'किसी के निजी जीवन में दखल क्यों?', मोहन भागवत की 3 बच्चों की सलाह पर ओवैसी का संघ प्रमुख पर हमला

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AIMIM Chief Asaduddin Owaisi speaks on Mohan Bhagwat's 3-child push: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने भारत के जन्म दर में गिरावट पर चिंता जताते हुए 'तीन बच्चे' पैदा करने की वकालत की है. उन्होंने भारतीयों से तीन संतान पैदा करने की अपील की है. इसपर उन्हें आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ रहा है. AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तीन बच्चों की वकालत पर कहा कि ये महिलाओं पर बोझ डालेगा. परिवार के निजी जीवन में दखल मत दीजिए.

समाचार एजेंसी पीटीआई से बातचीत करते हुए ओवैसी ने कहा, 'RSS मुस्लमानों के खिलाफ नफ़रत फैलाने वाली संगठन है. मुसलमानों की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है. 2011 की जनगणना के मुताबिक मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि में पहले से गिरावट आई है. यह 14.23 प्रतिशत है, जबकि हिंदुओं की संख्या करीब 80 प्रतिशत है.'

तीन बच्चों की वकालत पर क्या बोले ओवैसी?

असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि किसी के निजी जीवन में दखल क्यों देना है? यह बिल्कुल पारिवारिक मामला है. आपको क्या है कि पारिवारिक मामले में दखल दें. भारतीय महिलाओं की अपनी प्राथमिकताएं हैं. तीन बच्चों की वकालत करना RSS की दोहरी सोच को उजागर करता है. 

VIDEO | AIMIM Chief Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) said, “Since its inception, the RSS has continuously spread the false notion that the growing Muslim population will overtake the Hindu population. The Total Fertility Rate (TFR) of Muslims has declined, and the rate of decline… pic.twitter.com/FzypjxovV6

— Press Trust of India (@PTI_News) August 29, 2025

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उन्होंने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि युवाओं को लेकर बात क्यों नहीं हो रही है. हमारी 60 फीसदी जनसंख्या युवा है. बीजेपी और RSS, दोनों युवाओं को नौकरी देने में फेल हो गए हैं. आप इस चीज़ के बारे में चर्चा नहीं कर रहे हैं और आप तीन बच्चे पैदा करने की वकालत कर रहे हैं. आप भारतीय महिलाओं पर बोझ डाल रहे हैं.

मोहन भागवत ने क्या कहा था?

मोहन भागवत ने हाल ही में तीन बच्चे पैदा करने के मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए हैं. उनका का मानना है कि देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिए परिवार नियोजन एक आवश्यक विषय है, लेकिन इसे केवल सीमित जनसंख्या नियंत्रण के दृष्टिकोण से नहीं देखना चाहिए.

भागवत ने कहा कि तीन बच्चे तक सीमित परिवार रखना आज के समय की आवश्यकताएं समझते हुए उचित कदम हो सकता है. उनका तर्क है कि जब परिवार में तीन बच्चे होते हैं, तो वह परिवार की खुशहाली और बच्चों के स्वस्थ विकास पर ध्यान केंद्रित कर सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि तीन बच्चों का विचार इसलिए भी प्रासंगिक है क्योंकि इससे सामाजिक और आर्थिक जिम्मेदारियों को संतुलित किया जा सकता है.

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