अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान रूस, चीन और उत्तर कोरिया की तरह गुप्त रूप से परमाणु परीक्षण कर रहा है. यह दावा तब आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अभी भी ताजा है.
मई 2025 में हुए ऑपरेशन सिंदूर ने पाकिस्तान को बुरी तरह झकझोर दिया था. भारत ने आतंकवादी हमले का जवाब देते हुए पाकिस्तान के दर्जन भर से ज्यादा एयरबेस को नष्ट कर दिया. चार दिनों की इस कार्रवाई ने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया.
पाकिस्तान के परमाणु हथियार भारत में कहां तक पहुंच सकते हैं?
पाकिस्तान के पास कई परमाणु-सक्षम मिसाइलें और हथियार हैं, जो भारत पर हमला करने की क्षमता रखते हैं. ये मिसाइलें पाकिस्तान की सीमा से दागी जाती हैं, इसलिए उनकी रेंज (दूरी) के हिसाब से वे भारत के कितने हिस्से तक पहुंच सकती हैं, यह समझना आसान है.
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भारत-पाकिस्तान सीमा की औसत दूरी को ध्यान में रखें – जैसे दिल्ली पाकिस्तान से करीब 500-600 किमी दूर है, मुंबई 1000 किमी से ज्यादा और कोलकाता 1,500 किमी से ज्यादा. यह जानकारी 2025 की अमेरिकी और SIPRI रिपोर्ट्स पर आधारित है.
ध्यान दें: ये अनुमानित हैं, असल हमला कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है (जैसे लॉन्च साइट).
1. छोटी रेंज वाली मिसाइलें (सीमा के पास के इलाकों पर हमला)
- नसर (नस्र, हात्फ-9): रेंज - 70 किमी
- भारत में पहुंच: सिर्फ सीमा के बहुत करीब, जैसे जम्मू-कश्मीर या पंजाब के बॉर्डर इलाके. युद्ध के मैदान के लिए बनी, छोटा परमाणु हथियार.
- ग़ज़नवी (हत्फ-3): रेंज - 290 किमी
- भारत में पहुंच: अमृतसर, जालंधर या लाहौर के पास के इलाके तक. पंजाब के कुछ हिस्से.
- अब्दाली (हत्फ-2): रेंज - 450 किमी
- भारत में पहुंच: चंडीगढ़, दिल्ली के बाहरी इलाके या राजस्थान के बॉर्डर तक.
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2. मध्यम रेंज वाली मिसाइलें (उत्तर भारत के बड़े शहरों तक)
- शाहीन-I (हत्फ-4): रेंज - 650-900 किमी
- भारत में पहुंच: दिल्ली, लखनऊ, जयपुर या कानपुर तक आसानी से. उत्तर भारत का बड़ा हिस्सा कवर.
- गौरी (हत्फ-5): रेंज - 1,300 किमी
- भारत में पहुंच: दिल्ली से आगे, जैसे भोपाल, लखनऊ या कोलकाता के पास तक. मध्य भारत तक.
- बाबर (हत्फ-7): रेंज - 700 किमी (क्रूज मिसाइल)
- भारत में पहुँच: दिल्ली या हरियाणा तक। ये कम ऊंचाई पर उड़ती है. रडार से बच सकती है.
3. लंबी रेंज वाली मिसाइलें (पूरा भारत कवर)
- शाहीन-II (हत्फ-6): रेंज - 2,000 किमी
- भारत में पहुंच: मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद या चेन्नई तक. लगभग पूरा भारत.
- शाहीन-III: रेंज - 2,750 किमी
- भारत में पहुंच: अंडमान द्वीप या दक्षिण भारत के सबसे दूर के कोने तक. विकास हो रहा है.
- अबाबील: रेंज - 2,200 किमी
- भारत में पहुंच: पूरा भारत, कई हथियार एक साथ ले जा सकती है
4. हवाई जहाज से हमला (एयर डिलीवरी)
- मिराज III/V या JF-17 थंडर: रेंज - 1,000-2,000 किमी (उड़ान दूरी)
- भारत में पहुंच: बॉर्डर पार करके दिल्ली, मुंबई या कोलकाता तक बम गिरा सकते हैं. ये जेट से परमाणु बम या मिसाइल दागते हैं.
परमाणु हमले को रोकने के लिए भारत के पास क्या-क्या डिफेंस सिस्टम है?
