एक करोड़ का इनामी नक्सली बसवराज एनकाउंटर में ढेर... अब हिडमा समेत ये खूंखार नक्सली निशाने पर

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Security Forces Naxal crackdown in Chhattisgarh: नक्सलवाद भारत के कई राज्यों में एक गंभीर चुनौती बना हुआ है. जिनमें विशेष रूप से छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, और महाराष्ट्र के कुछ हिस्से शामिल हैं. हाल के वर्षों में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के खिलाफ कई सफल ऑपरेशन चलाए हैं, जिनमें कई बड़े नक्सली कमांडर या तो मारे गए हैं या उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया है. 

हाल ही में, 21 मई 2025 को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में हुए एक बड़े एनकाउंटर में नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) के महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ बसवराज को मार गिराया गया, जिस पर कुल मिलाकर 10 करोड़ रुपये का इनाम था. हालांकि, माडवी हिडमा जैसे कई अन्य खूंखार नक्सली अभी भी फरार हैं और सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं. जानते हैं बाकी बचे मोस्ट वॉन्टेड नक्सलियों की कहानी.

कौन था बसवराज?
नंबाला केशव राव उर्फ बसवराज माओवादी संगठन का शीर्ष कमांडर और सीपीआई (माओवादी) का महासचिव था. उसका जन्म आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के जियानापेट्टा गांव में एक मध्यमवर्गीय कलिंग समुदाय के परिवार में हुआ था. बसवराज एक होनहार छात्र था. उसने वारंगल स्थित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (पूर्व में क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कॉलेज) से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की थी. लेकिन कॉलेज जीवन के दौरान ही वह रेडिकल स्टूडेंट्स यूनियन जैसे अतिवादी छात्र संगठन के संपर्क में आया. वर्ष 1979 में आरएसएस से जुड़ी एक झड़प के दौरान एक छात्र की मौत हुई, जिसके बाद बसवराज को गिरफ्तार किया गया. हालांकि, जमानत पर रिहा होने के बाद उसने भूमिगत जीवन अपना लिया और क्रांतिकारी बन गया.

माओवादी संगठन में बसवराज की भूमिका
1980 के दशक में बसवराज पीपुल्स वार ग्रुप से जुड़ा. इस संगठन ने ओडिशा और आंध्र प्रदेश की सीमा से लगे आदिवासी क्षेत्रों में किसानों और आदिवासियों के बीच सशस्त्र आंदोलन को संगठित किया. बसवराज धीरे-धीरे संगठन का प्रमुख सैन्य रणनीतिकार बन गया. 1989-90 के बीच उसकी योजना और रणनीतियों के चलते संगठन की सशस्त्र गतिविधियों में तेज़ी आई. साल 2004 में जब सीपीआई (माओवादी) का गठन हुआ, तब वह उसके मुख्य संस्थापक और रणनीतिक योजनाकार के रूप में उभरकर सामने आया. उसने पार्टी की सेंट्रल कमेटी और पोलित ब्यूरो का हिस्सा बनकर, देशभर के माओवादी नेटवर्क को रणनीतिक तौर पर संगठित किया था.

बसवराज की मौत और उसका असर
21 मई 2025 को छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में एक बड़े एनकाउंटर में बसवराज मारा गया. उस पर कुल मिलाकर 10 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था. सरकारी सूत्रों के अनुसार, बसवराज की मौत से माओवादी संगठन के नेटवर्क को गहरा झटका लगा है. छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र (गढ़चिरौली) और झारखंड जैसे राज्यों में माओवादियों के बीच आत्मसमर्पण की प्रवृत्ति पहले से तेज़ हो गई है. कई माओवादी अब बातचीत के लिए तैयार हो रहे हैं.

सरकार ने अबूझमाड़ जैसे दुर्गम इलाकों पर अब धीरे-धीरे नियंत्रण पाना शुरू कर दिया है. ये क्षेत्र माओवादियों के लॉजिस्टिक और आपूर्ति नेटवर्क का मुख्य आधार थे. ये इलाके लंबे समय से माओवादियों के नियंत्रण में थे. विशेषज्ञ मानते हैं कि बसवराज की मौत महज़ एक व्यक्ति का अंत नहीं है, बल्कि यह भारत के लिए लाल गलियारे पर पुनः नियंत्रण पाने की दिशा में एक बड़ी रणनीतिक सफलता है. सूत्रों के अनुसार, यह माओवादी नेटवर्क के खिलाफ पिछले 18 महीनों से चलाए जा रहे केंद्र और राज्य सुरक्षा बलों के समन्वित अभियानों का नतीजा है.

