अखिलेश यादव ने सपा के सभी जिला और विधानसभा प्रभारियों को हटाया

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उत्तर प्रदेश की सियासत में हलचल तेज हो गई है. समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को बड़ा संगठनात्मक बदलाव करते हुए पूरे प्रदेश के जिलों और विधानसभा क्षेत्रों में तैनात सभी प्रभारियों को उनके पद से हटा दिया है. पार्टी ने इस फैसले को तत्काल प्रभाव से लागू करने का आदेश जारी कर दिया.

सपा कर रही 2027 की तैयारी
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए सपा अपने संगठन को नए सिरे से मजबूत करना चाहती है. इसी रणनीति के तहत यह बड़ा कदम उठाया गया है. बताया जा रहा है कि नए जिलों और विधानसभा प्रभारियों की सूची जल्द ही जारी कर दी जाएगी.

अखिलेश यादव के निर्देश पर लिया गया फैसला
समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्यामलाल पाल ने इस संबंध में आदेश जारी किया. उन्होंने कहा कि यह निर्णय सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर लिया गया है. आदेश के मुताबिक अब तक जो भी जिम्मेदारियां जिले और विधानसभा क्षेत्रों में दी गई थीं, वे तत्काल प्रभाव से खत्म कर दी गई हैं.

सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बयान जारी कर कहा कि पार्टी का मुख्य लक्ष्य आगामी चुनावों में मजबूती के साथ उतरना है. इसके लिए संगठन को नए उत्साह और ऊर्जा से लैस करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि पार्टी ने हमेशा कार्यकर्ताओं को ही ताकत माना है और इस बार भी नए चेहरे और नई टीम को आगे बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा.

पार्टी सूत्रों का कहना है कि पिछले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को भले ही अच्छी सफलता मिली हो, लेकिन विधानसभा चुनाव को लेकर संगठन की तैयारी बेहद जरूरी है. विधानसभा स्तर पर कार्यकर्ताओं और नेताओं को जोड़ने, बूथ प्रबंधन मजबूत करने और स्थानीय मुद्दों पर आवाज उठाने के लिए यह बदलाव अहम माना जा रहा है.

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अखिलेश यादव का यह कदम संदेश देता है कि पार्टी अब आने वाले चुनाव के लिए पूरी तरह से सक्रिय हो रही है. संगठन में बड़े पैमाने पर फेरबदल से यह भी साफ हो गया है कि पुराने समीकरणों के बजाय नए चेहरों और नई टीम पर ज्यादा भरोसा किया जाएगा.

कुल मिलाकर, सपा अध्यक्ष का यह कदम न केवल संगठन को मजबूत करने की दिशा में है, बल्कि कार्यकर्ताओं को भी यह संदेश देने की कोशिश है कि आने वाले चुनावों में हर किसी को मौके मिल सकते हैं. अब देखना होगा कि नए प्रभारियों की नियुक्ति कब और किस तरह होती है और इससे सपा को जमीनी स्तर पर कितना फायदा मिलता है.

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