'थप्पड़ से ज्यादा दुख इस बात का है...', जिस प्रोफेसर पर DUSU ज्वाइंट सेक्रेटरी ने हाथ उठाया उनकी आपबीती

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दिल्ली यूनिवर्सिटी — सालभर भले सिलेबस और सेमेस्टर में उलझी रहे, लेकिन छात्रसंघ चुनाव आते ही कैंपस का माहौल बदल जाता है. अबतक छात्रों के गुटों के आपसी झगड़े आम थे, लेकिन बीते कुछ सालों से 'छात्र नेता' कॉलेज प्रशासन पर हावी हैं. इसी कड़ी में 16 अक्टूबर को यूनिवर्सिटी के बी.आर. आंबेडकर कॉलेज (BRAC) का एक वीडियो सामने आया.

यमुना विहार में मौजूद BRAC के अंदर DUSU (दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन) के अध्यक्ष आर्यन मान और ज्वाइंट सेक्रेटरी दीपिका झा पहुंचे थे. दीपिका यहां कहासुनी के बाद प्रोफेसर को दो थप्पड़ जड़ देती हैं. वो भी प्रिंसिपल और पुलिसवालों के सामने और कोई कुछ नहीं कर पाता.

सुजीत कुमार — नाम सुनने में आम लगे, पर जिम्मेदारी बड़ी थी. कॉमर्स पढ़ाते हैं, और कॉलेज की डिसिप्लिन कमेटी के अध्यक्ष भी हैं.  लेकिन विडंबना देखिए— उसी डिसिप्लिन इंचार्ज को प्रिंसिपल रूम के अंदर सबके सामने थप्पड़ मारे गए.

सुजीत कुमार कहते हैं, '16 अक्टूबर को क्या हुआ, ये समझना है तो एक दिन पीछे लौटना होगा.' मतलब, कहानी थप्पड़ से शुरू नहीं होती, उसकी भूमिका एक दिन पहले ही लिखी जा चुकी थी. 

NSUI vs ABVP की लड़ाई, प्रोफेसर पर आई

सुजीत बताते हैं, 'असल में ये झगड़ा किसी एक थप्पड़ या किसी एक दिन का नहीं था, ये तो NSUI और ABVP की पुरानी खींचतान का नतीजा था.' इसे समझाते हुए उन्होंने कहा, DU के कई कॉलेज ऐसे हैं जो स्वायत्त या ऑफ-कैंपस होने की वजह से DUSU से जुड़े नहीं है.

ये DU के कॉलेज तो हैं लेकिन इनका दिल्ली यूनिवर्सिटी छात्रसंघ से लेना-देना नहीं है. ऐसे कॉलेजों में बस कॉलेज लेवल का चुनाव होता है, यूनिवर्सिटी लेवल वाला नहीं.

BRAC भी DUSU में नहीं है. लेकिन छात्रों से जुड़े रहने के लिए छात्र संगठन अपने नाम पर इन कॉलेजों में उम्मीदवारों को उतारते हैं.

सुजीत कहते हैं, 'ABVP कॉलेज के चुनाव में अपनी पकड़ बनाना चाहती थी. NSUI के सपोर्ट से जो उम्मीदवार खड़ा था, उसे पर्चा ही नहीं भरने दे रही थी.'

अब अनुशासन संभालना सुजीत की ज़िम्मेदारी थी — कॉलेज की डिसिप्लिन कमेटी के चेयरमैन थे वो, यानी कैंपस के भीतर की “छोटी पुलिस”. उनका काम था माहौल शांत रखना, झगड़े रोकना, और ज़रूरत पड़ने पर कार्रवाई की सिफारिश करना.

अब जैसे-तैसे करके NSUI के सपोर्ट से खड़े उम्मीदवार राजवर्धन सिंह ने पर्चा भर दिया. वह चुनाव जीतकर अध्यक्ष भी बन गया. लेकिन 23 सितंबर को वही राजवर्धन फिर सुजीत के कमरे में आ पहुंचा — इस बार शिकायत लेकर. उसका आरोप था कि ABVP के कुछ समर्थक छात्रों ने उसे यूनियन रूम से जबरन बाहर धकेल दिया.

