रामनगरी अयोध्या में रविवार को दीपोत्सव का भव्य आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राम-जानकी रथ यात्रा का शुभारंभ किया और राम की पैड़ी पर सरयू की महाआरती में भाग लिया. सरयू तट पर बने 56 घाट 26 लाख से अधिक दीयों से जगमगा उठे. लेकिन इस दिव्य उत्सव की चमक के बीच उत्तर प्रदेश की राजनीति में मनमुटाव की चर्चाएं भी सुर्खियों में रहीं.
राज्य के दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने अचानक अपने अयोध्या दौरे को रद्द कर दिया. इसकी वजह आज के अखबारों में छपे अयोध्या दीपोत्सव के विज्ञापन बताए जा रहे हैं. विज्ञापन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी की तस्वीरें प्रमुखता से दिखीं, लेकिन दोनों डिप्टी सीएम का नाम और फोटो गायब था. सूत्रों के अनुसार, यूपी पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित इस भव्य कार्यक्रम में दोनों डिप्टी सीएम को आमंत्रित किया गया था.
केशव मौर्य ने रद्द किया अयोध्या दौरा
केशव मौर्य ने तो रविवार सुबह ही अपने अयोध्या दौरे का पूरा कार्यक्रम जारी कर दिया था. लेकिन शाम तक 'अपरिहार्य कारणों' का हवाला देकर उन्हें रामनगरी का अपना दौरा रद्द कर दिया. ब्रजेश पाठक ने भी लखनऊ में रहते हुए अपना अयोध्या जाने का प्लान रद्द कर लिया. पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने कथित तौर पर दोनों से बात की थी, जहां केशव मौर्य ने बिहार चुनाव प्रचार में व्यस्तता का हवाला दिया. वहीं ब्रजेश पाठक से उनकी क्या बात हुई इस बारे में कोई जानकारी बाहर नहीं आई है.
अखबारों में छपे अयोध्या दीपोत्सव के विज्ञापन में यूपी के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही और पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह के नाम तो थे, लेकिन दोनों डिप्टी सीएम की उपस्थिति का कोई उल्लेख नहीं था. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का नाम था, लेकिन उनकी तस्वीर नहीं थी. सूत्र बताते हैं कि राज्यपाल ने भी स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर अयोध्या का अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया. यह पहली बार है जब दीपोत्सव जैसे प्रमुख आयोजन में राज्यपाल और दोनों उपमुख्यमंत्री अनुपस्थित रहे.
भाजपा में आंतरिक गुटबाजी का संकेत
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यह सरकारी विज्ञापन का 'प्रशासनिक फैसला' मात्र नहीं, बल्कि भाजपा में आंतरिक गुटबाजी का संकेत है. विपक्ष ने इस मुद्दे को और जोर-शोर से उछाला. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर तंज कसते हुए लिखा, 'जनता पूछ रही है कि यूपी की भाजपा सरकार में उप-मुख्यमंत्री के दोनों पद समाप्त कर दिए गए हैं क्या? विज्ञापन में कनिष्ठ मंत्रियों के नाम तो दिख रहे हैं, लेकिन डिप्टी सीएम साहब लोगों के नहीं. कहीं यहां भी हाता नहीं भाता या प्रभुत्ववादी सोच तो हावी नहीं हो गई? अबकी बार, डिप्टी सीएम बाहर.'
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