'तू जाकर खा ले, मैं कहीं नहीं जा रही', ये आखिरी शब्द उस पीहू के थे जो हड्डियों के कैंसर से जूझ रही थी और मौत के अंतिम पलों में भी उसे अपने भाई की चिंता थी.
दरअसल राजस्थान के जालोर जिले में पचानवा गांव की रहने वाली 27 साल की प्रियंका उर्फ पीहू, हड्डियों के कैंसर (Ewing Sarcoma) से जूझते हुए जीवन के आखिरी पलों को भी पूरे हौंसले और मुस्कान के साथ जी कर इस दुनिया को अलिवाद कह गईं. पीहू ने 2 सितंबर को अंतिम सांस ली, लेकिन उसे आखिरी लम्हों में भी परिवार और अपने भाई की चिंता थी.
अंतिम समय में भी थी भाई की चिंता
अपना अंतिम जन्मदिन मनाने के बाद जब 2 सितंबर की दोपहर को उसकी तबीयत बिगड़ रही थी, तब भी उसने अपने भाई जयपाल की चिंता करते हुए कहा, 'तूने खाना नहीं खाया है, जाकर खा ले, मैं कहीं नहीं जा रही.'
हालांकि इसके कुछ देर बाद ही प्रियंका ने मुस्कान के साथ दुनिया छोड़ दी. उसकी मौत के बाद डॉक्टरों ने भी कहा कि उन्होंने जितने कैंसर मरीज देखे हैं, प्रियंका उनमें सबसे अलग थीं, उन्होंने दर्द को छुपाकर परिवार को जीने की सीख दी.
कैंसर से पीड़ित थी पीहू
दरअसल प्रियंका को जनवरी 2023 में शादी के कुछ समय बाद पैरों में दर्द हुआ, जिसे शुरुआत में साधारण समझा गया. लेकिन जब दर्द धीरे-धीरे हड्डियों तक पहुंचा तो उन्होंने डॉक्टर से इसकी जांच कराई.
मुंबई में हुई MRI रिपोर्ट से पता चला कि उन्हें दुर्लभ प्रकार का कैंसर है. मार्च 2023 में पहली, जून 2024 में दूसरी और अगस्त 2024 में तीसरी सर्जरी के बावजूद बीमारी फैलती गई. डॉक्टरों ने परिवार को बता दिया था कि ज्यादा समय नहीं बचा है.
ICU में मनाया था जन्मदिन
इसके बावजूद प्रियंका ने जिंदगी को आखिरी सांस तक मुस्कुराकर जिया. 25 अगस्त को ICU में जब सभी रिश्तेदार और ससुराल वाले आए, तो उन्होंने अचानक कहा – “एक केक लाओ, मैं अपने आखिरी पलों को यादगार बनाना चाहती हूं. अस्पताल के ICU में छोटा-सा जन्मदिन जैसा जश्न हुआ और फिर इसके साथ दिनों बाद पीहू की कैंसर से मौत हो गई.
बेटी की मौत पर पिता नरपत सिंह ने भावुक होकर कहा, लाडली पीहू ने हमें सिखाया कि चाहे हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों, जीना मुस्कुराकर ही चाहिए. प्रियंका की यह सीख परिवार और समाज के लिए प्रेरणा बन गई है.
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