राजवर्धन के सारे आरोपों में एक छात्र का नाम कॉमन था. हिमांशू चौधरी. NSUI के समर्थकों को पीटने के आरोप के बाद उसे सस्पेंड भी किया गया था. लेकिन सुजीत का दावा है कि वह सस्पेंशन के बाद भी कॉलेज आता रहा.

अब आया 15 अक्टूबर यानी कॉलेज छात्रसंघ की शपथग्रहण का दिन. सुजीत के मुताबिक, इवेंट के दौरान छात्र हिमांशू अपने साथियों के साथ NSUI मुर्दाबाद के साथ-साथ कुछ अभद्र नारे लगाते घूम रहा था. उन छात्रों को कॉलेज के ही एक प्रोफेसर हवा दे रहे थे और सुजीत के समझाने पर भी वे लोग नहीं माने.

उस दिन को याद करते हुए सुजीत बताते हैं, 'शपथग्रहण के बाद डीजे पर डांस चल रहा था. प्रिंसिपल को कुछ काम था तो वो प्रोग्राम की पूरी जिम्मेदारी मुझपर छोड़कर कॉलेज से चले गए. तब ही अध्यक्ष राजवर्धन दौड़ता हुआ मेरे पास आया और बोला कि हिमांशू और उसके साथी मुझे पीट रहे हैं सर, आप साथ चलिए.'

सुजीत के मुताबिक, वे कैंटीन के पास घटनास्थल पर पहुंचे तो वहां हिमांशू खड़ा था. सुजीत उससे पूछताछ कर ही रहे थे कि एक प्रोफेसर ने आकर हिमांशू की साइड ली, फिर उनपर ही ABVP के खिलाफ साजिश के आरोप लगा दिए. इस बीच राजवर्धन ने PCR बुला ली थी. मामला कॉलेज के अंदर का था. तो पुलिस ने शिकायत तो दर्ज नहीं की.

लेकिन डिसिप्लिन कमेटी ने सोच लिया था कि वो छात्र हिमांशू को आखिरी वार्निंग देंगे और अगर फिर कुछ हुआ उसे रस्टिकेट कर देंगे. सुजीत के मुताबिक, इसकी भनक किसी तरह AVBP समर्थक छात्रों को लगी और उन्होंने 16 अक्टूबर को DUSU नेता आर्यन मान और दीपिका झा को कॉलेज बुला लिया.

स्टाफ रूम में टीचर्स बने ढाल

सुजीत कहते हैं, 'आर्यन मान और दीपिका करीब 60-70 छात्रों को लेकर फर्स्ट फ्लोर पर स्टाफ रूम में घुसे. वे सब लोग मेरी तरफ ऐसे बढ़ रहे थे जैसे मुझपर हमला कर देंगे. लेकिन टीचर्स और नॉन टीचिंग स्टाफ मेरे आगे ढाल की तरह खड़ा था. दीपिका को मेरी तरफ आने से फीमेल टीचर्स ने ही रोका.'

इस बीच कॉलेज प्रशासन ने पुलिस को बुला लिया था. छात्रों की बढ़ती भीड़ देख पुलिस ने सुजीत को ग्राउंड फ्लोर पर मौजूद प्रिंसिपल ऑफिस में बैठा दिया.

सुजीत कहते हैं, 'तब ही कहीं से आर्यन मान और दीपिका के साथ कुछ और लोग भी प्रिंसिपल रूम में आ गए. वे मुझे अभद्र भाषा में कुछ-कुछ बोलने लगे. पुलिस ने किसी तरह उन्हें बैठाया.'

सुजीत आगे बताते हैं — 'दीपिका और आर्यन मुझसे सीधे बोले कि आप ABVP के खिलाफ साजिश रच रहे हैं, जानबूझकर ABVP कार्यकर्ताओं पर एक्शन ले रहे हैं, और इसलिए आपको डिसिप्लिन कमेटी से हटना होगा.'

सुजीत कहते हैं, 'मैंने कहा — ठीक है, लो मैं रिजाइन करता हूं. मैंने तुरंत कमेटी के सोशल मीडिया ग्रुप पर रिजाइन पोस्ट कर दिया. मेरी पूरी टीम वहीं, मौके पर, ऑन-द-स्पॉट रिजाइन दे चुकी थी.'

