प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान के दौरे पर हैं. जापान से पीएम मोदी शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन 2025 में शिरकत करने चीन जाएंगे. यह शिखर सम्मेलन ऐसे समय पर हो रहा है, जब दुनिया के देश अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की दंडात्मक टैरिफ नीति से जूझ रहे हैं. यह शिखर सम्मेलन 31 अगस्त को होना है. पिछले साल एससीओ शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ही की थी.
एससीओ का पिछला शिखर सम्मेलन सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और व्यापार, कनेक्टिविटी, एकता के साथ ही संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान और पर्यावरण पर केंद्रित था. एससीओ में 10 देश सदस्य हैं और कुल मिलाकर देखें तो दुनिया की जीडीपी में इन देशों का योगदान एक तिहाई से भी अधिक है.
जनसंख्या के लिहाज से देखें तो एससीओ देशों में दुनिया की कुल जनसंख्या का करीब 42 फीसदी आबादी निवास करती है. वैश्विक जीडीपी में 15 फीसदी योगदान देने वाले अमेरिका में दुनिया की कुल आबादी का केवल 4.3 फीसदी जनसंख्या ही निवास करती है.
शंघाई सहयोग संगठन का विकास
शंघाई सहयोग संगठन यानी एससीओ की स्थापना 2001 में हुई थी. तब छह देश इसके सदस्य थे- चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान और तजाकिस्तान. एससीओ की स्थापना के 16 साल बाद इसके सदस्यों की संख्या का विस्तार हुआ और साल 2017 में भारत के साथ ही पाकिस्तान को भी इसका सदस्य बनाया गया. 2023 में ईरान, 2024 में बेलारूस एससीओ में शामिल हुए.
इस संगठन के सदस्य देशों की संख्या बढ़ने, खासकर भारत के शामिल होने से एससीओ की ताकत में भी उल्लेखनीय इजाफा हुआ. साल 2001 में जब एससीओ का गठन हुआ था, तब वैश्विक जीडीपी में इसके सदस्य देशों की हिस्सेदारी 10.6 फीसदी थी. साल 2016 तक यह बढ़कर 20 फीसदी तक पहुंच गई थी और 2017 में भारत-पाकिस्तान के भी सदस्य बन जाने के बाद यह बढ़कर 28 फीसदी हो गई.
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आईएमएफ के मुताबिक साल 2030 तक दुनिया की जीडीपी में एससीओ देशों का योगदान 36 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है. विश्व बैंक के मुताबिक निर्यात में भी उल्लेखनीय वृद्धि का अनुमान है. साल 2001 में एससीओ की जब स्थापना हुई थी, तब वैश्विक निर्यात में इसके सदस्य देशों का योगदान 5.2 फीसदी था.
साल 2024 में एससीओ सदस्यों का वैश्विक निर्यात में योगदान बढ़कर 16.7 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान है. इसी अवधि में अमेरिका की हिस्सेदारी वैश्विक निर्यात में घटी है. अमेरिका का निर्यात हिस्सा 13.4 फीसदी से घटकर 9.8 फीसदी रहने का अनुमान है.
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जापान एंगल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन दौरे से पहले जापान पहुंचे. पीएम की यह जापान यात्रा कई कारणों से महत्वपूर्ण बताई जा रही है. पीएम की जापान यात्रा को विदेश मंत्रालय ने द्विपक्षीय एजेंडे को समर्पित बताया है. विदेश मंत्रालय की ओर से यह भी कहा गया है कि भारत और जापान के बीच वार्षिक शिखर सम्मेलन दोनों देशों के बीच विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी के एजेंडे को आगे बढ़ाता है. विदेश मंत्रालय ने भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन को दोनों देशों के बीच उच्चतम स्तर के संवाद तंत्र का प्रतिनिधि भी बताया.
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