मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की वैश्विक साख बढ़ी है. आर्थिक प्रगति के साथ-साथ लोग भारतीय संस्कृति और जीवनशैली की ओर आकर्षित हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारत और स्पेन के बीच 2026 को सांस्कृतिक वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
भारतीय संस्कृति से जुड़ने की इच्छा
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज लोग भारत की सनातन संस्कृति को जानना चाहते हैं. हमारी सांस्कृतिक धारा को दुनिया के सामने लाने का प्रयास हमारी सरकार की प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि जब हम व्यापार की बात करते हैं, तो उससे भी ऊपर हमारी संस्कृति है, जो हमें वैश्विक स्तर पर जोड़ती है.
खेल और युवाओं के लिए अंतरराष्ट्रीय अवसर
मुख्यमंत्री ने बताया कि लालीगा जैसे अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल क्लबों के साथ सहयोग से हमारे युवा खिलाड़ियों को नई संभावनाएं मिल रही हैं. उन्होंने कहा कि स्पेन के कई खेल क्लबों से युवाओं के जुड़ाव की दिशा में राज्य सरकार काम कर रही है.
उज्जैन और बार्सिलोना की तुलना पर विचार
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उज्जैन और बार्सिलोना की तुलना पर कहा कि दोनों शहरों ने अपनी सांस्कृतिक विरासत को विकास से जोड़ा है. उन्होंने कहा, हमारे लिए यह सामान्य एजेंडा है कि हम अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखें और विकास की ओर बढ़ें.
राजनीतिक तुलना पर प्रतिक्रिया
जब उनसे तुलना को लेकर आलोचनाओं की बात पूछी गई, तो उन्होंने कहा कि "जिसकी जैसी दृष्टि, वैसी सृष्टि." उन्होंने भारत के अतीत की आर्थिक समृद्धि और सांस्कृतिक गौरव का जिक्र करते हुए कहा कि अब भारत तीसरी आर्थिक शक्ति बन चुका है और शीघ्र ही दुनिया की अग्रणी ताकत बनेगा.
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मध्य प्रदेश में सरकार की जिम्मेदारी और आलोचनाओं पर रुख
श्वेता सिंह द्वारा राज्य की समस्याओं पर सवाल पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रशासन अगर गलती स्वीकार कर लेता है और उसमें सुधार करता है, तो यह अच्छी बात है. उन्होंने कहा कि हमें बीती गलतियों से सीखकर आगे बढ़ना चाहिए.
सनातन संस्कृति का महत्व
मुख्यमंत्री ने भारतीय त्योहारों, देवी-देवताओं की जयंती और सनातन संस्कृति की परंपराओं को जीवन का अभिन्न अंग बताया. उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति "जियो और जीने दो" के सिद्धांत पर आधारित है, जो विश्व कल्याण की कामना करती है.
काल की नगरी उज्जैन और खगोल विज्ञान की परंपरा
उज्जैन को "काल की नगरी" बताते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि 300 साल पहले तक उज्जैन से विश्व का मानक समय तय होता था. उन्होंने कहा कि यहां की खगोलविद्या और संको यंत्र जैसे उपकरण यह सिद्ध करते हैं कि भारत का वैज्ञानिक ज्ञान कितना समृद्ध रहा है.
खगोल गणनाओं का सांस्कृतिक महत्व
मुख्यमंत्री ने बताया कि उज्जैन में आज भी सूर्य की छाया से समय की गणना की जा सकती है. यह गणनाएँ सभी भारतीय पर्वों की तिथियों का आधार होती हैं, इसलिए इनका विशेष महत्व है.
भगवान कृष्ण की उज्जैन से जुड़ी लीलाएं
मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान कृष्ण ने उज्जैन में संदीपनी आश्रम में शिक्षा प्राप्त की थी. 64 कलाएँ, 14 विद्याएं, 18 पुराण और चारों वेदों का ज्ञान कृष्ण ने यहाँ से प्राप्त किया. यह शिक्षा आज भी प्रेरणादायक है.
श्रीकृष्ण पथ पर राज्य सरकार की योजना
उन्होंने श्रीकृष्ण पथ की योजना का जिक्र करते हुए बताया कि राज्य सरकार उन सभी स्थानों को चिह्नित कर रही है जहां भगवान कृष्ण की लीलाएं हुई थीं. इसमें सुदामा से मित्रता, परशुराम जी से संबंध और रुक्मिणी हरण जैसे प्रसंग शामिल हैं.
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अध्यात्म और आधुनिकता का समन्वय
मुख्यमंत्री ने कहा कि उज्जैन को अध्यात्म की राजधानी बनाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं. यह शहर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि खगोल और विज्ञान की दृष्टि से भी अत्यंत समृद्ध है.
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