पड़ोसी देशों में धड़ल्ले से बिक रहे दिल्ली से चोरी स्मार्टफोन... मोबाइल चोरों के इंटरनेशनल गैंग का भंडाफोड़

3 days ago 1

दिल्ली में सक्रिय मोबाइल फोन चोरों के खिलाफ पुलिस को बड़ी सफलता मिली है. यहां मोबाइल चोरों के एक इंटरनेशनल रैकेट का भंडाफोड़ किया गया है. दिल्ली पुलिस की विशेष टीम ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया. इस दौरान पश्चिम बंगाल के मालदा निवासी सरगना मोताहर शेख (33), उसके भाई अब्दुल शमीम (22) और मोहम्मद गुलु शेख (33) को सराय काले खां स्थित वेस्ट टू वंडर पार्क के पास से गिरफ्तार किया. 

पुलिस ने गुप्त सूचना पर जाल बिछाकर तीनों को संदिग्ध गतिविधियों के दौरान पकड़ा गया. उनके पास से तीन देसी पिस्तौल, छह जिंदा कारतूस और 228 महंगे मोबाइल फोन से भरे बैग मिले. पुलिस जांच में सामने आया कि मोताहर शेख ही इस गिरोह का मास्टरमाइंड है. वो दिल्ली के छोटे-बड़े अपराधियों से चोरी के फोन औने-पौने दामों में खरीदता था. इसके बाद उनको नेपाल और बांग्लादेश में बेंचकर मुनाफा कमाता था.

इस इंटरनेशनल सिंडिकेट की वजह से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में मोबाइल चोर ज्यादा सक्रिय हैं. पुलिस ने बताया कि ये गैंग बेहद संगठित तरीके से काम करता था. स्थानीय आपूर्तिकर्ता चोरी के फोन जुटाते, फिर उन्हें कूरियर या बसों के ज़रिए सीमावर्ती राज्यों तक भेजा जाता. वहां से ये खेप नेपाल और बांग्लादेश पहुंचाई जाती थी. यहां ये फोन सक्रिय हो जाते थे और बाजार मूल्य के 70-80 प्रतिशत तक बेचे जाते थे.

दिल्ली पुलिस के मुताबिक, चोरी के मोबाइल फोन रैकेट को बढ़ावा देने में एक सरकारी सिस्टम की अनजाने में बड़ी भूमिका रही है. सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर (CEIR) चोरी हुए फोन को भारतीय नेटवर्क पर ब्लॉक कर देता है, जिससे ये हैंडसेट देश के अंदर बेकार हो जाते हैं. लेकिन यही सिस्टम अपराधियों के लिए सीमा पार तस्करी का नया रास्ता खोल रहा है. नेपाल और बांग्लादेश में फोन एक्टिव हो जाता है.

सीईआईआर लागू होने के बाद गफ्फार जैसे ग्रे मार्केट से चोरी का कारोबार लगभग खत्म हो गया है. लेकिन अब वही फोन नेपाल या बांग्लादेश में धड़ल्ले से बिक रहे हैं. जनवरी से जुलाई तक पुलिस ने अलग-अलग ऑपरेशनों में 600 से ज्यादा फोन बरामद किए और दर्जनों तस्करों को पकड़ा. वजीराबाद, सलीमगढ़ बाईपास और आनंद विहार जैसे इलाकों से बार-बार चोरी किए गए मोबाइल फोन की खेप पकड़ी गई. 

इस दौरान कभी नेपाल जाने वाली बस से 32 आईफोन और एंड्रॉइड सेट मिले, तो कभी करोल बाग का दुकानदार 42 प्रीमियम फोन के साथ गिरफ्तार हुआ. अगस्त में पकड़े गए आठ आरोपी तो सप्लाई चेन की तरह काम कर रहे थे. पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह संगठित नेटवर्क लगातार कानून-व्यवस्था को चुनौती दे रहा है. हथियारों की बरामदगी से साफ है कि गिरोह पुलिस के विरोध के लिए भी तैयार रहता था.

मोबाइल चोरी पर अंकुश लगाने के लिए दूरसंचार विभाग ने 2019 में सेंट्रल इक्विपमेंट आइडेंटिटी रजिस्टर (CEIR) प्रणाली शुरू की थी. साल 2022 में इसे पूरे देश में लागू किया गया. इस सिस्टम के तहत पुलिस और आम नागरिक दोनों चोरी हुए फोन का IMEI नंबर ब्लॉक कर सकते हैं, जिससे यह सुनिश्चित हो जाता है कि सिम कार्ड बदलने के बाद भी हैंडसेट किसी भी भारतीय नेटवर्क पर काम न करे. 

उपभोक्ता दिल्ली पुलिस की वेबसाइट के जरिए शिकायत दर्ज करा सकते हैं. IMEI नंबर चिह्नित होते ही डिवाइस को भारत में निष्क्रिय मान लिया जाता है. हालांकि पुलिस का मानना है कि इस सिस्टम के बावजूद सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कई पीड़ित अपने फोन का IMEI नंबर लिखकर सुरक्षित नहीं रखते. ऐसे में ब्लॉकिंग अनुरोध में देरी होती है और जांच जटिल बन जाती है. इस फायदा अपराधी उठाते हैं.

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