लालू यादव के लिए चुनाव से ठीक पहले ‘आंबेडकर के अपमान’ जैसा विवाद कतई ठीक नहीं है. वैसे तो तेजस्वी यादव ने पिता के बचाव में बयान दे दिया है, लेकिन विवाद थम नहीं रहा है. बीजेपी नेता अलग अलग छोर से ताबड़तोड़ हमले कर रहे हैं, और बिहार के SC आयोग ने भी नोटिस देकर लालू यादव से जवाब देने को कहा है.
लालू यादव के जन्मदिन की कुछ तस्वीरें सामने आने के बाद भी विवाद होने लगा था, लेकिन आंबेडकर की तस्वीर को लेकर विवाद ज्यादा बढ़ गया. पहले की तस्वीरों और वीडियो में लालू यादव के राजनीतिक विरोधी उनका अहंकार भाव देख रहे थे. जन्मदिन के मौके पर जब समर्थक और कार्यकर्ता गुलदस्ता देकर बधाई दे रहे थे, तो लालू यादव की तरफ से कोई रिएक्शन नहीं हो रहा था, जिसे लोगों को उनकी तरफ से नजरअंदाज किये जाने के रूप में पेश किया जाने लगा.
‘आंबेडकर के अपमान’ का विवाद तब शुरू हुआ जब बीजेपी के आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने एक वीडियो शेयर करते हुए ये मुद्दा उठाया. अमित मालवीय ने लालू यादव 'बाबा साहेब अंबेडकर का घोर अपमान' किये जाने का आरोप लगाया, और हफ्ते भर बाद फिर से सवाल उठाया है कि लालू यादव ने अब तक माफी क्यों नहीं मांगी?
अमित मालवीय के बाद तो एक एक करके बीजेपी नेता अपने अपने तरीके से लालू यादव पर टूट पड़े हैं. बिहार के नेताओं से लेकर केंद्रीय मंत्रियों तक. बीजेपी नेता आंबेडकर के अपमान का मुद्दा उठाकर लालू यादव को दलित विरोधी नेता के तौर पर पेश कर रहे हैं. आरजेडी के साथ साथ बीजेपी नेता इसके साथ ही कांग्रेस को भी लपेट ले रहे हैं.
दिसंबर, 2024 में जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी आंबेडकर के बहाने अमित शाह को घेर रहे थे, तब चिराग पासवान और जीतनराम मांझी ने बीजेपी नेता का बचाव किया था, अब जबकि लालू यादव आंबेडकर विवाद में फंसे हैं, दोनों नेताओं का रुख देखना दिलचस्प होगा.
क्या है बिहार में ‘आंबेडकर के अपमान’ का मुद्दा
ये विवाद एक वीडियो के जरिए सामने आया है. 11 जून, 2025 को आरजेडी नेता लालू यादव अपना जन्मदिन मना रहे थे. 14 जून को एक वीडियो सामने आया जिसमें लालू यादव कुर्सी पर बैठे देखे जा सकते हैं. सामने दूसरी कुर्सी पर लालू ने पैर रखे हैं. तभी एक समर्थक आंबेडकर की तस्वीर हाथ में लेकर आता है, और लालू यादव के साथ फोटो सेशन चलता है. वीडियो भी बनाया जाता है.
देखने में आता है कि एक व्यक्ति आगे बढ़कर आंबेडकर की तस्वीर ले लेता है. लालू यादव की तरफ से कोई हरकत नहीं होती. ऐसा ही तब भी देखने को मिला था, जब लोग लालू यादव को बुके भेंटकर बधाई दे रहे थे. देखने से लगता है कि समर्थक जो तस्वीर लेकर आया है, लालू यादव को नहीं दिखा होगा. क्योंकि, वो पीछे की तरफ बैठे हैं. अगर पहले देख लिया हो तो अलग बात है. फिर तो लालू यादव को संदेह का लाभ भी नहीं मिल सकता.
