कर्नाटक के धर्मस्थल मंदिर परिसर में सैकड़ों लोगों के गुप्त दफन के आरोपों की जांच कर रही विशेष जांच टीम ने तीन एक्टिविस्टों को समन जारी किया है. महेश शेट्टी थिमारोडी, टी जयंत और गिरीश मट्टनवर को समन भेजकर सोमवार को पेश होने का आदेश दिया गया है. यदि ये तीनों एक्टिविस्ट पेश नहीं होते हैं, तो एसआईटी उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने की तैयारी में है.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक, धर्मस्थल सामूहिक दफन मामला अब अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है. इस मामले की जांच जल्द पूरी होने की संभावना है. यह सनसनीखेज मामला अगस्त 2025 में सामने आया था, जब धर्मस्थल में काम कर चुके एक पूर्व सफाई कर्मचारी चिन्नैया ने खुलासा किया कि 2002 से 2014 के बीच मंदिर परिसर में करीब 200 अज्ञात शवों को दफनाया गया है.
चिन्नैया ने दावा किया था कि इन शवों में सड़क हादसों, हत्याओं और संदिग्ध मौतों के शिकार लोग शामिल थे, जिनकी लाशों को अनियमितताओं को छिपाने के लिए गुप्त रूप से ठिकाने लगाया गया. उसके इस आरोप ने पूरे राज्य को हिला दिया. उसने सबूत के तौर पर एक इंसानी खोपड़ी पेश की, जिसे उसने उसी परिसर से बरामद करने का दावा किया. यह खोपड़ी बाद में इस पूरे मामले की केंद्रीय कड़ी बन गई.
जैसे ही यह शिकायत सामने आई धर्मस्थल मंदिर के लाखों भक्तों में भारी आक्रोश फैल गया. बढ़ते जनदबाव और राजनीतिक हलचल के बीच राज्य सरकार ने वरिष्ठ अधिकारी प्रणब मोहंती के नेतृत्व में एक विशेष जांच टीम का गठन किया. जांच ने धीरे-धीरे मामला एक नए मोड़ पर ला खड़ा किया. तीनों एक्टिविस्टों महेश शेट्टी थिमारोडी, टी जयंत और गिरीश मट्टनवर के बीच करीबी संबंध का पता चला.
ये तीनों 'जस्टिस फॉर सौजन्या' अभियान से जुड़े हुए हैं, जो 2012 में उडुपी में किशोरी सौजन्या के बलात्कार और हत्या के बाद शुरू हुआ एक दशक पुराना अभियान है. एसआईटी जांच में पता चला कि चिन्नैया को शिकायत दर्ज करने से ठीक पहले उजिरे में महेश शेट्टी थिमारोडी ने अपने घर पर शरण दी थी. 26 अगस्त को थिमारोडी के घर पर तलाशी में 44 अहम चीजें बरामद की गईं.
इनमें चिन्नैया के मीडिया इंटरैक्शन से जुड़े 25 वीडियो वाला एक लैपटॉप और 21 रिकॉर्डिंग्स वाले कई मोबाइल फोन शामिल थे. महेश शेट्टी थिमारोडी वही शख्स हैं जिन्हें कुछ समय पहले रायचूर जिले से एक पत्रकार पर हमले के आरोप में बाहर किया गया था. अब एसआईटी उससे यह पूछताछ कर रही है कि क्या उन्होंने इस मामले में आरोपों को बढ़ाने या गढ़ने की भूमिका निभाई थी.
वहीं बेंगलुरु स्थित एक्टिविस्ट टी जयंत पर आरोप है कि उसने चिन्नैया को उसकी गिरफ्तारी के बाद तीन दिनों तक अपने घर में पनाह दी. जयंत ने स्वीकार किया कि उसने गिरीश मट्टनवर के निर्देशों पर काम किया था. उसने साजिश से इनकार किया, लेकिन आरोपों का सामना करने के लिए तैयार होने की बात कही है. उसने यह भी बताया कि उसने धर्मस्थल के पास 2002-2003 में एक 15 साल की लड़की के शव को गलत तरीके से दफनाने का आरोप लगाते हुए अलग शिकायत दर्ज कराई थी.
तीसरे आरोपी गिरीश मट्टनवर, जो एक पूर्व सब-इंस्पेक्टर रह चुके हैं और जस्टिस फॉर सौजन्या अभियान के कोऑर्डिनेटर भी हैं, ने अप्रैल 2025 में चिन्नैया की मुलाकात जयंत से करवाई थी. एसआईटी की जांच में सामने आया कि मट्टनवर ने ही खोपड़ी को दिल्ली ले जाने की पूरी योजना बनाई थी. मट्टनवर पर मंदिर के प्रमुख डी वीरेंद्र हेगड़े को बदनाम करने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया.
एसआईटी जांच का सबसे अहम मोड़ तब आया जब फोरेंसिक रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि चिन्नैया द्वारा पेश की गई इंसानी खोपड़ी असल में एक मेडिकल रिसर्च सेंटर की थी. यानी यह किसी अपराध स्थल की नहीं, बल्कि प्रयोगशाला से संबंधित थी. इस खुलासे ने मामले की नींव ही हिला दी. अब जांच झूठी गवाही और सबूतों से छेड़छाड़ की दिशा में आगे बढ़ चुकी है. इसके घेरे में तीनों एक्टिविस्ट हैं.
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