बिहार महागठबंधन का घोषणा पत्र जारी, कल राहुल गांधी के कैंपेन का फोकस क्‍या होगा?

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राहुल गांधी के बिहार से लौट आने के बाद से एक खास चीज ये भी हुई है कि तेजस्वी यादव को महागठबंधन का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किया जा चुका है. मंगलवार को महागठबंधन का जो साझा घोषणा पत्र जारी हुआ, उसके कवर पेज पर न सिर्फ अकेले तेजस्‍वी की तस्‍वीर है, बल्कि घोषणा पत्र का नाम भी 'बिहार का तेजस्‍वी प्रण' रखा गया है. और अब चुनाव कैंपेन की बारी है. बुधवार से राहुल गांधी और तेजस्वी यादव महागठबंधन के लिए संयुक्त रूप से कैंपेन करने जा रहे हैं. 

29 अक्टूबर को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव संयुक्त रैली करेंगे. ये रैलियां बिहार के मुजफ्फरपुर और दरभंगा में होंगी. बिहार चुनाव में राहुल गांधी की ये पहली चुनावी रैली होगी. बीजेपी और उसके साथी दलों के नेता राहुल गांधी के बिहार से अचानक और लंबी दूरी बना लेने पर सवाल उठाते आ रहे थे, राहुल गांधी नये दौरे में निश्चित तौर पर ऐसे सवालों का जवाब देने की कोशिश करेंगे.

वोटर अधिकार यात्रा पूरी करने के बाद से राहुल गांधी ने बिहार से दूरी बना ली थी. राहुल गांधी ने वोटर अधिकार यात्रा तेजस्वी यादव और महागठबंधन के नेताओं के साथ की थी. उसके बाद से बिहार में कई चीजें हुई हैं. तेजस्वी यादव ने बिहार अधिकार यात्रा की. दर्जन भर सीटों पर दोस्ताना मुकाबले की नौबत आ गई, कांग्रेस और वीआईपी के तीन नामांकन वापस लिए जाने के बाद भी फ्रेंडली फाइट थम नहीं सकी है.

राहुल गांधी का बिहार दौरा फिर से

कांग्रेस नेता राहुल गांधी बिहार के मुजफ्फरपुर के सकरा विधानसभा क्षेत्र और दरभंगा में महागठबंधन के उम्मीदवारों के लिए वोट मांगने जा रहे हैं. चुनाव कैंपेन में महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव भी राहुल गांधी के साथ वैसे ही नजर आएंगे, जैसे वोटर अधिकार यात्रा में देखे गए थे. 

चुनावी रैली में लोगों की नजर इस बात पर भी होगी कि राहुल गांधी वोटर अधिकार यात्रा की ही तरह खुद को आगे, और तेजस्वी यादव को पीछे रखते हैं, या मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किए जाने के बाद तेजस्वी यादव को आगे रखकर राहुल गांधी पीछे से सपोर्ट करते हैं. राहुल गांधी से वोटर अधिकार यात्रा के दौरान महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर सवाल पूछा गया था, लेकिन वो इधर उधर की बातें करके टाल दिए थे. बीच में महागठबंधन में काफी तनाव महसूस किया  जाने लगा था. हालत ये हो गई की सीट शेयरिंग को लेकर कोई औपचारिक जानकारी तक नहीं दी गई. बाद में कांग्रेस नेतृत्व ने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दूत बनाकर भेजा, तब जाकर मामला शांत हो पाया.   

रिपोर्ट के मुताबिक, राहुल गांधी सकरा (सुरक्षित) विधानसभा सीट पर महागठबंधन के उम्मीदवार  उमेश राम के सपोर्ट में पहली रैली करेंगे. बाद में वो दरभंगा में भी महागठबंधन के उम्मीदवारों के लिए आयोजित रैली को संबोधित करेंगे. 