सोशल साइट X पर ये वीडियो शेयर करते हुए अमित मालवीय ने लिखा था कि दशकों से खुद को सामाजिक न्याय का पुरोधा बताने वाले लालू यादव ने बाबा साहेब आंबेडकर का घोर अपमान किया है. अमित मालवीय का कहना है, उनके जन्मदिन पर बाबा साहेब की तस्वीर उनके चरणों में रखी गई और लालू यादव ने न तो उसे उठाया, न सम्मान दिया, और न ही छूना तक जरूरी समझा. खुद को सामाजिक न्याय का ठेकेदार बताने वालों को दलित समाज का वोट तो चाहिए, लेकिन उनके आराध्य पुरुष का अपमान करने से नहीं चूकते. जिस बाबा साहेब ने वंचितों को संविधान के जरिए न्याय दिलाया, आज उन्हीं को चरणों में गिरा देना... यह सिर्फ अपमान नहीं, एक मानसिकता का पर्दाफाश है.
विवाद बढ़ने पर लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव बचाव में सामने आये और बीजेपी को बड़का झूठा पार्टी बताया. तेजस्वी यादव ने कहा, बीजेपी को आंबेडकर या संविधान से कोई मतलब नहीं है... लालू यादव ने पूरे बिहार में आंबेडकर की कितनी मूर्तियां लगवाई हैं... हम लोग आंबेडकर की विचारधारा को मानने वाले लोग हैं... बीजेपी के लोग केवल झूठा प्रचार कर रहे हैं.
लालू यादव को नोटिस
बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की तस्वीर के अपमान के आरोप में राज्य के अनुसूचित जाति आयोग की तरफ से बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री को नोटिस भेजा गया है. आयोग ने लालू यादव से 15 दिनों में जवाब देने के लिए कहा है, और स्पष्टीकरण नहीं देने पर एफआईआर दर्ज करने की चेतावनी दी गई है.
बिहार अनुसूचित जाति आयोग के उपाध्यक्ष देवेंद्र कुमार ने राजद प्रमुख लालू यादव को जारी नोटिस में लिखा है, लगातार सोशल मीडिया में आपके जन्मदिन का एक वीडियो देखा जा रहा है. आप और आपके एक कार्यकर्ता द्वारा संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के फोटो का अपमान किया जा रहा है. अतः आपको निर्देश दिया जाता है कि उक्त वीडियो के संबंध में 15 दिनों के भीतर आप आयोग के समक्ष अपना पक्ष रखें, अन्यथा यह समझा जाएगा कि आपने जानबूझकर यह कृत्य किया है.
लालू यादव पर बीजेपी के हमलों का असर क्यों नहीं
बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, पूर्व बिहार बीजेपी अध्यक्ष नित्यानंद राय और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने भी लालू यादव को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है. सभी की कोशिश दलित समाज के नाम पर लालू यादव को घेरने की लगती है. केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल कहते हैं, लालू प्रसाद यादव का 11 जून को जन्मदिन था... उस दिन कोई बाबा साहेब की मूर्ति उन्हें भेंट देने आता है, लेकिन वो अहंकार में यह भूल गए कि संविधान को लागू हुए 75 साल होने पर उनके सम्मान में लोग बाबा साहेब की मूर्ति भेंट दिए... दलितों और पिछड़ों के मसीहा बाबा साहेब का अपमान करते हैं, और अहंकार की मुद्रा में बैठे हैं... और तो और वो माफी भी नहीं मांग रहे हैं... इससे उनका दोहरा चरित्र नजर आता है, ऐसे अहंकारी नेता को बिहार की जनता सबक सिखाने वाली है.
बीजेपी नेता हमलावर हैं, और अमित मालवीय मुहिम जारी रखे हुए हैं. लिखते हैं, पटना की सड़कों पर दिखे पोस्टर ने एक बार फिर आरजेडी की दलित विरोधी मानसिकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं... पोस्टर में सीधा सवाल... 7 दिन हो गए, अब माफी कब मांगेंगे लालू और तेजस्वी? बाबा साहेब आंबेडकर के अपमान पर अब तक चुप्पी क्यों? क्या यही है सामाजिक न्याय का दावा?
बीजेपी के निशाने पर आने के बावजूद लालू यादव खामोश हैं. रिएक्ट नहीं कर रहे हैं. क्या लालू यादव बीजेपी के हमलों का जवाब देने के लिए किसी खास मौके का इंतजार कर रहे हैं? पिछले साल आंबेडकर के अपमान का मुद्दा उछलने के बाद अमित शाह को तो सफाई देनी पड़ी थी. आखिर बीजेपी लालू यादव पर दबाव क्यों नहीं बना पा रही है?