिया के अलग-अलग कोनों से रोज खबरें आ रही हैं कि AI इंसानों की नौकरियां छीन रहा है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कॉरपोरेट सेक्टर में तेजी से अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है और कर्मचारियों को किनारे कर रहा है. ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला ऑस्ट्रेलिया से सामने आया है, जहां एक बैंक कर्मचारी की नौकरी उसी AI चैटबॉट ने ले ली जिसे ट्रेन करने में उसने खुद योगदान दिया था.

ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े बैंक कॉमनवेल्थ बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया की पूर्व कर्मचारी कैथरीन सुलिवन ने हाल ही में अपना दर्द बयां किया है. 63 साल की सुलिवन ने बैंक में 25 साल तक सेवा दी, लेकिन जुलाई के अंत में उन्हें अचानक नौकरी से निकाल दिया गया. हैरानी की बात यह है कि जिस चैटबॉट को ट्रेन करने में उन्होंने खुद योगदान दिया था, उसी ने उनकी नौकरी छीन ली.

25 साल की नौकरी के बाद झटका

सुलिवन ने 2000 में बैंक जॉइन किया था और हाल ही में वह कस्टमर मैसेजिंग टीम में काम कर रही थीं. 28 जुलाई को उन्हें बताया गया कि अब उनकी सेवाओं की जरूरत नहीं है. भावुक होते हुए उन्होंने कहा कि मैं इतने साल वफादार रही और ये उसका इनाम है? मैंने दिल और जान से काम किया, यूनिफॉर्म गर्व से पहनी, लेकिन बदले में यह मिला.

चैटबॉट जिसे खुद ट्रेन किया

कुछ महीने पहले तक सुलिवन बैंक के चैटबॉट ‘बम्बलबी’ को ट्रेन करने में लगी हुई थीं. उन्होंने इसके लिए स्क्रिप्ट लिखीं, जवाब टेस्ट किए और तब दखल दिया जब बॉट ग्राहकों की क्वेरी हल नहीं कर पाता था. उन्हें उम्मीद थी कि चैटबॉट के लागू होने के बाद उन्हें किसी और भूमिका में भेजा जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सुलिवन  ने कहा अनजाने में मैं उसी चैटबॉट को ट्रेन कर रही थी, जिसने मेरी नौकरी ले ली.
बैंक ने गलती मानी

छंटनी के बाद फाइनेंस सेक्टर यूनियन (FSU) ने इस फैसले को चुनौती दी. बैंक ने दावा किया था कि चैटबॉट हर हफ्ते 2,000 कॉल कम कर रहा है, लेकिन अगस्त में बैंक ने मान लिया कि स्टाफ कम होने के बाद कॉल की संख्या कम होने के बजाय बढ़ गई.

एक बयान में बैंक ने स्वीकार किया कि हमारी शुरुआती आकलन प्रक्रिया में गलती रही, जिन 45 भूमिकाओं को खत्म किया गया, वे वास्तव में अनावश्यक नहीं थीं.बैंक ने यह भी कहा कि भविष्य में ऐसी गलती न हो, इसके लिए आंतरिक प्रक्रियाओं की समीक्षा की जाएगी।

वापसी का ऑफर, लेकिन इंकार

बैंक ने बाद में प्रभावित कर्मचारियों को वापस बुलाने का ऑफर दिया। हालांकि, सभी ने इसे स्वीकार नहीं किया। सुलिवन भी उनमें शामिल थीं। उनका कहना था कि 25 साल की सेवा के बाद इस तरह का अनुभव झेलने के बाद दिए गए पद अब उनके लिए उपयुक्त नहीं हैं.
 

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