अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए दावे ने दुनिया को चौंका दिया है. ट्रंप का कहना है कि पाकिस्तान परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहा है. उन्होंने कहा कि रूस और चीन भी परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहे हैं. ऐसे में अमेरिका को फिर से परमाणु परीक्षण शुरू करने की जरूरत है.
ट्रंप ने ये भी दावा किया कि अमेरिका के पास इतने परमाणु हथियार हैं कि दुनिया को 150 बार नष्ट किया जा सकता है, लेकिन रूस और चीन की गतिविधियों के चलते टेस्ट करना जरूरी है. लेकिन ट्रंप की जिस बात ने पूरे दक्षिण एशिया को हैरान कर दिया है, वो है पाकिस्तान के परमाणु हथियारों के परीक्षण वाली बात. आइए देखते हैं, आखिर डोनाल्ड ट्रंप की बात में कितना दम है?
भारत और पाकिस्तान, दोनों ही देशों के पास, परमाणु हथियार हैं और जब दोनों के बीच, तनाव बढ़ता है तो दुनिया की नज़र भारत-पाकिस्तान के परमाणु ज़खीरे पर होती है. हालांकि परमाणु हथियारों को लेकर भारत और पाकिस्तान की नीति अलग अलग है. पाकिस्तान की नीति है कि अगर उसे अपनी सुरक्षा पर खतरा महसूस हो तो वो पहले परमाणु हथियार इस्तेमाल कर सकता है. इसे फर्स्ट यूज़ पॉलिसी कहा जाता है. हालांकि भारत की पॉलिसी है कि वो पहले परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं करेगा.
ट्रंप की जी-हजूरी में लगा पाकिस्तान
जब पहलगाम आतंकी हमले के बाद, भारत और पाकिस्तान के बीच जंग छिड़ी, तो ऑपरेशन सिंदूर के सामने पाकिस्तान ने 4 दिन में ही सरेंडर कर दिया. क्योंकि भारत ने पाकिस्तान के ना सिर्फ 9 आतंकी अड्डे ध्वस्त कर दिये, बल्कि 11 एयरबेस भी उड़ा दिये.
भारत से जंग में मात खाया पाकिस्तान सीधे अमेरिका की गोद में जा बैठा. जी हां फील्ड मार्शल आसिम मुनीर और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ, दोनों ही ट्रंप के तलवे चाटने में लगे हुए हैं. अब डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को लेकर एक बड़ा दावा कर दिया है, जी हां ट्रंप ने कहा है कि नॉर्थ कोरिया, रूस, चीन और पाकिस्तान परमाणु हथियारों का परीक्षण कर रहे हैं.
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अब अगर भारत के दोनों पड़ोसी चीन पाकिस्तान न्यूक्लियर हथियारों का टेस्ट कर रहे हैं तो स्थिति बेहद गंभीर हो जाती है. क्योंकि अगर पड़ोसी किसी बड़े प्लान की साजिश रच रहे हैं तो ऐसे में भारत के लिए भी जरूरी है कि वो अपनी तैयारी पूरी रखे ताकि अगर भविष्य में कभी टू फ्रंट वॉर की स्थिति आए तो उसका डटकर मुकाबला किया जा सके.
ट्रंप के दावे कितने सच?
अगर ट्रंप की बातों में सच्चाई है, तो एक सच पाकिस्तान को भी जान लेना चाहिए. पाकिस्तान के एटमी परीक्षण के जवाब में, भारत सीधे हाईड्रोजन बम की परीक्षण कर सकता है. और ये डर पाकिस्तान को भी है. हाइड्रोजन बम, परमाणु बम से कहीं ज्यादा घातक और विनाशकारी होता है. ऐसे में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत अब्दुल बासित ने चेतावनी दी है कि भारत जल्द ही एक नया थर्मोन्यूक्लियर यानी हाइड्रोजन बम का परीक्षण कर सकता है.
आपको बता दें कि 1998 में भारत ने पोखरण में 5 परमाणु परीक्षण किए थे, जिनमें से एक थर्मोन्यूक्लियर बताया गया. इसके 17 दिन बाद पाकिस्तान ने भी 6 परीक्षण किए थे, उस समय दोनों देशों के बीच परमाणु संतुलन स्थापित हुआ था, लेकिन अब अगर भारत दोबारा परीक्षण करता है, तो ये संतुलन फिर से बिगड़ सकता है.
डोनाल्ड ट्रंप के दावे ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है. अमेरिका ने खुद फिर से परमाणु परीक्षण शुरू करने का संकेत दिया है, तो भारत को भी इसका बहाना मिल सकता है. अगर अमेरिका खुलेआम टेस्ट करता है, तो भारत भी कह सकता है कि वो अपने सुरक्षा हित में ऐसा कर रहा है. अब डर के मारे पाकिस्तान के लोग ट्रंप को कोस रहे हैं.
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किसके पास कितने न्यूक्लियर हथियार
परमाणु हथियारों की बात करें तो 1998 के बाद से उसने कोई परमाणु टेस्ट नहीं किया है, लेटेस्ट रिपोर्ट्स की मानें तो भारत के पास 180 न्यूक्लियर हथियार हैं, जबकि चीन के पास 600 हैं. वो साल 2030 तक इसे 1000 तक ले जाने पर काम कर रहा है. जबकि पाकिस्तान के पास 170 न्यूक्लियर हथियार हैं. ट्रंप ने रशिया, चाइना, पाकिस्तान और नॉर्थ कोरिया का नाम लिया है और इन देशों के पास कुल मिलाकर 6 हजार 279 परमाणु बम हैं.