पटना में बिहार चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस की एक्स्टेंडेड कार्यकारिणी भी हुई थी. तब ये भी बताया गया था कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा भी कुछ रैलियां करेंगे, लेकिन बाद में तो लगा जैसे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दोनों ही सीन से गायब हो गए. 

राहुल गांधी का कार्यक्रम तो सामने आ गया, देखना है प्रियंका गांधी वाड्रा के बारे में कब अपडेट आता है. बिहार में महिला वोटर को अपनी तरफ खींचने की मची होड़ के कारण प्रियंका गांधी की भी चुनाव कैंपेन में खास भूमिका समझी जा रही है. 

राहुल गांधी की रैली में सहयोगी दलों के हिस्से क्या आएगा?

वोटर अधिकार यात्रा की तरह ऐसे कई कार्यक्रम हुए हैं, जिन्हें राहुल गांधी के मंच पर चढ़ते ही हाइजैक कर लेते देखा गया है. वोटर अधिकार यात्रा बिहार में हुए SIR यानी विशेष गहन पुनरीक्षण के विरोध में निकाली गई थी. निश्चित तौर पर वोटर अधिकार यात्रा महागठबंधन का कार्यक्रम था, लेकिन बार बार लगता था कि वो सिर्फ कांग्रेस की यात्रा है. जैसे कांग्रेस ने भारत जोड़ो यात्रा और न्याय यात्रा का आयोजन किया था. वोटर अधिकार यात्रा भी राहुल गांधी कांग्रेस की यात्राओं की ही तरह कर रहे थे. 

तेजस्वी यादव और दूसरे नेता तो वैसे ही लग रहे थे जैसे राहुल गांधी के मेहमान हों. पूरी यात्रा में, एक दो मौकों को छोड़कर, राहुल गांधी की छाए रहे, और तेजस्वी यादव उनके साये से निकलने का असफल प्रयास करते रहे. बहरहाल, अब तो लालू यादव ने अशोक गहलोत के साथ मनमानी डील करके हिसाब भी बराबर कर लिया है. 

2022 के यूपी विधानसभा चुनाव से पहले जयपुर में कांग्रेस ने 'महंगाई हटाओ महारैली' की थी. राहुल गांधी ने माइक संभालते ही साफ कर दिया कि महंगाई के मुद्दे पर तो वो बोलेंगे, लेकिन पहले दूसरे मुद्दे पर बात करेंगे. महंगाई की जगह राहुल गांधी ने रैली को हिंदुत्व की रैली बना दिया. हिंदू, हिंदुत्व और हिंदुवादी जैसे शब्दों की अलग अलग तरीके से व्याख्या करते रहे. 31 मिनट के अपने भाषण में राहुल गांधी ने 35 बार हिंदू, और 26 बार हिंदुत्ववादी शब्द का इस्तेमाल किया था, और जिस मुद्दे पर रैली बुलाई गई थी, महंगाई का सिर्फ एक बार जिक्र किया था. 

बिहार चुनाव को लेकर बहुत पहले से ही राहुल गांधी और लालू परिवार के बीच भारी रस्साकशी चल रही है. राहुल गांधी ने वो सब किया है जो लालू और तेजस्वी यादव को बिल्कुल भी पंसद नहीं आ रहा है. टकराव का बड़ा मसला कन्हैया कुमार और पप्पू यादव हैं. दोनों में से किसी भी नेता को तेजस्वी यादव और लालू यादव बिल्कुल भी पसंद नहीं करते, लेकिन राहुल गांधी हैं कि मानते ही नहीं. 

राहुल गांधी सहित सारे कांग्रेस नेता महागठबंधन के मुख्यमंत्री चेहरे पर चुप्पी साध रखे थे, लेकिन बीच बचाव की नौबत आ गई, और अशोक गहलोत को बिठाकर लालू यादव ने अपनी सारी बातें मनवी लीं. अब बारी राहुल गांधी की है. राहुल गांधी का बिहार दौरा कई मायनों में दिलचस्प होगा.

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