अमित शाह ने योगी के सामने केशव मौर्य को कहा 'मित्र' तो होने लगी चर्चा, अखिलेश ने कसा तंज

7 hours ago 1

लखनऊ दौरे के दौरान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को 'मित्र' कहकर संबोधित किया, जिसके बाद सियासी गलियारे में तरह-तरह की चर्चा होने लगी. इसको लेकर अब समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी रिएक्ट किया है. उन्होंने सोशल मीडिया पर तंज कसते हुए लिखा- इन्होंने इश्तहार में न लगाया उनका चित्र... उन्होंने किसी और को कह दिया 'मित्र'! 

आपको बता दें कि बीते रविवार को लंबे वक्त के बाद अमित शाह लखनऊ आए थे. कार्यक्रम था 60 हजार से ज्यादा पुलिस भर्ती का नियुक्ति पत्र देना. सभी की निगाहें इस ओर टिकी थीं कि लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार उत्तर प्रदेश में मंच शेयर कर रहे अमित शाह और सीएम योगी आदित्यनाथ की बॉडी लैंग्वेज क्या संकेत देती है.

मंच पर अमित शाह बीचो-बीच बैठे थे, जबकि उनकी दाईं तरफ सीएम योगी और बाएं तरफ डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य थे. तकरीबन घंटे भर के इस कार्यक्रम में अमित शाह कभी दाएं तो कभी बाएं दोनों नेताओं से गुफ्तगू करते दिखाई दिए. 

शाह के बयान के मायने 

कार्यक्रम अपनी रफ्तार से चल रहा था लेकिन जब अमित शाह के संबोधन की शुरुआत हुई तो सबका ध्यान उनपर चला गया, क्योंकि अपने संबोधन में अमित शाह ने केशव मौर्य को अपना 'मित्र' कह कर संबोधित किया.

गौरतलब है कि केशव मौर्य को पहली बार अमित शाह ने सार्वजनिक तौर पर 'मित्र' तब कहा जब सीएम योगी भी मंच पर मौजूद थे. सोशल मीडिया पर अमित शाह का यह संबोधन खूब वायरल हुआ लेकिन इस संबोधन का एक हिस्सा ही दिखाया गया जिसमें अमित शाह ने उन्हें अपना 'मित्र' कहा जबकि मित्र कहने के पहले सीएम योगी आदित्यनाथ को अमित शाह ने लोकप्रिय और सफल मुख्यमंत्री कहकर संबोधित किया. 

दरअसल, अमित शाह ने अपने संबोधन के कुछ वाक्यों के जरिए ही यूपी सरकार और बीजेपी की सियासत को अपना संदेश साफ कर दिया. संदेश साफ है कि केशव मौर्य बीजेपी के शीर्ष नेताओं की पसंद भी हैं और करीबी भी. योगी सरकार के दूसरे टर्म में बेशक उनकी पुरानी हनक नहीं हो लेकिन केशव मौर्य को अपना 'मित्र' बताकर अमित शाह ने साफ कर दिया कि मौर्य को कोई कमजोर समझने की भूल न करे. 

सीएम योगी की तारीफ में कसीदे भी पढ़े 

इसी संबोधन में जब अमित शाह ने योगी को सबसे सफल और लोकप्रिय सीएम कहा तो वो कन्फ्यूजन भी साफ कर दिया कि सीएम के चेहरे को लेकर कोई बदलाव होगा. सियासी जानकार एक वाक्य में दो शब्दों के मायने निकालने लगे हैं. सियासी जानकारों के मुताबिक, अमित शाह ने अपने संबोधन की शुरुआत में ही योगी को सफल और लोकप्रिय बताकर यह साफ कर दिया की उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री को लेकर फिलहाल कोई बदलाव नहीं होगा लेकिन यूपी में बीजेपी की सियासत ओबीसी चेहरे के बगैर नहीं. यही नहीं केशव मौर्य यूपी बीजेपी के सियासत के केंद्र में ही होंगे. 

