खतरनाक जंगल में रहकर पैदा की दो बेटियां, सांपों के बीच बिताए 8 साल, गुफा से दूर होकर टूटा रूसी महिला का दिल

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'गुफा में रहने के हमारे दिन खत्म हो गए... हमारा घर तोड़ दिया गया है. हमें एक ऐसी जेल जैसी जगह में रखा गया है जहां न खुला आसमान है न घास है और न ही पास में कोई झरना है. अब हम एक सख्त ठंडे फर्श वाली जगह पर सोते हैं जहां हमें कथित तौर पर बारिश और सांपों से बचाने के लिए रखा गया है.', 40 साल की रूसी महिला नीना कुटीना उर्फ मोही को जब उनकी दो बेटियों के साथ उस गुफा से बाहर निकाला गया जिसमें वो बीते दो महीनों से रह रही थीं तो उनका दिल टूट गया. उन्होंने अपने एक रिश्तेदार को इसकी जानकारी देते हुए ये वाट्सऐप मैसेज किया जिसमें साफ झलकता है कि जंगल से दूर होकर वो कितनी दुखी हैं. 

नीना को हाल ही में कनार्टक के गोकर्ण में रामतीर्थ पहाड़ी क्षेत्र के जंगल में स्थित एक खतरनाक गुफा से रेस्क्यू किया गया है और अब उन्हें वापस उनके देश यानी रूस भेजा जाएगा. पुलिस रुटीन पेट्रोलिंग के दौरान जंगल में पहुंची थी लेकिन तभी उन्हें गुफा के आसपास हलचल दिखाई दी. गुफा के दरवाजे पर प्लास्टिक की एक पन्नी लगी थी और जब पुलिस अंदर गई तो उन्होंने देखा कि अंदर एक बच्ची खेल रही है और नीना अपनी दूसरी बेटी के साथ सो रही हैं. 

नीना और उनकी दो बेटियों, छह साल की प्रेया और चार साल की एमा को गोकर्ण पुलिस के सब-इंस्पेक्टर श्रीधर एस आर और उनकी टीम ने मिलकर रेस्क्यू किया. सब-इंस्पेक्टर श्रीधर ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि नीना 2016 में पहली बार बिजनेस वीजा पर भारत आई थीं और वो गोवा में रुकी थीं. लेकिन जल्द ही उनका मन हिंदू धर्म की तरफ आकर्षित हो गया और फिर वो कनार्टक के पवित्र तटीय शहर गोकर्ण में अध्यात्म की शरण में चली गईं.

अप्रैल 2017 में नीना का वीजा खत्म हो गया बावजूद इसके, उन्होंने यहीं रुकने का फैसला किया और इमिग्रेशन अधिकारियों से बचने के लिए घनी आबादी वाली जगहों में रहने के बजाए जंगल में रहना चुना. पिछले आठ सालों से वो लोगों से दूर, जंगलों में रह रही  हैं.

2018 में उन्हें एग्जिट परमिट मिल गया जिसके बाद वो कुछ समय के लिए नेपाल भी गईं लेकिन फिर भारत लौट आईं और कनार्टक के उत्तर कन्नड़ जिले के घने जंगलों में रहने लगीं. जंगल में वो अपनी दो बेटियों के साथ पूरी तरह से एकांत में रहती थीं जहां न बाहरी दुनिया से कोई कनेक्शन था और न ही कोई आधुनिक सुविधा. पिछले दो महीने से नीना जिस गुफा में रह रही थीं वो जंगली घास से ढका हुआ है और यहां भूस्खलन का काफी खतरा है.

नीना की गुफा के अंदर पुलिस को क्या मिला?

पुलिस ने बताया कि नीना की गुफा के अंदर भगवान शिव की मूर्ति, रूसी किताबें और हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरें रखी गई थीं. एक पुलिस ऑफिसर ने बताया, 'नीना को मेडिटेशन पसंद था और वो गुफा में रहते हुए देवी-देवताओं की पूजा करती थीं.'

पुलिस ने बताया कि नीना की दोनों बेटियों का जन्म भारत में ही हुआ है लेकिन जब उनसे उनकी बेटियों के पिता के बारे में पूछा गया तो उन्होंने उस बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया. अधिकारी फिलहाल इस बात की जांच कर रहे हैं कि जंगल में रहते हुए नीना ने बेटियों की डिलीवरी के वक्त कोई मेडिकल सहायता ली थी या नहीं.

पुलिस ने जब नीना से गुफा छोड़ने की बात कही तो वो बिल्कुल तैयार नहीं हुईं. पुलिस ने जब कहा कि यह जंगल विषैले सांपों से भरा है जहां रहना खतरे से खाली नहीं है तो नीना ने जवाब दिया, 'सांप हमारे दोस्त हैं और जब तक हम उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाते वो हमारा कुछ नहीं बिगाड़ते हैं. जब हम पास के झरने में नहाने के लिए जाते हैं तो हमारे आस-पास सांप घूमते रहते हैं, वो हमें नुकसान नहीं पहुंचाते हैं.'

नीना से जब कहा गया कि बारिश के मौसम में उनकी गुफा के आसपास भूस्खलन का डर है तब जाकर वो गुफा से बाहर आने को राजी हुईं.

गुफा में रहते हुए बच्चों को आध्यात्म और कला की शिक्षा दे रही थी रूसी महिला

पुलिस ने बताया कि बारिश के मौसम में भी नीना अपनी बच्चियों के साथ बेहद कम संसाधनों में जीवन गुजार रही थीं और खाने-पीने का पर्याप्त सामान जमा कर रखा था. बताया जा रहा है कि नीना सामान खरीदने और फोन चार्ज करने के लिए अपनी बेटियों के साथ पास के कस्बे में जाती थीं और फिर जल्द ही वापस गुफा में आ जाती थीं.

नीना की दोनों बेटियां काफी स्वस्थ और एनर्जेटिक हैं और जब बीते हफ्ते शुक्रवार को रेस्क्यू के बाद उन्हें एक आश्रम में लाया गया तो वो लाइटों, बेड्स और बाकी चीजों को देखकर काफी खुश थीं. वो ऐसे माहौल में पहले कभी नहीं रही थीं.

सब-इंस्पेक्टर श्रीधर ने बताया कि नीना के फोन में उनकी बच्चियों की ढेरों तस्वीरें थीं जिनमें वो खुशी-खुशी पोज दे रही थीं. नीना ने अपनी दोनों बेटियों को जंगल में काफी अच्छे से पाला और वो उन्हें चित्र बनाना, गाना, मंत्रोच्चारण, योगा... सबकुछ सीखा रही थीं.

रेस्क्यू के अगले दिन श्रीधर को नीना की तरफ से एक दर्दभरा मैसेज मिला. उन्होंने बताया, 'उन्होंने लिखा कि वो भारत से प्यार करती हैं, जंगलों और मेडिटेशन से प्यार करती हैं और पुलिस की वजह से उन्हें ये सब पीछे छोड़कर जाना पड़ रहा है.'

नीना और उनकी बेटियों को भारत से रूस भेजा जाएगा जिसके लिए आज यानी 14 जुलाई को आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए उन्हें बेंगलुरु के शांतिनगर में एफआरआरओ के समक्ष पेश किया गया. 

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