केरल की एक फास्ट ट्रैक विशेष अदालत ने नौ साल की एक मासूम बच्ची के अपहरण और बलात्कार के मामले में सुनवाई करते हुए दोषी को दोहरी उम्रकैद की सजा सुनाई है. यही नहीं, अदालत ने दोषी पर सत्तर हजार रुपये से ज्यादा का जुर्माना भी लगाया है.
पीटीआई के मुताबिक, सोमवार को एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 40 वर्षीय व्यक्ति को मई 2024 में होसदुर्ग में नौ साल की बच्ची का अपहरण कर उसके साथ बलात्कार करने के जुर्म में दोहरी उम्रकैद की सजा सुनाई है.
अदालत के आदेश के अनुसार, कर्नाटक के कोडागु जिले के नापोक्लू निवासी पी. ए. सलीम को शेष जीवन जेल में ही बिताना होगा. अदालत ने दोषी पर कुल 71,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
फास्ट ट्रैक कोर्ट के न्यायाधीश सुरेश पी.एम. ने दोषी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 449 के तहत दस साल की कैद और 10,000 रुपये के जुर्माने, धारा 369 के तहत सात साल और 5,000 रुपये, धारा 370(4) के तहत आजीवन कारावास और 5,000 रुपये, धारा 506(2) के तहत सात साल और 5,000 रुपये, धारा 342 के तहत एक साल और 1,000 रुपये, और धारा 394 के तहत दस साल और 25,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है.
इसके अतिरिक्त, उसे यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा 6(1) और 5(एम) के तहत भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.
अदालत ने आदेश दिया कि दोषी सलीम की बहन सुहैबा (21), जो कन्नूर के कुथुपरम्बा में रहती है, को आईपीसी की धारा 441 के तहत पीड़िता के चुराए हुए आभूषण बेचने में उसकी मदद करने के लिए एक दिन की अदालती कार्यवाही के दौरान जेल में बिताने और 1,000 रुपये का जुर्माना लगाने की सजा सुनाई गई.
विशेष लोक अभियोजक गंगाधरन ने कहा कि दोषसिद्धि पीड़िता द्वारा टॉर्च की रोशनी में आरोपी की पहचान और उसके कपड़ों से मिले डीएनए साक्ष्य पर निर्भर करती है.
यह घटना 15 मई, 2024 को कन्हानगढ़ में हुई थी, जब लड़की अपने दादा के घर पर सो रही थी. दोषी ने कथित तौर पर उसका अपहरण किया था, उसका यौन उत्पीड़न किया था. यही नहीं, दोषी ने उसके आभूषण चुरा लिए थे और उसे धान के खेत में छोड़ दिया था.
इस घटना के 10 दिन बाद होसदुर्ग पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था, एक महीने के भीतर जांच पूरी की और आरोप पत्र दाखिल किया जनवरी में शुरू हुए मुकदमे में 60 गवाहों, 117 दस्तावेजों और 17 भौतिक वस्तुओं की जांच की गई. उन्होंने बताया कि सलीम पर एक अन्य पोक्सो अधिनियम का मामला भी चल रहा है, जिसकी सुनवाई वर्तमान में उसी अदालत में चल रही है.
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