अमरेंद्र बाहुबली नहीं, इस किरदार से शुरू हुई थी 'बाहुबली' की एपिक कहानी...

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इंडियन सिनेमा से निकली सबसे शानदार फिल्मी महगाथाओं में से एक ‘बाहुबली’ को दस साल पूरे हो चुके हैं. इसे बड़े पर्दे पर उतारने वाले डायरेक्टर एसएस राजामौली, ‘बाहुबली’ के दस साल सेलिब्रेट करने के लिए कुछ ऐसा करने जा रहे हैं जो भारतीय सिनेमा के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ. ‘बाहुबली’ की कहानी को राजामौली दो अलग-अलग फिल्मों में स्क्रीन तक लेकर आए थे. अब उन्होंने दोनों फिल्मों की पूरी फुटेज को फिर से एडिट करके, नए ट्रीटमेंट के साथ एक फिल्म की शक्ल दी है. इसका नाम है ‘बाहुबली- द एपिक’. 

ये 31 अक्टूबर को थिएटर्स में रिलीज होने जा रही है. ‘बाहुबली- द एपिक’ का ट्रेलर आ चुका है और जनता एक बार फिर से माहिष्मती साम्राज्य के महान योद्धा, बाहुबली की महागाथा देखने के लिए एक्साइटेड है. मगर ये कहानी, जिसने एक दशक से दर्शकों को लगातार दीवाना बना रखा है, जब कागज पर उतरनी शुरू हुई थी तो बहुत अलग थी. क्या इस बात पर आप यकीन कर पाएंगे कि जिस किरदार से ये कहानी शुरू हुई थी, वो ना अमरेंद्र बाहुबली था और ना महेंद्र बाहुबली? बल्कि वो इस कहानी का एक महिला किरदार था…

बाहुबली से नहीं, शिवगामी देवी से शुरू हुई थी कहानी
जी हां, ये बात बिल्कुल सच है कि जिस इंडियन एपिक का हीरो लोग बाहुबली को मानते हैं, उसकी कहानी असल में शिवगामी देवी के किरदार से शुरू हुई थी. 'बाहुबली' के राइटर विजयेंद्र प्रसाद, डायरेक्टर एसएस राजामौली के पिता हैं. दोनों के तमाम इंटरव्यूज देख-सुन कर समझ आता है कि दोनों काम कैसे करते हैं. 

प्रसाद के दिमाग में हमेशा आईडियाज रहते हैं— किरदारों के, फिल्मों के प्लॉट्स के, कहानियों के. प्रसाद उन्हें राजामौली से डिस्कस करते रहते हैं. राजामौली को अगर कुछ दिलचस्प लगता है तो वो चुनते हैं. वरना प्रसाद एक सच्चे किस्सागो की तरह अपने आईडियाज में खोए रहते हैं. उनके लिए ये कोई काम नहीं है, यही उनका संसार है. 

'बाहुबली' (2015) की रिलीज के बाद राजामौली ने फ़ोर्ब्स के एक इंटरव्यू में बताया था कि करीब 9-10 साल पहले (2004-05) उनके पिता ने उन्हें एक किरदार का आईडिया बताया. ये एक महिला थी जो बच्चे को लिए नदी पार कर रही थी. पानी बढ़ता गया महिला डूबती गई और डूबने के बावजूद उसने एक हाथ से बच्चे को पानी से ऊपर किए रखा. इस आईडिया और किरदार ने राजामौली को बहुत अपील किया. किरदार का नाम था— शिवगामी देवी. मगर ये आईडिया यहीं तक था. पीछे कोई कहानी नहीं, कोई प्लॉट-पॉइंट नहीं, ना ही कोई बैकग्राउंड. 

रम्या से पहले श्रीदेवी को ऑफर हुआ था शिवगामी देवी का रोल (Photo: X/@Nithin_Mudunari)

'बाहुबली' नाम रखने के पीछे की साजिश!
कुछ साल बाद प्रसाद ने अपने बेटे को इसी तरह एक और किरदार के बारे में बताया— एकदम सच्चा सेवक 'कट्टप्पा'. इसी तरह एक और किरदार बना भल्लाल देव का. करीब 2009-10 के आसपास, राजामौली ने अपने पिता से कहा कि वो इन सभी किरदारों को एक कहानी में पिरोना क्यों नहीं शुरू करते. तब जाकर प्रसाद ने ये काम शुरू किया. महाभारत-रामायण, अमर चित्रकथा के साथ-साथ दूसरे महाकाव्यों-महागाथाओं और कहानियों से इंस्पिरेशन लेकर प्रसाद ने 'बाहुबली' की कहानी लिखी.

बाद में इंडियन एक्सप्रेस से प्रसाद ने कहा था कि वो 'बाहुबली' को शिवगामी देवी वर्सेज देवसेना का कनफ्लिक्ट मानते हैं. यानी बाहुबली की मां बनाम उसकी पत्नी. 'लेकिन हमारा समाज उस समय महिला किरदार की कहानी को इस तरह स्वीकार नहीं करता. तो मैंने इसे 'बाहुबली' नाम देकर, मर्दों को थोड़ा सा बेवकूफ बनाया', प्रसाद ने बताया.