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई. दीपिका ने कहा, “ऐसा नहीं चलेगा, लिखित में दो.' सुजीत का जवाब था, 'ठीक है, कागज मंगाओ, अभी लिखित में दे देता हूं.'

बराबर में आकर बैठी और जड़ दिए थप्पड़

इसके बाद दीपिका और आर्यन दोनों बाहर चले गए. फिर कुछ देर में फिर लौटकर आए बोले कि आप कॉलेज में सिगरेट पीते हो. इसका हमपर सबूत है. मैंने कहा मैं कॉलेज का बाहर पीता हूं, अंदर नहीं.

इसके बाद दीपिका अचानक आकर मेरे बगल में बैठ गई. मैंने SHO से कहां कि इनको यहां से हटाइए. इतनी ही देर में दीपिका खड़ी हुईं और मुझे दो थप्पड़ मार दिए. पुलिस और प्रिंसिपल देखते रह गए.

अपने ऊपर लगे आरोपों पर सुजीत कुमार कहते हैं — '32 साल हो गए पढ़ाते हुए, रिटायरमेंट का कुछ समय बचा है, और अब ऐसे आरोप लग रहे हैं कि शायद जिंदगी भर याद रहेंगे. थप्पड़ से ज्यादा तकलीफ तो चरित्र हनन की है.'

वे आगे बताते हैं, 'दीपिका ने आरोप लगाया कि मैंने उन्हें घूरा, उनपर हंसा, जबकि सच ये है कि वो प्रिंसिपल रूम में एक घंटे से ज्यादा रही होंगी, और मैंने कुल मिलाकर उन्हें एक मिनट भी ठीक से नहीं देखा. वे बोल रही हैं कि मैंने उन्हें गंदे शब्द कहे, जबकि पूरे वीडियो में साफ दिखेगा कि मैंने बस यही कहा — 'आप प्रिंसिपल से बात कीजिए. दीपिका बोल रही हैं कि मैं शराब पीकर कॉलेज आता हूं, खुद सोचिए ऐसा होता तो क्या स्टाफ मुझे चुनकर डिसिप्लिन कमेटी का अध्यक्ष बनाता.'

सुजीत का आगे आरोप है कि प्रिंसिपल ने भी इस मैटर में उनका साथ नहीं दिया. फिलहाल यूनिवर्सिटी और कॉलेज लेवल पर अलग-अलग दो कमेटी बनी हैं. लेकिन दोनों ने ही एक हफ्ता बीत जाने के बावजूद उनसे (पीड़ित) संपर्क नहीं किया है. 

सुजीत ने कहा, 'वाइस चांसलर ने छात्र नेता दीपिका को सस्पेंड करने की जगह बस कमेटी बनाई है. जबकि सारे सबूत वीडियो फुटेज में साफ दिख रहे हैं.' प्रोफेसर का ये भी आरोप है कि पुलिस और प्रिंसिपल ने मामले में दर्ज FIR की कॉपी अबतक उनको नहीं दी है.

क्या बोले BRAC अध्यक्ष

इस मामले पर हमने बी.आर. आंबेडकर कॉलेज के अध्यक्ष राजवर्धन सिंह से भी बात की. उन्होंने बस इतना कहा कि 15 अक्टूबर को उनके साथ मारपीट हुई थी. 16 अक्टूबर को वो जल्दी घर चले गए थे, इसलिए दीपिका झा के थप्पड़ कांड के बारे में उनके पास ज्यादा जानकारी नहीं.

फिलहाल कॉलेज 17 तारीख से बंद है और 27 तारीख को पढ़ाई फिर से शुरू होगी. यानी कैंपस फिलहाल खामोश है, लेकिन छात्र राजनीति की हलचल और विवाद की गूंज अब भी दीवारों के भीतर गूंज रही है. ऐसे में छुट्टियों के बाद कैंपस में जो भी लौटेगा, उसे वही पुरानी राजनीतिक तकरार और दबाव का सामना करना होगा.

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