पिछले पांच दिनों से ईरान और इजरायल के बीच जंग छिड़ी हुई है, जो थमने का नाम नहीं ले रही है. 2300 किलोमीटर की दूरी के बावजूद दोनों देश एक-दूसरे पर बारूद की बारिश कर रहे हैं. इजरायल ने ईरान के तेल के कुओं को तबाह कर दिया है, वहीं ईरान की मिसाइलों ने इजरायल के बंदरगाहों को खंडहर में बदल दिया है. ईरान के परमाणु ठिकानों पर इजरायल के हमलों ने भारी तबाही मचाई है, जबकि इजरायल की बस्तियां भी ईरानी हमलों से बर्बाद हो रही हैं. इस जंग में न तो इजरायल पीछे हट रहा है और न ही ईरान झुकने को तैयार है.
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ऐलान किया है कि जंग तब तक जारी रहेगी, जब तक तीन मकसद पूरे नहीं हो जाते. पहला, ईरान के परमाणु ठिकानों का विनाश. दूसरा, ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलों की ताकत को खत्म करना. तीसरा, आतंक की धुरी को नेस्तनाबूद करना. नेतन्याहू ने कहा, "तीन अहम नतीजे हमें चाहिए. परमाणु कार्यक्रम का विनाश, बैलिस्टिक मिसाइलों की उत्पादन क्षमता का विनाश और आतंक की धुरी का विनाश. हम उन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए जो भी जरूरी होगा उसे करेंगे."
इजरायल का दावा है कि उसने पांच दिनों में ईरान के परमाणु ठिकानों को तबाह कर दिया है. सैकड़ों मिसाइल लॉन्चर्स को नष्ट किया है. ईरान के आधे से अधिक ड्रोन और यूएवी को खाक में मिला दिया है. दूसरी ओर, ईरान ने भी पलटवार की पूरी ताकत दिखाई है. ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने ओमान के सुल्तान हैथम बिन तारिक से फोन पर बातचीत में चेतावनी दी कि यदि अमेरिका ने इजरायली हमलों पर लगाम नहीं लगाई, तो ईरान का अगला जवाब बेहद दर्दनाक होगा.
ईरान की रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने दावा किया कि इजरायल को इस जंग में हार का सामना करना पड़ेगा. ईरान न तो हथियार डालने को तैयार है और न ही अमेरिका की शर्तों पर डील करने को राजी है. इजरायल ने इस जंग में कई चरणों में रणनीति अपनाई है. सबसे पहले उसने ईरान के रडार और हवाई रक्षा प्रणालियों को निष्क्रिय किया. इजरायल के फाइटर जेट ईरान के आसमान में मंडरा रहे हैं, जिससे ईरान की जंग लड़ने की ताकत हर दिन कमजोर पड़ रही है.
इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, "हम ईरान में न्यूक्लियर हथियार नहीं देखना चाहते." इजरायल का मकसद ईरान की परमाणु क्षमता को पूरी तरह खत्म करना है, लेकिन सवाल यह है कि ईरान कब तक इस युद्ध में टिक पाएगा? ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई इस जंग के केंद्र में हैं. 86 साल के खामेनेई, जो 36 साल से ईरान पर शासन कर रहे हैं. अमेरिका और इजरायल के सामने झुकने को तैयार नहीं हैं. उन्होंने कहा, "इजरायल के लिए अब जीना मुश्किल हो जाएगा."
इजरायल का दावा है कि इस युद्ध का अंत खामेनेई को मारकर ही होगा. नेतन्याहू ने स्पष्ट कहा, "युद्ध का समाधान खामेनेई का खात्मा है." इजरायल ने पहले ही पांच दिनों में ईरान के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ गुलाम अली राशिद और उनके बाद सेना प्रमुख अली शादमानी को मार गिराया है. ऐसे में सवाल उठता है कि जब ईरान अपने दो वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को नहीं बचा सका, तो खामेनेई की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी?
हालांकि, इजरायल का खामेनेई को खत्म करने का इरादा इतना आसान नहीं दिखता.
दावा है कि अमेरिका ने युद्ध के पहले पांच दिनों में खामेनेई को मारने के इजरायली प्लान पर वीटो लगाकर रोक दिया. ट्रंप को लगता है कि अगर ईरान डील के लिए तैयार हो जाए, तो सत्ता परिवर्तन की जरूरत नहीं पड़ेगी. लेकिन खामेनेई ने साफ कर दिया है कि ईरान किसी भी कीमत पर झुकेगा नहीं. उन्होंने कहा, "हम किसी भी हमले का मुंहतोड़ जवाब देंगे." यह युद्ध अब खामेनेई के जीवन की सबसे बड़ी चुनौती बन गया है. तेहरान की ग्रैंड मस्जिद में बंदूक थामकर तकरीर करने वाले खामेनेई के सामने सवाल है कि क्या वह अपनी सत्ता और खुद को बचा पाएंगे?