भारत ने एक मजबूत बहु-स्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (बीएमडी) सिस्टम और एकीकृत हवाई रक्षा नेटवर्क विकसित किया है, जो पाकिस्तान से आने वाली परमाणु-सक्षम मिसाइलों को रोकने और निष्क्रिय करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

ये सिस्टम मुख्य रूप से छोटी दूरी की (एसआरबीएम जैसे नसर, 70 किमी), मध्यम दूरी की (एमआरबीएम जैसे गौरी, 1,300 किमी) और मध्यम-लंबी दूरी की (आईआरबीएम जैसे शाहीन-III, 2,750 किमी) बैलिस्टिक मिसाइलों का मुकाबला करने के लिए बने हैं. पाकिस्तान के पास लगभग 170 वारहेड्स हैं, जो इन डिलीवरी सिस्टम पर बहुत निर्भर हैं, इसलिए इंटरसेप्शन बहुत महत्वपूर्ण है.
बीएमडी कार्यक्रम 1999 में पाकिस्तान के परमाणु परीक्षणों के बाद शुरू हुआ था, जो स्वदेशी (डीआरडीओ द्वारा नेतृत्व) है. रूस के एस-400 जैसे आयातित सिस्टमों का भी सपोर्ट है. नवंबर 2025 तक, फेज I प्रमुख शहरों (दिल्ली, मुंबई) के लिए चालू है, जबकि फेज II उन्नत खतरों से निपटने के लिए तेजी से आगे बढ़ रहा है.
फेज I: 2,000 किलोमीटर तक की रेंज
यह पहला चरण छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलों (एसआरबीएम और एमआरबीएम) से 2-3 बड़े शहरों की रक्षा करता है. इसमें 99.8 प्रतिशत सफलता की संभावना है. यह पाकिस्तान की शाहीन-I, शाहीन-II और गौरी जैसी मिसाइलों का मुकाबला कर सकता है.

मुख्य इंटरसेप्टर्स हैं...
- पीएडी (पृथ्वी एयर डिफेंस), जो एक्सो-एटमॉस्फेरिक है और 6174 km/hr की स्पीड से 80 किलोमीटर ऊंचाई पर काम करता है.
- एएडी (एडवांस्ड एयर डिफेंस), जो एंडो-एटमॉस्फेरिक है और 5556 km/hr की स्पीड से 40 किलोमीटर ऊंचाई पर.
- पीडीवी (पृथ्वी डिफेंस व्हीकल), जो पीएडी का अपग्रेडेड वर्जन है. 100 किलोमीटर ऊंचाई तक पहुंचता है. यह चरण 2019 में पूरा हो चुका है. दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में तैनात है. 2023 में समुद्री परीक्षण भी सफल रहे.
फेज II: 5,000 किलोमीटर तक की रेंज
यह दूसरा चरण लंबी दूरी की मिसाइलों (आईआरबीएम और आईसीबीएम) को निशाना बनाता है. यह हाइपरसोनिक मिसाइलों का भी मुकाबला करता है. कई मिसाइलों के एक साथ हमले (सैचुरेशन अटैक) से बचाव के लिए व्यापक कवरेज देता है.
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मुख्य इंटरसेप्टर्स हैं...
- एडी-1, जो कम एक्सो और एंडो-एटमॉस्फेरिक है, हाइपरसोनिक स्पीड वाला और 1,500 से 3,000 किलोमीटर की मिसाइलों के लिए.
- एडी-2, जो 5000 किलोमीटर से ज्यादा दूरी की मिसाइलों के लिए है. अभी परीक्षण में है. यह चरण 2025 में पाकिस्तान की मध्यम दूरी वाली मिसाइलों के अपग्रेड के कारण तेजी से आगे बढ़ाया गया. जुलाई 2024 में एडी-1 का पुनः-परीक्षण सफल रहा, एडी-2 के परीक्षण जारी हैं और 2027 तक पूरी तैनाती हो जाएगी.
2. सरफेस-टू-एयर मिसाइल (एसएएम) सिस्टम
ये क्रूज मिसाइलों, विमानों और छोटी दूरी की बैलिस्टिक खतरों के खिलाफ बहु-स्तरीय रक्षा प्रदान करते हैं...

- एस-400 ट्रायम्फ (सुदर्शन चक्र): रूस का उन्नत सिस्टम; 400 किमी तक की बैलिस्टिक मिसाइलों और 30 किमी ऊंचाई को इंटरसेप्ट करता है. 36 लक्ष्यों को एक साथ ट्रैक करता है. 3 रेजिमेंट्स चालू (पाकिस्तान सीमा की रक्षा); 2026 तक 2 और शुरू हो जाएंगे. क्रूज/बैलिस्टिक खतरों के खिलाफ सटीक मारक क्षमता.
