जेल में इमरान, राजपक्षे का राज ओवर, शरण में हसीना और गनी... कहां है दक्षिण एशिया का विस्थापित पॉलिटिकल एलीट?

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नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने 9 सितंबर को इस्तीफा दे दिया क्योंकि सरकार द्वारा सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन तेज हो गए थे.

सरकार द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध हटाने की घोषणा के बावजूद नेपाल में अगले दिन भी विरोध प्रदर्शन जारी रहे.

ओली के इस्तीफे के साथ ही नेपाल भारत का कम से कम तीसरा पड़ोसी देश बन गया है, जो युवाओं के नेतृत्व में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद 2022 के बाद से महत्वपूर्ण राजनीतिक परिवर्तन से गुजर रहा है. 

बांग्लादेश में भी असंतोष की ऐसी ही लहर देखी गई, जहां जुलाई 2024 में ढाका में छात्रों के नेतृत्व में प्रदर्शन हुए. 1971 के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को लाभ पहुंचाने वाली विवादास्पद नौकरी कोटा प्रणाली के खिलाफ शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन जल्द ही जनता की हताशा की व्यापक अभिव्यक्ति में बदल गया.

तख्तापलट के बाद फरार हुए नेताओं की वर्तमान गतिविधियों और ठिकानों पर एक नजर डालें.

श्रीलंका: राजपक्षे सिंगापुर भागे, अब कोलंबो में हैं

13 जुलाई, 2022 को श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे मालदीव भाग गए और 14 जुलाई को सिंगापुर के लिए रवाना हुए. अगले दिन राजपक्षे ने सिंगापुर से ईमेल द्वारा अपना त्यागपत्र भेज दिया. अगस्त 2022 में गोटबाया राजपक्षे सिंगापुर से बैंकॉक पहुंचे, जहां वे जुलाई के मध्य से रह रहे थे.

श्रीलंका के सबसे बुरे आर्थिक संकट ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों और अभूतपूर्व जन आक्रोश को जन्म दिया. जिसके कारण आखिरार पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को व्यापक प्रदर्शनों के बाद विदेश भागना पड़ा.

लगभग 2.2 करोड़ की आबादी वाला श्रीलंका एक अभूतपूर्व आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जो 70 वर्षों में सबसे बुरा है. इससे लाखों लोगों को भोजन, दवा, ईंधन और अन्य आवश्यक वस्तुओं के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. जुलाई 2022 में देश का कुल विदेशी कर्ज 51 अरब अमेरिकी डॉलर था.

जून 2022 में देश की महंगाई दर रिकॉर्ड 54.6% तक पहुंच गई थी. जबकि खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 80.1% हो गई थी.

व्यापक अशांति के कारण देश से भागने के लगभग दो महीने बाद गोटाबाया राजपक्षे 2 सितंबर 2022 को थाईलैंड से श्रीलंका वापस आ गए.

राजपक्षे 2019 से 2022 तक श्रीलंका के आठवें राष्ट्रपति रहे. 

बांग्लादेश: शेख हसीना को भारत में मिली शरण 

5 अगस्त 2024 को एक छात्र आंदोलन और सैन्य हस्तक्षेप के बीच बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया और शरण लेने के लिए हेलीकॉप्टर से भारत भाग गईं. इस दौरान उनकी बहन शेख रेहाना भी उनके साथ थीं. शेख हसीना के सामने ऐसी स्थिति पैदा हो गई कि वह जनता को संबोधित भी नहीं कर सकीं और अचानक चली गईं.

दिल्ली शेख हसीना के लिए नई नहीं है. वह अपने बहन के साथ तब भी दिल्ली में थीं जब 1975 में उनके पिता और बांग्लादेश के राष्ट्रपति शेख मुजीबुर्रहमान की परिवार के दूसरे सदस्यों के साथ हत्या कर दी गई थी. 

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय का अनुमान है कि पिछले गर्मियों में बांग्लादेश में शेख हसीना के खिलाफ छात्रों के प्रदर्शनों पर की गई कार्रवाई में तीन हफ़्तों में 1,400 लोग मारे गए. 

8 अगस्त को एक अंतरिम सरकार सत्ता में आई और तब से उसने अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया है और कई वरिष्ठ नेताओं को गिरफ्तार किया है.

शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को मई 2025 में बांग्लादेश में आतंकवाद विरोधी अधिनियम के तहत गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था और विरोध प्रदर्शनों को हिंसक रूप से दबाने में उसकी भूमिका के लिए उस पर मुकदमे चल रहे हैं.

7 सितंबर को प्रतिबंधित अवामी लीग के एक हजार से ज़्यादा कार्यकर्ताओं ने ढाका में संसद परिसर के पास एक विरोध मार्च निकाला और पार्टी प्रमुख शेख हसीना के समर्थन में नारे लगाए. 

इससे पहले हजारों लोग तेजगांव में एक मार्च में शामिल हुए जबकि एक हफ़्ते पहले गुलिस्तान में बैतुल मुकर्रम मस्जिद के पास सैकड़ों लोग इकट्ठा हुए थे. 

फिर भी वर्तमान में उनकी राजनीतिक संभावनाएं और उनका ठिकाना अस्पष्ट हैं, क्योंकि भारत ने उन्हें और उनके सहयोगियों को किसी भी खुले राजनीतिक कदम में शामिल होने से मना किया है.

अफगानिस्तान: आबूधाबी में हैं अशरफ गनी

15 अगस्त 2021 को जब तालिबान ने काबुल पर कब्ज़ा कर लिया तो पूर्व अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी राष्ट्रपति भवन से निकलकर विमान से भाग गए.

मानवीय आधार पर संयुक्त अरब अमीरात में शरण मिलने से पहले वे ताजिकिस्तान पहुंचे. तब से वे अबू धाबी में एक गुप्त स्थान पर निर्वासित जीवन जी रहे हैं.

15 अगस्त को अमेरिका समर्थित अफगानिस्तान में गनी प्रशासन के अचानक और अभूतपूर्व विघटन के बाद तालिबान विद्रोहियों ने काबुल पर तेजी से कब्जा कर लिया था. जिसके कारण राष्ट्रपति को भी नागरिकों और प्रवासियों के साथ देश छोड़कर भागना पड़ा. 

गनी के बारे में अफवाह थी कि वे भारी मात्रा में नकदी और कीमती सामान ले गए हैं.

गनी ने देश से भागते समय खजाने से लाखों की चोरी करने से इनकार किया. उन्होंने कहा, "मैं और मेरी पत्नी अपने निजी वित्तीय मामलों में बहुत सावधानी बरतते हैं. मैंने अपनी सारी संपत्ति सार्वजनिक रूप से घोषित कर दी है." उन्होंने आगे कहा कि वह अपने बयानों की सत्यता साबित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र या किसी अन्य उपयुक्त स्वतंत्र निकाय की निगरानी में आधिकारिक ऑडिट या वित्तीय जांच का स्वागत करते हैं.

अशरफ गनी सितंबर 2014 से अगस्त 2021 तक अफगानिस्तान के राष्ट्रपति थे.

पाकिस्तान: जेल में बंद इमरान खान के खिलाफ 150 से ज्यादा केस

9 मई 2023 को इमरान खान को अल-कादिर ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले में हिरासत में लिया गया, जिसके बाद पूरे पाकिस्तान में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए.

बाद में 17 जनवरी 2025 को उन्हें इसी मामले में 14 साल की जेल की सजा सुनाई गई, जबकि उनकी पत्नी बुशरा बीबी को 7 साल की सजा सुनाई गई.

इमरान खान पर वर्तमान में 150 से ज़्यादा आपराधिक मामले चल रहे हैं. उनकी राजनीतिक पार्टी ने आगामी उपचुनावों से यह कहते हुए किनारा कर लिया है कि चुनावी प्रक्रिया में निष्पक्षता का अभाव है और इसमें भाग लेने से उन गैरकानूनी प्रावधानों को वैधता मिल जाएगी जिन्हें वे अवैध मानते हैं.

पाकिस्तान के राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो ने दिसंबर 2023 में 72 साल के इमरान खान, 50 वर्ष की बुशरा बीबी और छह अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था.  इस केस में उन पर राष्ट्रीय खजाने को 19 करोड़ पाउंड (50 अरब पाकिस्तानी रुपये) का नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया गया था.

इमरान खान अभी जेल में बंद हैं. उन्होंने आरोपों से इनकार करते हुए इन्हें राजनीति से प्रेरित बताया है.
 

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