टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर FATF का एक्शन, उत्तर कोरिया-ईरान और म्यांमार ब्लैकलिस्ट

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आतंकवाद के वित्तपोषण और मनी लॉन्ड्रिंग पर निगरानी रखने वाली फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने उत्तर कोरिया (DPRK), ईरान और म्यांमार को अपनी ब्लैकलिस्ट में बरकरार रखा है. इन देशों को आतंकवाद के वित्तपोषण (टेरर फंडिंग) और मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के अपने तंत्र (AML/CFT) में गंभीर कमियों के कारण इस लिस्ट में रखा गया है. FATF ने इन देशों की पहचान अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम के रूप में की है और इन्हें 'हाई-रिस्क ज्यूरिसडिक्शन सब्जेक्ट टू ए कॉल फॉर एक्शन' करार दिया गया है.

FATF की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन देशों में अवैध वित्तीय गतिविधियों से निपटने में उनकी लगातार विफलताएं मिली हैं. जिससे वैश्विक आतंकवाद, हथियार तस्करी और अपराध सिंडिकेट्स को बढ़ावा मिलता है. संस्था ने सदस्य देशों से इन क्षेत्रों के साथ लेन-देन में अतिरिक्त सतर्कता बरतने को कहा है.

FATF समय-समय पर अपनी लिस्ट की समीक्षा करता है, लेकिन ये तीनों देश लगातार ब्लैकलिस्ट बने हुए हैं. ब्लैकलिस्ट में शामिल होने से वित्तीय संस्थानों को इन देशों से दूरी बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे घरेलू नीति निर्माताओं पर विनियमन सुधार का दबाव पड़ता है, ताकि FATF मानकों का पालन हो सके.

बता दें कि म्यांमार को अक्टूबर 2022 में ब्लैकलिस्ट में डाला गया था, क्योंकि उसने मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद वित्तपोषण रोकने के लिए निर्धारित कार्य योजना में पर्याप्त प्रगति नहीं की. FATF ने देश से कमियों को दूर करने की अपील की है और चेतावनी दी है कि यदि अक्टूबर 2025 तक और सुधार नहीं हुआ तो प्रतिबंधात्मक उपाय (countermeasures) पर विचार किया जा सकता है.

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