- बराक-8 (एमआर-एसएएम/एलआर-एसएएम): भारत-इजरायल; 70-100 किमी रेंज; क्रूज/बैलिस्टिक मिसाइलों, यूएवी का मुकाबला. सेना/नौसेना/वायुसेना में शामिल; अप्रैल 2025 में अंतिम परीक्षण.
- आकाश एसएएम सीरीज़: स्वदेशी; छोटी दूरी (30-45 किमी, 20 किमी तक ऊंचाई); कई लक्ष्यों को इंटरसेप्ट. आकाश प्राइम (45 किमी) और आकाश-एनजी (70 किमी) का 2024 में परीक्षण; सीमाओं पर 100+ यूनिट्स तैनात.
- स्पाइडर: इजरायली छोटी दूरी (15-35 किमी); कम उड़ान वाले खतरों जैसे क्रूज मिसाइलों के खिलाफ तुरंत रिएक्शन.
3. प्रारंभिक चेतावनी और रडार सिस्टम
पहचान महत्वपूर्ण है—ये सिस्टम 10-15 मिनट की प्रतिक्रिया समय प्रदान करते हैं...
- स्वॉर्डफिश लॉन्ग रेंज ट्रैकिंग रडार (एलआरटीआर): 600-1500 किमी पहचान; 200 लक्ष्यों को ट्रैक (जैसे क्रिकेट गेंद के आकार के वारहेड्स). बीएमडी के साथ एकीकृत.
- सुपर स्वॉर्डफिश: अपग्रेडेड वर्जन; 2017 से 2 यूनिट्स चालू.
- एडब्ल्यूएसीएस (एयरबोर्न वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम): फाल्कन (इजरायली, 400 किमी कवरेज) और नेत्र (स्वदेशी, 200 km); पाकिस्तान सीमा पर वास्तविक समय ट्रैकिंग के लिए 3 फाल्कन + 3 नेत्र.
- आकाशतीर सिस्टम: सेना का एकीकृत हवाई रक्षा नेटवर्क; सितंबर 2024 तक 100+ यूनिट्स है. रडार/एडब्ल्यूएसीएस को जोड़ता है ऑटोमैटिक रिएक्शन के लिए. 2025 में आईएएफ के आईएसीसीएस के साथ जोड़ा गया था. ऑपरेशन सिंदूर में प्रभावी इस्तेमाल हुआ है.
भारत के खिलाफ इतना आसान नहीं परमाणु हमला
- पाकिस्तान के खिलाफ: बीएमडी फेज I पाकिस्तान के अधिकांश हथियार भंडार को निष्क्रिय करता है (जैसे शाहीन/गौरी मिसाइलों का 80-90%). ऑपरेशन सिंदूर (मई 2025) के बाद अभ्यासों में एस-400/आकाश ने खतरों को संभाला. फेज II सैचुरेशन अटैक (कई मिसाइलें) का मुकाबला करता है.
- चुनौतियां: हाइपरसोनिक मिसाइलें, डिकॉय और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध. भारत अपग्रेड में ₹50,000 करोड़+ निवेश कर रहा है.
- कुल मिलाकर: ये बहु-स्तरीय ढाल बनाते हैं, जिसमें परीक्षणों में 80-90% इंटरसेप्शन सफलता है, जो परमाणु ब्लैकमेल को रोकता है.
पाकिस्तान की परमाणु नीति: अस्पष्ट और खतरनाक
पाकिस्तान की नीति अलग है. वह 'फुल स्पेक्ट्रम डिटरेंस' पर जोर देता है. इसमें रणनीतिक, ऑपरेशनल और टैक्टिकल हथियार शामिल हैं. पाकिस्तान 'नो फर्स्ट यूज' नहीं मानता. उसकी नीति अस्पष्ट रखी जाती है, ताकि दुश्मन डर जाए.
खासकर छोटी दूरी के टैक्टिकल परमाणु हथियारों पर फोकस है, जो युद्ध के मैदान में इस्तेमाल हो सकें. अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट कहती है कि पाकिस्तान अपना परमाणु भंडार बढ़ा रहा है. 2025 में उसके पास करीब 170 परमाणु हथियार हैं.
आने वाले सालों में यह 200 तक पहुंच सकता है. उसके पास हाईली एनरिच्ड यूरेनियम (HEU) 5,300 किलो और प्लूटोनियम 580 किलो है, जो सैकड़ों हथियार बनाने लायक है. लेकिन असल संख्या कम है, क्योंकि कुछ ईंधन डिलीवरी सिस्टम के लिए बचाया जाता है.
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