माडवी हिडमा (Madvi Hidma)
माडवी हिडमा, जिसे हिडमन्ना, हिडमालु, या संतोष के नाम से भी जाना जाता है. वह छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पूवर्ती गांव का रहने वाला है. वह भाकपा (माओवादी) की पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) की बटालियन नंबर-1 का कमांडर है और कई बड़े नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता है. हिडमा की पहचान बस्तर क्षेत्र में नक्सलियों के प्रमुख नेता के तौर पर होती है. वह अपनी कठोर रणनीति और सुरक्षा बलों पर हमलों के लिए कुख्यात है.

आरोपः हिडमा पर कई बड़े नक्सली हमलों का आरोप है, जिनमें 2013 का झीरम घाटी हमला भी शामिल है. उस हमले में 33 लोग मारे गए थे, जिनमें छत्तीसगढ़ कांग्रेस के शीर्ष नेता शामिल थे. इसके अलावा, साल 2010 में दंतेवाड़ा में 76 सीआरपीएफ जवानों की हत्या और साल 2017 में बुरकापाल हमला, जिसमें 24 जवान शहीद हुए थे. इसके बाद साल 2021 में बीजापुर में 22 जवानों की शहीद करने वाले हमले में भी उसका नाम सामने आया था.

इनाम: छत्तीसगढ़ सरकार ने हिडमा पर 45 लाख रुपये का इनाम घोषित किया है. जबकि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 2022 में उस पर 25 लाख रुपये का इनाम रखा था. कुछ स्रोतों के अनुसार, विभिन्न एजेंसियों द्वारा उस पर कुल मिलाकर 1 करोड़ रुपये तक का इनाम हो सकता है.

वर्तमान स्थिति: हाल के एक घटनाक्रम में, संभवतः सुरक्षा बलों के बढ़ते दबाव के कारण नक्सली संगठन ने हिडमा को अपनी सेंट्रल कमेटी से बाहर कर दिया है. बताया जाता है कि वह अब गुप्त स्थान पर छिपा हुआ है और उसका ठिकाना बदल चुका है. फिर भी, वह सुरक्षा बलों के लिए एक प्रमुख टारगेट बना हुआ है.

सुरक्षा बलों द्वारा कई अन्य नक्सली कमांडरों को टारगेट किया जा रहा है, जिनके नाम और इनामी राशि निम्नलिखित हैं. ये नक्सली मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ और झारखंड के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से संबंधित हैं, जहां नक्सलियों की गतिविधियां अभी भी जारी हैं. 

छत्तीसगढ़ के वॉन्टेड नक्सली-

सुजाता (Sujata)
सुजाता एक प्रमुख महिला नक्सली कमांडर हैं, जिसे 2021 के बीजापुर हमले में हिडमा के साथ शामिल माना गया था. वह नक्सली संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और छत्तीसगढ़ में सक्रिय है. छत्तीसगढ़ सरकार ने सुजाता पर 25 लाख रुपये का इनाम घोषित किया है. वह अभी भी फरार है और सुरक्षा बलों की नजर में है.

मुचाकी जोगा और मुचाकी जोगी
मुचाकी जोगा (33) और उनकी पत्नी मुचाकी जोगी (28) माओवादियों के माड़ डिवीजन में PLGA कंपनी नंबर 1 में डिप्टी कमांडर और सदस्य के रूप में सक्रिय है. दोनों पर 8-8 लाख रुपये का इनाम घोषित है. दोनों ने 2025 में सुकमा में आत्मसमर्पण कर दिया था.

किकिद देवे और मनोज (दुधी बुधरा)
ये दोनों माओवादियों की एरिया कमेटी के सदस्य हैं और कई हमलों में शामिल रहे हैं. इन दोनों पर 2-2 लाख रुपये का इनाम था. इन्होंने भी 2025 में सुकमा में आत्मसमर्पण किया है.

झारखंड के वॉन्टेड नक्सली
राज्य में नक्सलियों की संख्या में कमी आई है, लेकिन कुछ बड़े नक्सली अभी भी सक्रिय हैं. झारखंड सरकार ने 61 इनामी नक्सलियों की सूची जारी की है, जिनमें से कुछ प्रमुख नाम निम्नलिखित हैं-

असीम मंडल उर्फ आकाश उर्फ तिमिर
नक्सली असीम को पूर्वी सिंहभूम जिले में नक्सली हिंसा का मास्टरमाइंड माना जाता है. वह झामुमो सांसद सुनिल महतो की हत्या में शामिल था. इसके बाद उस पर 1 करोड़ रुपये का इनाम रखा गया. फिलहाल, वो फरार चल रहा है. लेकिन वह कोल्हान क्षेत्र में अब भी सक्रिय है.

