रात के अंधेरे में एक चूहा गुफा के गेट पर खड़ा हो और उड़ते हुए चमगादड़ को हवा से ही पकड़ ले. यह कोई फिल्म का सीन नहीं, बल्कि जर्मनी की एक गुफा में हुआ असली शिकार है. वैज्ञानिकों ने पहली बार इंफ्रारेड कैमरे से यह नजारा रिकॉर्ड किया है. यह खोज ग्लोबल इकोलॉजी एंड कंजर्वेशन मैगजीन में इस महीने छपी है. आइए, इस रोमांचक और डरावनी कहानी को स्टेप बाय स्टेप समझते हैं.
गुफा में चूहों का जासूसी अभियान
यह घटना उत्तरी जर्मनी के सेगेबर्गर कल्कबर्ग गुफा में हुई, जो हैम्बर्ग शहर से करीब 50 किलोमीटर उत्तर में है. यह गुफा हजारों चमगादड़ों का घर है. यहां नाटरर चमगादड़ (मायोटिस नाटररी) और डॉबेंटन चमगादड़ (एम. डॉबेंटोनी) जैसे कई प्रकार के चमगादड़ रहते हैं. ये चमगादड़ कीड़े खाकर पर्यावरण को साफ रखते हैं, इसलिए बहुत महत्वपूर्ण हैं.
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वैज्ञानिकों ने 2021 से 2024 तक इस गुफा पर नजर रखी. उन्होंने एक खास डिवाइस लगाई, जो चमगादड़ों की गिनती करती है. इस डिवाइस पर एक मानव-निर्मित लैंडिंग प्लेटफॉर्म था, जहां चमगादड़ रुकते हैं. लेकिन यह प्लेटफॉर्म चूहों के लिए आसान शिकार का मैदान बन गया. इंफ्रारेड कैमरों से रिकॉर्डिंग की गई, जो रात के अंधेरे में भी साफ तस्वीरें लेते हैं.
शिकार का तरीका: हवा में छलांग लगाकर पकड़ना
वीडियो में देखा गया कि एक चूहा (रैटस नोरवेगिकस) - जो जर्मनी में घुसपैठिए प्रजाति है - प्लेटफॉर्म पर खड़ा रहता है. जैसे ही चमगादड़ उड़ता हुआ या लैंडिंग के बाद पास आता है. चूहा तेजी से कूदता है. वह चमगादड़ को हवा से ही पकड़ लेता है. उसे खींचकर नीचे गिरा देता है. फिर, चमगादड़ चूहे का डिनर बन जाता है.
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वैज्ञानिकों ने तीन सालों में 30 शिकार की कोशिशें और 13 सफल हत्याएं रिकॉर्ड कीं. चूहे रात में शिकार करते हैं, जब उनकी आंखें लगभग अंधी हो जाती हैं. फिर भी, वे सफल होते हैं. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि चूहे अपने मूंछों (व्हिस्कर्स) का इस्तेमाल करते हैं. चमगादड़ के पंख फड़फड़ाने से हवा में बदलाव आता है, जो चूहे की मूंछें महसूस कर लेती हैं. यह शिकार का एक कमाल का तरीका है - जैसे रडार की तरह.

क्यों है यह खोज खास? पहले कभी नहीं देखा गया
यह दुनिया में पहली बार है जब चूहों को हवा में उड़ते चमगादड़ों को पकड़ते हुए फिल्माया गया. पहले वैज्ञानिकों ने गुफाओं में जानवरों को चमगादड़ खाते देखा था, लेकिन चूहों का ऐसा शिकार नया है. चूहे घुसपैठिए हैं, यानी वे मूल निवासी नहीं. वे तेजी से फैलते हैं और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं.
अनुमान है कि अगर गुफा में कुछ ही चूहे हों, तो वे हजारों चमगादड़ों को मार सकते हैं. चमगादड़ पर्यावरण के लिए जरूरी हैं - वे कीटों को नियंत्रित रखते हैं. फसलें बचाते हैं. चूहों से चमगादड़ों की संख्या कम होने से पारिस्थितिकी (इकोसिस्टम) बिगड़ सकती है.
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खतरा बड़ा: बीमारियां फैलाने का जोखिम
चूहे सिर्फ शिकारी ही नहीं, बल्कि बीमारी के कैरियर भी हैं. चमगादड़ कई वायरस ले जाते हैं, जैसे कोरोना वायरस और पैरामाइक्सोवायरस. चूहे इन्हें खाते या छूते समय खुद संक्रमित हो सकते हैं. फिर, वे इंसानों तक ये बीमारियां पहुंचा सकते हैं. गुफाओं में ऐसा शिकार वायरस फैलाने का एक रास्ता हो सकता है. वैज्ञानिक कहते हैं कि चूहों को पहले कम आंका गया था, लेकिन अब वे चमगादड़ों के लिए बड़ा खतरा साबित हो रहे हैं.
क्या करें वैज्ञानिक? भविष्य की चिंता
यह चेतावनी है. वैज्ञानिक अब चूहों की संख्या कम करने के तरीके ढूंढ रहे हैं, जैसे जाल लगाना या घुसपैठ रोकना. गुफाओं को साफ रखना जरूरी है. अगर आप जर्मनी या ऐसी जगह घूमने जाते हैं, तो वन्यजीवों को परेशान न करें. चमगादड़ों और चूहों के बीच संतुलन बनाए रखना पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है. यह कहानी प्रकृति की सुंदरता और क्रूरता दोनों दिखाती है. एक छोटा चूहा इतना चालाक शिकारी कैसे बन गया?
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