हरियाणा के बहादुरगढ़ में मंगेशपुर ड्रेन टूटने के बाद हालात बेहद गंभीर बने हुए हैं. भारी बारिश और ड्रेन ओवरफ्लो होने से औद्योगिक क्षेत्र से लेकर आवासीय कॉलोनियां पानी में डूब चुकी हैं. हालात से निपटने के लिए सेना की टीम बुलानी पड़ी है. आर्मी की डोट डिवीजन हिसार से आए 80 से ज्यादा जवान SDRF के 40 जवानों के साथ राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए हैं.
ड्रेन के टूटने से शहर के विवेकानंद नगर और छोटूराम नगर पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं. घरों में चार से पांच फीट तक पानी घुस चुका है, जिससे लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. औद्योगिक क्षेत्र में भी पानी भर गया है. मारुति कंपनी के स्टॉकयार्ड में खड़ी 150 से ज्यादा गाड़ियां पानी में डूब चुकी हैं. इससे करोड़ों का नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है.
सेना और SDRF की टीमें आठ नावों और चार नावों के साथ मौके पर काम कर रही हैं. उनका मुख्य ध्यान मंगेशपुर ड्रेन के कटाव को रोकने और तटबंध को मजबूत करने पर है. तेज बहाव के कारण दिक्कतें आ रही हैं, लेकिन समाधान के लिए युद्धस्तर पर काम जारी है. सेना ने लोहे के जालीनुमा बड़े बॉक्स तैयार कर कटाव के पास लगाए हैं, जिनमें प्लास्टिक बैग्स में मिट्टी भरकर डाली जा रही है ताकि पानी के बहाव को रोका जा सके.
सिंचाई विभाग और नगर परिषद के 100 से ज्यादा कर्मचारी भी मौके पर तैनात हैं. कर्मचारियों की सुरक्षा और सेहत को देखते हुए सेना ने मेडिकल कैंप लगाया है. वहीं, सिंचाई विभाग की ओर से चाय, बिस्कुट, फल और सूखे राशन जैसी सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. सिंचाई विभाग के एक्सईएन ईशान सिवाच खुद मौके पर डटे हुए हैं और काम की निगरानी कर रहे हैं.
ईशान सिवाच ने बताया कि औद्योगिक एरिया की कई फैक्ट्रियों में पानी भर गया है, जिससे उत्पादन ठप पड़ गया है. उन्होंने कहा कि ट्रैक्टरों की मदद से मिट्टी के बैग तटबंध कटाव से करीब 100 मीटर पहले तक पहुंचाए जा रहे हैं. वहां से सेना की नावों के जरिए ये बैग कटाव वाले हिस्से तक ले जाए जा रहे हैं. उम्मीद है कि आज ड्रेन का कटाव पूरी तरह बंद कर लिया जाएगा और हालात कुछ हद तक काबू में आ जाएंगे.
इस बीच, प्रशासन ने बाढ़ राहत प्रबंधन के लिए एसडीएम कार्यालय में कंट्रोल रूम स्थापित किया है. अगर हालात बिगड़ते हैं तो प्रशासन अस्थायी आश्रय स्थलों की व्यवस्था करने के लिए भी तैयार है. विवेकानंद नगर कॉलोनी में तो हालात बेहद खराब हैं, यहां घरों के भीतर तक पानी घुस चुका है. कई परिवार अपने घरों की छतों पर शरण लेने को मजबूर हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि मंगेशपुर ड्रेन के टूटने से उनकी रोजमर्रा की जिंदगी थम गई है. छोटे दुकानदारों से लेकर फैक्ट्री मालिकों तक, हर कोई पानी भरने से परेशान है. वहीं, वाहन मालिकों को भी भारी नुकसान का डर सताने लगा है क्योंकि कई दोपहिया और चारपहिया वाहन पानी में डूब गए हैं. बहादुरगढ़ की यह स्थिति एक बड़े संकट की तरह सामने आई है.
सेना, SDRF, सिंचाई विभाग और नगर परिषद लगातार राहत कार्यों में लगे हुए हैं. लेकिन जब तक ड्रेन के कटाव को पूरी तरह बंद नहीं किया जाता और पानी का बहाव नियंत्रित नहीं होता, तब तक राहत की उम्मीद कम ही है. प्रशासन ने लोगों से धैर्य बनाए रखने और अनावश्यक रूप से प्रभावित इलाकों में न जाने की अपील की है.
लोगों की सबसे बड़ी उम्मीद यही है कि जल्द से जल्द कटाव पर काबू पाया जाए और पानी का बहाव रुक सके, जिससे बहादुरगढ़ के औद्योगिक और रिहायशी इलाकों को राहत मिल सके. सेना और प्रशासन का दावा है कि स्थिति पर नजर रखी जा रही है और किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं.
हिसार में घग्गर ड्रेन टूटी, 1500 एकड़ फसल जलमग्न
हरियाणा के हिसार जिले में घग्गर ड्रेन ने एक बार फिर विकराल रूप ले लिया है. अल सुबह करीब 4 बजे गुड़िया खेड़ा के पास मोडिया खेड़ा गांव में ड्रेन का तटबंध टूट गया. कुछ ही घंटों में दरार 80 फीट तक फैल गई और पानी तेजी से खेतों में घुस गया. इस हादसे से करीब 1500 एकड़ फसल पूरी तरह डूब गई. ग्रामीणों के मुताबिक दर्जनों ढाणियों में पानी का स्तर 6 से 7 फीट तक पहुंच गया है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. किसानों की मेहनत से तैयार पक्की फसलें बर्बाद हो गईं और अब वे सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
मौके पर डेरा सच्चा सौदा के स्वयंसेवक और ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स पहुंची और तटबंध को बांधने का प्रयास शुरू किया. उनका कहना है कि पानी का बहाव तेज है और कई जगह गहराई 8 से 9 फीट तक है, फिर भी कोशिशें जारी हैं. राहत दलों को उम्मीद है कि शाम तक कटाव को पूरी तरह से बंद कर लिया जाएगा.
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