PM मोदी कर्पूरी ग्राम में, जानें समस्तीपुर का इतिहास और खास जगहों के बारे में

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बिहार के समस्तीपुर जिले के कर्पूरी ग्राम में हैं. यह जिला न केवल राजनीतिक रूप से बल्कि अपने समृद्ध ऐतिहासिक अतीत, धार्मिक सौहार्द की वजह से भी महत्वपूर्ण है. समस्तीपुर, उन यात्रियों के लिए एक शांत और सांस्कृतिक अनुभव देता है जो बिहार की प्राचीन विरासत को करीब से जानना चाहते हैं.

समस्तीपुर का इतिहास गौरवशाली है और यह सदियों से भारतीय उपमहाद्वीप की महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा है. समस्तीपुर प्राचीन काल में राजा जनक के विदेह (मिथिला) राज्य का एक हिस्सा था. विदेह राज्य के अंत के बाद, यह वैशाली गणराज्य और बाद में मगध के महान साम्राज्यों (मौर्य, गुप्त शासकों) का हिस्सा बना. इसे पारंपरिक रूप से मिथिलांचल का प्रवेश द्वार माना जाता है, जो इसे सांस्कृतिक और भाषाई रूप से समृद्ध बनाता है. 

यह महान दार्शनिकों और विद्वानों की जन्मभूमि रहा है. 10वीं सदी के महान दार्शनिक उदयनाचार्य का जन्म समस्तीपुर के शिवाजीनगर प्रखंड के करियन गांव में हुआ था, जिन्होंने न्याय, दर्शन और तर्क के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया.  

समस्तीपुर के प्रमुख पर्यटन स्थल

खुदनेश्वर धाम: यह समस्तीपुर का सबसे अनूठा और प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, जो सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है. मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव का शिवलिंग और शिव भक्त खुदनी बीबी नाम की एक मुस्लिम महिला की मज़ार एक साथ स्थित है. यहां एक ही स्थान पर हिंदू और मुस्लिम दोनों रीति-रिवाजों से पूजा की जाती है.

विद्यापति धाम: यह महान मैथिली कवि और दार्शनिक महाकवि विद्यापति की निर्वाण भूमि है. यह शिव और शक्ति के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है. स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, जब विद्यापति बीमार थे और गंगा तट तक नहीं जा सके, तो गंगा ने अपनी धारा मोड़कर उनके आश्रम के पास से बहना शुरू कर दिया.

मंगलगढ़: यह एक ऐतिहासिक स्थल है जिसका संबंध बौद्ध धर्म से है. कहा जाता है कि गौतम बुद्ध यहां के स्थानीय शासक मंगलदेव के निमंत्रण पर आए थे और उन्होंने यहां बौद्ध धर्म के उपदेश दिए थे. यह बौद्ध तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है. यह हसनपुर से लगभग 14 किलोमीटर दूर स्थित है.

सिरौली: यह प्राचीन मंदिर और मेले का स्थान है, यहां सरस्वती माता को समर्पित एक भव्य और करीब 400 साल पुराना मंदिर है. इस स्थान पर साल में एक बार भव्य मेले का आयोजन होता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं.
 
कबीर मठ: यह संत कबीर के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है, रोसड़ा में कबीर पंथ के दो प्रमुख मठ स्थित हैं, जिनकी स्थापना संत कबीर के भ्रमण के बाद उनकी स्मृति में उनके शिष्यों द्वारा की गई थी. ये स्थल समस्तीपुर की यात्रा को ऐतिहासिक और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनाते हैं.

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