बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने सोमवार को कहा कि उनके नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार अगले साल फरवरी में होने वाले आम चुनावों के बाद निर्वाचित सरकार को देश की बागडोर सौंप देगी. यूनुस ने कहा, 'अब हम अपनी राजनीतिक इतिहास में एक और बदलाव के लिए तैयार हैं. देश अब काफी स्थिर हो चुका है और चुनाव के लिए तैयार है. इसलिए, हम फरवरी 2026 में चुनाव की घोषणा करते हैं. आम चुनावों के बाद बांग्लादेश में सत्ता की बागडोर अंतरिम सरकार की जगह एक निर्वाचित सरकार संभालेगी.'
यूनुस ने ये टिप्पणी कॉक्स बाजार में आयोजित तीन दिवसीय इंटरनेशनल समिट 'स्टेकहोल्डर्स डायलॉग: टेकअवेज टू द हाई-लेवल कॉन्फ्रेंस ऑन रोहिंग्या सिचुएशन' को संबोधित करते हुए की. उन्होंने कहा, 'हम अब अपने राजनीतिक इतिहास के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं. एक साल पहले, हमने एक भयानक नरसंहार का सामना किया. फिर, छात्रों के नेतृत्व में जन-आंदोलन के माध्यम से देश को फासीवादी शासन से मुक्त करना संभव हुआ.' उनकी यह टिप्पणी पूर्व प्रधानमंत्री और आवामी लीग प्रमुख शेख हसीना के शासन के संदर्भ में थी.
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बांग्लादेश में पिछले साल कोटा सिस्टम को लेकर शुरू हुआ छात्र आंदोलन, जन विद्रोह में बदल गया और शेख हसीना को 5 अगस्त, 2024 को सत्ता से बेदखल होना पड़ा. बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल में हसीना पर मानवता के खिलाफ अपराध समेत कई आरोपों के तहत मुकदमा चल रहा है. पिछले हफ्ते, बांग्लादेश सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान ने कहा था कि अगले साल फरवरी में होने वाले आम चुनाव 'स्वतंत्र, निष्पक्ष और तटस्थ' हों, इसके लिए सेना अंतरिम सरकार की मदद को तैयार है.
अगले साल फरवरी में होंगे चुनाव
इस महीने की शुरुआत में भी मोहम्मद यूनुस ने कहा था कि चुनाव फरवरी में होंगे, और इसके बाद चुनाव आयोग ने घोषणा की कि मतदान फरवरी के पहले सप्ताह में होगा. पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार द्वारा अवामी लीग की गतिविधियों को कार्यकारी आदेश के तहत भंग करने के बाद सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है.
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छात्रों के संगठन 'स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन' (SAD) के एक समूह, जिसने तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था, ने इस साल फरवरी में नेशनल सिटिजन पार्टी (NCP) का गठन किया, जिसे यूनुस के समर्थन से बनाया गया माना जाता है. एनसीपी के कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी और अन्य इस्लामी समूहों के साथ संबंध होने की बात कही जा रही है, जो बीएनपी के खिलाफ हैं. यूनुस और उनके कई सलाहकारों द्वारा स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के आश्वासन के बावजूद, एनसीपी के बयानों और इशारों के कारण राजनीतिक दलों में अनिश्चितता बढ़ रही है.
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