पतिराम मांझी उर्फ तूफान
नक्सली तूफान माओवादियों की सेंट्रल कमेटी का मेंबर है और वह कोल्हान क्षेत्र में सक्रिय है. उस पर भी 1 करोड़ रुपये का इनाम रखा गया है. फिलहाल, वो फरार चल रहा है. वह लगातार सुरक्षा बलों के निशाने पर है और उसकी तलाश जारी है.

मिसिर बेसरा उर्फ भास्कर उर्फ सुनिर्मल उर्फ सागर
अलग-अलग नामों से पहचान बनाने वाला यह शातिर नक्सली सेंट्रल कमेटी का मेंबर है. मिसिर बेसरा विभिन्न नक्सली गतिविधियों में शामिल रहा है. उस पर भी सरकार ने 1 करोड़ रुपये का इनाम रखा है. फिलहाल, मिसिर बेसरा उर्फ भास्कर उर्फ सुनिर्मल उर्फ सागर फरार चल रहा है. उसकी तलाश जारी है.

अभिजीत यादव और गोदराय यादव
ये दोनों नक्सली पलामू क्षेत्र में सक्रिय हैं और दोनों ही जोनल कमांडर हैं. जिन पर सरकार ने 10-10 लाख रुपये का इनाम घोषित किया है. हालांकि ये दोनों अभी तक पुलिस की पहुंच से बाहर हैं. इनकी तलाश जारी है.

रविंद्र मेहता उर्फ छोटा व्यास
नक्सली रविंद्र पलामू में सक्रिय है. वह माओवादी संगठन का सदस्य है. जिस पर सरकार ने 5 लाख रुपये का इनाम रखा है. लेकिन फिलहाल वो भी सुरक्षा बलों की पहुंच से बाहर है. लगातार फरार चल रहा है. उसकी तलाश जारी है.

इनके अलावा झारखंड में अनुज, ब्रजेश सिंह गंझू, लालचंद हेंब्रम उर्फ अनमोल दा, रघुनाथ हेंब्रम उर्फ निर्भय जी, अजय उर्फ टाइगर आदि नक्सलियों का बोलबाला है. ये सभी स्टेट एरिया कमेटी के सदस्य हैं और झारखंड के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय हैं. इनमें से हर एक पर 25 लाख रुपये का इनाम रखा गया है. ये सभी फिलहाल, फरार चल रहे हैं. इनकी तलाश में सारंडा के जंगलों में खोजी अभियान चल रहा है.

नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की कार्रवाई

छत्तीसगढ़ में 2025 में नक्सलियों के खिलाफ कई बड़े ऑपरेशन हुए. नारायणपुर में 21 मई 2025 को हुए एनकाउंटर में 27 नक्सली मारे गए, जिनमें बसवराज जैसे बड़े नाम शामिल थे. बीजापुर और कांकेर में 113 नक्सली मारे गए, 104 गिरफ्तार हुए, और 164 ने आत्मसमर्पण किया.

झारखंड में 2021 से 2025 तक 1490 नक्सली गिरफ्तार हुए हैं. सारंडा के जंगलों में नक्सलियों के खिलाफ विशेष अभियान चल रहा है, जिसका लक्ष्य 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करना है.

महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में मई 2025 में 5 नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया, जिन पर कुल 36 लाख रुपये का इनाम था.

माडवी हिडमा नक्सलियों का एक प्रमुख कमांडर है, जिस पर 45 लाख से 1 करोड़ रुपये तक का इनाम घोषित है. उसके अलावा, झारखंड में असीम मंडल, पतिराम मांझी, और मिसिर बेसरा जैसे नक्सलियों पर 1-1 करोड़ रुपये का इनाम है, जबकि सुजाता और अन्य कमांडरों पर 25 लाख से 2 लाख रुपये तक के इनाम हैं. सुरक्षा बलों ने नक्सलवाद के खिलाफ अपनी कार्रवाई तेज कर दी है, और 2026 तक नक्सलवाद को खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है. हालांकि, हिडमा जैसे नक्सलियों की गुप्त गतिविधियां और जंगलों में उनकी मौजूदगी अभी भी एक बड़ी चुनौती है.

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