अमित शाह ने अपने इस एक संबोधन के जरिए यूपी बीजेपी की ओबीसी सियासत को दोबारा साधने की कोशिश की. जिस तरीके से अखिलेश यादव ने योगी सरकार को एक जाति विशेष की सरकार घोषित कर रखा है, जिस तरीके से वह ठाकुर बनाम PDA का नैरेटिव गढ़ रहे हैं, उसने बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के कान खड़े कर दिए हैं. ऐसे में अमित शाह का ताजा बयान सपा के नैरेटिव की काट के तौर पर देखा जा रहा है. 

मौर्य के सहारे ओबीसी राजनीति को धार 

मालूम हो कि केशव मौर्य बीजेपी का सबसे बड़ा ओबीसी चेहरा थे मगर विधानसभा चुनाव में मिली खुद की हार और लोकसभा चुनाव में पूरे इलाके की हार ने उनकी उड़ान को रोक दिया था. यही नहीं बड़े ओबीसी चेहरे होने के बावजूद केशव मौर्य ने पिछले कुछ समय से खुद को थोड़ा सीमित भी कर दिया था. आलाकमान को भी लगने लगा था कि जिस चेहरे को कल्याण सिंह के बाद बीजेपी ने सबसे बड़ा किया, जिसे ओबीसी चेहरा बनाया, कहीं वो जाति और चेहरों की लड़ाई में खो न जाए. 

बता दें कि बीते दिन लखनऊ में आयोजित कार्यक्रम में 60 हजार से ज्यादा नवनियुक्त पुलिसकर्मियों को नियुक्ति पत्र मिला, जिसमें गृहमंत्री अमित शाह के हाथों सांकेतिक तौर पर 15 लोगों को नियुक्ति पत्र दिया गया. गृहमंत्री के हाथों संपन्न हुए इस कार्यक्रम में ध्यान रखा गया था कि नियुक्ति पत्र लेने वाले सभी जाति और बिरादरी के लोग हों. कुल मिलाकर अमित शाह लखनऊ आए तो उन्होंने उत्तर प्रदेश की भाजपा के सियासत को दोबारा से परिभाषित कर दिया कि  2027 के पहले प्रदेश बीजेपी ओबीसी के अपने पुराने फॉर्मूले पर लौटेगी. 

अखिलेश की टिप्पणी पर यूपी के मंत्री का पलटवार 

वहीं, अखिलेश यादव की टिप्पणी पर यूपी सरकार के मंत्री नरेंद्र कश्यप ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा है कि मंच पर विराजमान डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को अमित शाह ने अपना 'मित्र' बताया. इससे पहले उन्होंने सीएम योगी के काम की सराहना भी की. यह चीज तो राजनीति में सुखद संदेश देने वाली है. वरना तो सपा और कांग्रेस के मंचों पर लाठियां चलती हैं, गालियां बकी जाती हैं, आपस में लोग कुर्सी को लेकर झगड़ते हैं. ऐसे में विपक्ष को बीजेपी से सीखना चाहिए कि सार्वजनिक मंचों पर कैसे व्यवहार किया जाता है.

नरेंद्र कश्यप ने कहा कि अखिलेश यादव अपनी पार्टी का काम छोड़कर हमारी सरकार के 'मित्रों' और 'चित्रों' पर बहुत ध्यान दे रहे हैं. अखिलेश यह भूल जाते हैं कि इस मित्रता के भाव को अगर वह अपने दल में लाने का प्रयास करें तो कुछ बेहतर हो सकता है. अमित शाह ने कल योगी सरकार की तरफ की और केशव मौर्य का भी सम्मान बढ़ाया. किसी का सम्मान बढ़ने से अगर अखिलेश के पेट में दर्द हो यह उनकी चिंता है. उन्हें मालूम होना चाहिए कि बीजेपी में टकराव की सियासत नहीं है. ये सब सपा और कांग्रेस में होता है जो कि परिवारवादी पार्टियां हैं. 

विपक्ष एक गलतफहमी और आशंका पैदा करना चाहता है कि दिल्ली और लखनऊ में टकराव है. यह सब अनर्गल और निराधार बातें हैं. यह कल स्पष्ट हो गया, जहां अमित शाह ने उपमुख्यमंत्री की भी तारीफ की और मुख्यमंत्री की भी. 

Read Entire Article