इंडिया-चीन के बीच लिपुलेख व्यापार समझौते पर नेपाल ने जताई चिंता, भारत ने दिया जवाब

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नेपाल के राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (RSP) ने भारत और चीन के बीच लिपुलेख दर्रे से व्यापार फिर से शुरू करने के समझौते पर चिंता जताई है. पार्टी ने प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली से भारत और चीन की अपनी आगामी यात्राओं के दौरान इस मुद्दे को उठाने की गुजारिश की है. नेपाल लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी को अपना अभिन्न अंग मानता है. भारत ने इस पर नेपाल के दावों को खारिज कर दिया है.

आरएसपी के विदेश संबंध विभाग के प्रमुख शिशिर खनाल ने कहा कि नेपाल की सहमति के बिना किसी भी देश द्वारा नेपाली भूमि पर कोई भी गतिविधि या समझौता वैध नहीं किया जाएगा है. 

आरएसपी ने कहा कि इस विवाद को राजनयिक और शांतिपूर्ण तरीकों से हल किया जाना चाहिए. आरएसपी ने प्रधानमंत्री ओली से गुजारिश किया है कि वे इस महीने के आखिरी में शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन की यात्रा के दौरान और 16 सितंबर को भारत की अस्थायी यात्रा के दौरान इस मुद्दे को उठाएं.

भारत ने दिया जवाब...

भारत ने नेपाल के दावों को यह कहते हुए खारिज कर दिया है और कहा है कि वे न तो उचित हैं और न ही ऐतिहासिक तथ्यों और सबूतों पर आधारित हैं. भारत ने यह भी कहा कि किसी भी तरफ से किया गया एकतरफा क्षेत्रीय दावा अस्वीकार्य है.

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत का रुख़ यही है कि ऐसे दावे न तो उचित हैं और न ही ऐतिहासिक तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित हैं. क्षेत्रीय दावों का कोई भी एकतरफ़ा विस्तार अस्वीकार्य है.

उन्होंने कहा कि भारत बातचीत और कूटनीति के ज़रिए लंबित सीमा मुद्दों को सुलझाने के लिए नेपाल के साथ रचनात्मक बातचीत के लिए तैयार है.

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