अगर हम सभी 9 परमाणु शक्तियों के पास मौजूद परमाणु बमों की संख्या को देखें तो आकंड़े डरावने हैं. सबसे ज्यादा परमाणु बम रशिया के पास हैं, उसके पास 5 हजार 459 परमाणु बम हैं. दूसरे नंबर पर अमेरिका है जिसके पास 5 हजार 177 परमाणु बम हैं. 600 परमाणु बमों के साथ तीसरे नंबर पर चीन है,और इसके बाद चौथे नंबर पर फ्रांस है जिसके पास 290. यूके के पास 225, भारत के पास 180, पाकिस्तान के पास 170, इजरायल के पास 90 और उत्तर कोरिया के पास 50 परमाणु बम हैं.
भुट्टो ने किया था परमाणु प्रोगाम
आपको बता दें कि अमेरिकी थिंक टैंक फ़ेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के मुताबिक़, पाकिस्तान का परमाणु हथियार कार्यक्रम 1972 में ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो ने शुरू किया था. वो पाकिस्तान के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों ही बने. साल 1974 में भारत के पहले परमाणु परीक्षण के बाद, तब के प्रधानमंत्री ज़ुल्फ़िक़ार अली भुट्टो ने फ़ौरन एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि अब भारतीय उपमहाद्वीप सुरक्षित नहीं रह गया है और पाकिस्तान को भी परमाणु शक्ति बनना होगा.
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स के मुताबिक, 1985 में पाकिस्तान ने हथियार-योग्य यूरेनियम के उत्पादन की सीमा पार कर ली थी लेकिन, 28 मई 1998 को पाकिस्तान ने आधिकारिक रूप से घोषणा की थी कि उसने 5 सफल परमाणु परीक्षण किए हैं. इन परीक्षणों से रिक्टर पैमाने पर 5.0 तीव्रता का भूकंपीय कंपन दर्ज हुआ और कुल विस्फोट क्षमता लगभग 40 किलोटन यानी टीएनटी के बराबर आंकी गई.
कई भारतीय रणनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर अमेरिका, रूस और चीन अपने परीक्षण फिर शुरू करते हैं, तो भारत के पास भी 'खिड़की' है कि वो अपने हाइड्रोजन बम का फिर से परीक्षण करे और नई, ज्यादा शक्तिशाली और छोटी मिसाइलों के लिए हथियारों को परखे.
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कभी मांग रहे थे नोबेल अब परमाणु बम का करेंगे परीक्षण!
अभी कुछ ही हफ्ते पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप युद्ध रुकवाने का दावा करके, नोबेल पीस प्राइज़ मांग रहे थे. उनका कहना था कि विश्व में शांति लाने के लिए उन्होंने ऐसा किया था और इसीलिए अब उन्हें नोबेल पीस प्राइज मिलना चाहिए. लेकिन अफसोस ऐसा नहीं हुआ और उन्हें इस साल नोबेल पीस प्राइज नहीं मिला.
अब उनका एजेंडा बदल गया है. कुछ दिन पहले जो व्यक्ति शांति का नोबेल मांग रहा था, उसने अपने रक्षा विभाग को परमाणु बमों का परीक्षण करने का आदेश दिया है. पिछले महीने ट्रंप ने Department Of War को करीब 33 साल बाद परमाणु परीक्षण करने की अनुमति दी है. परमाणु बम बनाने की होड़ को खत्म करने के मकसद से 1996 में तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने परमाणु परीक्षणों पर रोक लगा दी थी. लेकिन ट्रंप की ओर से अब परमाणु परीक्षणों को दोबारा शुरू करने का आदेश दिया गया है, जिससे अमेरिका में बवाल में मचा हुआ है.
अमेरिकी न्यूज चैनल CBS ने डॉनल्ड ट्रंप का एक इंटरव्यू किया, और उनसे पूछा कि आखिर अमेरिका को 3 दशक बाद परमाणु परीक्षण करने की जरूरत क्यों आन पड़ी. इस सवाल के जवाब में ट्रंप ने जो खुलासा किया है, उसने भारत समेत पूरी दुनिया को डरा दिया है. ट्रंप ने दावा किया है कि रशिया, चाइना, उत्तर कोरिया और पाकिस्तान चोरी छिपे परमाणु बमों का परीक्षण कर रहे है.इसीलिए जरूरी हो गया है कि अमेरिका भी अपने परमाणु बमों का परीक्षण करे.
ट्रंप का कहना है कि इन देशों को परमाणु परीक्षण के लेकर किसी को जवाब नहीं देना पड़ता है. इसीलिए वो बिना रुके परमाणु परीक्षण कर रहे हैं. ट्रंप ने कहा है कि हमें अपने परमाणु बमों का परीक्षण करने से पहले ऐलान करना पड़ रहा है, क्योंकि हमसे सवाल पूछे जाते हैं. गुप्त रूप से परमाणु परीक्षण करने वाले जिन देशों का नाम लिया गया है, उनके पास इतने परमाणु बम हैं जिनसे पूरी दुनिया को 100 से ज्यादा बार खत्म किया जा सकता है.
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