मॉनसून 2025 भारत के लिए यादगार रहा, लेकिन ज्यादातर दुखद तरीके से. देश का लगभग आधा हिस्सा – यानी 45% इलाका – भारी बारिश का शिकार हुआ. 59 नदियों में बाढ़ का स्तर टूटा और 1500 से ज्यादा लोग जान गंवा बैठे. विशेषज्ञ कहते हैं कि अब जलवायु परिवर्तन ही मॉनसून का मुख्य कारण है, न कि एल नीनो या ला नीनो. Photo: PTI
यह बदलाव मॉनसून को और गीला बना रहा है. पिछले 10 मानसून में से 5 में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई. क्लाइमेट ट्रेंड्स नामक संगठन की नई रिपोर्ट बताती है कि जलवायु परिवर्तन मानसून को बदल रहा है – बारिश के दिन कम हो रहे हैं, लेकिन जब होती है तो बहुत तेज. Photo: PTI
क्लाइमेट ट्रेंड्स की रिपोर्ट में कुछ चौंकाने वाले आंकड़े हैं- भारत का 45% हिस्सा भारी बारिश का शिकार. 2277 बाढ़ और भारी बारिश की घटनाएं हुई. इनमें 1528 लोग मारे गए. 59 बाढ़ स्तर टूटे. 2020 के बाद 9 प्रमुख नदी घाटियों में यह संख्या तीसरी सबसे ज्यादा है. उत्तर-पश्चिम भारत में 27% ज्यादा बारिश. पूर्व-पूर्वोत्तर में 20% कमी. Photo: PTI
समुद्र की सतह का गर्म होना, पश्चिमी विक्षोभ का बदलना, हिमनद पिघलना और वायुमंडलीय बदलाव. भारतीय मौसम विभाग (IMD) के जिला स्तर के आंकड़ों से पता चलता है कि मॉनसून अब कम दिनों में ज्यादा तेज बारिश ला रहा है. ग्लोबल वॉर्मिंग इसका मुख्य कारण है. Photo: PTI
मॉनसून 2025 में बारिश असमान रही. IMD के अनुसार, 36 मौसम उप-क्षेत्रों में से 46% इलाके में सामान्य बारिश. 35% में ज्यादा, 10% में बहुत ज्यादा. सिर्फ 9% में कमी. 186 जिलों में ज्यादा बारिश. 67 जिलों में बहुत ज्यादा. 134 जिलों में कमी, 67 में गंभीर कमी. Photo: PTI
उत्तर-पश्चिम भारत चमका: यहां 27% ज्यादा बारिश, 2001 के बाद सबसे ज्यादा. लद्दाख में 342% ज्यादा, राजस्थान में 60-70%. गुजरात में 25% ज्यादा. मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र भी अच्छा प्रदर्शन. मध्य भारत मजबूत: गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र ने अच्छी बारिश दी. Photo: PTI
पूर्वोत्तर सबसे खराब: 20% कमी. असम, अरुणाचल प्रदेश और बिहार सबसे प्रभावित. यहां सामान्य 1367.3 मिमी के मुकाबले सिर्फ 1089.9 मिमी बारिश. 1901 के बाद सबसे सूखा मॉनसून. 2016 से 2025 तक: 5 साल ज्यादा बारिश, 2 सामान्य, 3 कम. यह जलवायु परिवर्तन का संकेत है. Photo: PTI
2025 का मॉनसून लंबी अवधि के औसत (LPA) का 108% रहा – लगातार दूसरा साल ज्यादा बारिश का. मॉनसून में 2277 बाढ़ और भारी बारिश की घटनाएं हुईं. 1528 मौतें हुईं. मध्य प्रदेश: 290 मौतें. उत्तर प्रदेश: 201. हिमाचल प्रदेश: 141. जम्मू-कश्मीर: 139. 18 मानसून सप्ताहों में से 14 में ज्यादा या बहुत ज्यादा बारिश. Photo: PTI
अगस्त सबसे खराब महीना – 28 बाढ़ स्तर टूटे. गंगा नदी घाटी में 32 घटनाएं, यमुना में 10. वैज्ञानिक कहते हैं कि गर्म समुद्र, बदले हवाओं और ज्यादा नमी से बारिश तेज हो रही. अरब सागर और बंगाल की खाड़ी गर्म हो रही, जिससे भाप बढ़ रही और मूसलाधार बारिश हो रही. Photo: PTI
स्काइमेट वेदर के वाइस प्रेसिडेंट महेश पलावत कहते हैं कि पहले दशकों से ज्यादा नमी लोड हो रही. अरब सागर गर्म है, जो भारी भाप देता है. पश्चिमी विक्षोभ का नया खेल: ये सर्दी के सिस्टम अब गर्मी में मानसून से टकरा रहे. इससे उत्तर भारत में लंबे कम दबाव वाले क्षेत्र बनते और भारी बारिश होती. Photo: PTI
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ जियोमैग्नेटिज्म के डायरेक्टर डॉ. एपी दिम्री कहते हैं कि पश्चिमी विक्षोभ अब दक्षिण की ओर आ रहे, हिमालय और उत्तरी मैदानों में बारिश बढ़ा रहे. हिमालय का खतरा: हिमालय वैश्विक औसत से तीन गुना तेज गर्म हो रहा. हिमनद पिघल रहे, जो फ्लैश फ्लड बढ़ाते. Photo: PTI
आईआईएसईआर पुणे के ग्लेशियोलॉजिस्ट डॉ. अर्घा बनर्जी कहते हैं कि ग्लेशियर पिघलना फ्लैश फ्लड का मुख्य कारण नहीं, लेकिन इसे बढ़ावा देता। बर्फ पिघलने से नदियां जल्दी भर जातीं. मध्य पूर्व की गर्मी उत्तर-पश्चिम भारत और पाकिस्तान में 46% तेज बारिश का कारण. यह नमी वाली हवाओं को उत्तर धकेलती, जो तूफानी बारिश लाती. Photo: PTI
पूर्व IMD चीफ डॉ. केजे रमेश कहते हैं कि राजस्थान और गुजरात में 20 सालों में बारिश बढ़ी. तेलंगाना, आंध्र और कर्नाटक में भी लेकिन कम. उत्तर प्रदेश और बिहार में एरोसोल प्रदूषण से कमी. पूर्वोत्तर में जलवायु परिवर्तन से पैटर्न बदला. ये ट्रेंड जारी रहेंगे. हमें अनुकूलन सीखना होगा. Photo: PTI