रम्या ने रिजेक्ट कर दी थी 'बाहुबली'
शिवगामी देवी के किरदार में लिखे जाते वक्त तो दम था ही, मगर स्क्रीन पर एक्ट्रेस रम्या कृष्णन ने उसे एक आइकॉन ही बना दिया. रम्या के करियर में शानदार-दमदार किरदारों और आइकॉनिक फिल्मों की कोई कमी नहीं है. मगर 'बाहुबली' का असर ऐसा है कि अब वो इंडियन सिनेमा में हमेशा के लिए शिवगामी देवी ही बन चुकी हैं. हालांकि, ये जानकर आप चौंक जाएंगे कि वो इस रोल के लिए पहली चॉइस नहीं थीं. और जब ये रोल उनके पास गया, तब भी उन्होंने इसे रिजेक्ट कर दिया था. 

पुरानी रिपोर्ट्स बताती हैं कि प्रोड्यूसर शोभू येरलागडा ने पहले शिवगामी का रोल, देश की पहली फीमेल सुपरस्टार कही जाने वालीं श्रीदेवी को ऑफर किया था. मगर श्रीदेवी बड़ी स्टार थीं और उनकी फीस इस कोलेबोरेशन में बड़ी अड़चन बनी. इसके बाद ये रोल रम्या को ऑफर हुआ. 

एक टॉक शो में रम्या ने बताया कि जब शोभू ने उन्हें फोन किया तो उन्हें कोई आईडिया नहीं था कि ये कितनी बड़ी फिल्म है, ये किरदार कितना बड़ा है या राजामौली का विजन क्या है. वो ये सुनकर ही फिल्म से मना कर चुकी थीं कि 40 दिन शूट करना होगा! आखिर वो भी बड़ी एक्ट्रेस थीं और उनके पास भी कई फिल्में थीं. ऐसे में 40 दिन के लिए सर एक फिल्म पर टिकना मुश्किल था. मगर फिर राजामौली खुद रम्या से मिले और उन्होंने फिल्म की कहानी नैरेट की.

ये नैरेशन सुनने के बाद रम्या खुद को राजमाता शिवगामी के रोल में देख पा रही थीं. वो देख पा रही थीं कि कहानी में उनका किरदार कितना महत्वपूर्ण है. और देख पा रही थीं कि शिवगामी के रोल में जब वो गोद में बच्चा लिए सिंहासन पर बैठेंगी, तो जनता का क्या रिएक्शन होगा. ना कहने का सवाल ही नहीं उठता था!

कैकेयी और कुंती से इंस्पायर था शिवगामी का किरदार
अलग-अलग इंटरव्यूज में शिवगामी देवी के किरदार से प्रसाद का लगाव साफ नजर आता है. उन्होंने ये भी बताया है कि उनका ये किरदार महाभारत की कुंती और रामायण की कैकेयी, दोनों से प्रेरित है. जैसे- नकुल और सहदेव, कुंती के अपने पुत्र नहीं थे. मगर वो उन्हें बाकी तीनों पुत्रों जितना ही प्यार देती थीं. और कैकेयी एक गुमराह हुईं रानी थीं, जिन्होंने अपने ही चहेते बेटे को वनवास भेज दिया था. 

अब अगर आप 'बाहुबली- द एपिक' देखने पहुंचे तो नोटिस कीजिएगा, ये दोनों बातें आपको शिवगामी देवी के किरदार में नजर आएंगी. प्रसाद भले 'बाहुबली' को शिवगामी देवी और देवसेना की कहानी मानते हों. मगर जनता ने तो इसे हीरो बाहुबली के लिए ही देखा. शायद इसीलिए प्रसाद और राजामौली का दिल, शिवगामी के ट्रीटमेंट को लेकर संतुष्ट नहीं हुआ. वे इस किरदार को और ऊंचाई पर ले जाना चाहते थे. इसलिए तय किया गया कि शिवगामी की कहानी शुरू से बुनी जाए, उसके जन्म से लेकर 'बाहुबली' फिल्म की घटनाओं से पहले तक. 

शिवगामी की कहानी पर लिखा गया बेस्ट सेलिंग उपन्यास
राजामौली ने लेखक आनंद नीलकंठन को बुलाया और सारे किरदारों के आईडिया के साथ उन्हें एक पेज का स्केच भी दिया. आनंद को टास्क मिला कि वो शिवगामी की कहानी को शुरू से लिखना शुरू करें. आनंद ने कुछ सीन्स लिखकर दिखाए तो राजामौली को उनपर भरोसा हो गया. और तब उन्होंने आनंद को शिवगामी देवी पर उपन्यास लिखने को कहा.

'बाहुबली 2' की रिलीज से पहले ये उपन्यास रिलीज हुआ जिसका नाम था— 'द राइज ऑफ शिवगामी'. इसे क्रिटिक्स ने बहुत सराहा और ये बहुत बिका भी. उपन्यास और साहित्य से फिल्म तक कहानियों का आना आम बात है. मगर ये अपनी तरह का अनोखा मामला था जब फिल्म से शुरू हुई किसी कहानी को उपन्यास की शक्ल मिली थी.  

इसी उपन्यास पर राजामौली ने नेटफ्लिक्स के साथ, शिवगामी पर वेब सीरीज प्लान की थी. मगर दो अलग-अलग बार प्रोडक्शन शुरू होने के बाद भी ये आजतक सामने नहीं आ सकी है. शिवगामी के किरदार को प्रसाद और राजामौली जो न्याय दिलवाना चाहते हैं, पता नहीं वो कभी मिल पाएगा या नहीं. मगर 'बाहुबली' फैन्स के लिए देखने वाली बात ये होगी कि क्या राजामौली कभी दोबारा से इसके लिए कोशिश करेंगे या नहीं?!

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