बिहार से UP को साधने का प्लान... कैसे योगी-केशव बनाम अखिलेश चल रहा शह-मात का खेल

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बिहार विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के नेताओं की पूरी फौज उतर गई है. यूपी के उपमुख्यमंत्री (डिप्टी सीएम) केशव प्रसाद मौर्य बिहार में कैंप कर रखे हैं तो मुख्यमंत्री (सीएम) योगी आदित्यनाथ से लेकर तमाम बीजेपी नेता एनडीए के प्रचार अभियान को धार देने में जुटे हैं. वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी अपने सिपहसालारों के साथ बिहार में महागठबंधन के लिए चुनावी प्रचार कर रहे हैं. ऐसे में सवाल यह है कि क्या बिहार से यूपी के लिए सियासी बिसात बिछाई जा रही है?

बिहार की तीन दर्जन से ज्यादा विधानसभा सीटें हैं, जो उत्तर प्रदेश के बॉर्डर से सटी हुई हैं. यूपी के महाराजगंज, कुशीनगर, देवरिया, बलिया, गाजीपुर, चंदौली और सोनभद्र जिले की सीमा बिहार के आठ जिलों से लगती है. बिहार के सारण, सीवान, गोपालगंज, भोजपुर, पश्चिमी चंपारण, रोहतास, बक्सर और कैमूर और रोहतास जिले की सीटें यूपी से सटी हुई हैं.

यूपी के पूर्वांचल की और बिहार के पश्चिमी इलाकों की बोली भोजपुरी, रहन-सहन और ताना-बाना भी लगभग एक जैसा है. इस इलाके का जातीय समीकरण भी काफी मिलता-जुलता है. ऐसे में बिहार के चुनावी नतीजे यूपी की सियासत में भी असर डालेंगे, जिसके चलते सीएम योगी और अखिलेश यादव अपने लश्कर के साथ बिहार के रण में उतर चुके हैं.

यूपी से लगी सीटों पर पहले चरण में चुनाव

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बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में जिन 121 सीटों पर चुनाव है, उसमें यूपी से लगी सभी सीटें शामिल हैं. यही वजह है कि यूपी के तमाम नेताओं की पूरी फौज बिहार में उतर गई है. योगी आदित्यनाथ सहित यूपी बीजेपी के चार दर्जन बड़े नेता बिहार में मशक्कत कर रहे हैं. बिहार में जमीनी स्तर पर चुनावी मैनेजमेंट को मजबूत करने में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य अपनी भूमिका निभा रहे हैं तो सीएम योगी लगातार प्रचार कर रहे हैं.

पिछले एक हफ्ते से हर रोज दो से तीन जनसभा को योगी आदित्यनाथ संबोधित कर रहे हैं तो स्वतंत्र देव सिंह से लेकर दिनेश प्रताप सिंह से लेकर महेंद्र प्रताप सिंह जैसे बीजेपी नेता चुनावी मोर्चा संभाले हुए हैं. योगी आदित्यनाथ बीजेपी के आक्रामक हिंदुत्व के चेहरे माने जाते हैं. इस कारण उनकी रैलियां ज्यादा से ज्यादा कराई जा रही हैं और बिहार के सीमावर्ती जिलों में जहां पर राजपूतों की अच्छी खासी संख्या है.

वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, गाजीपुर से सपा सांसद अफजाल अंसारी सहित पार्टी के करीब एक दर्जन नेता बिहार में महागठबंधन का प्रचार कर रहे हैं। सपा बिहार में एक भी सीट नहीं लड़ रही है, लेकिन महागठबंधन को जिताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. अखिलेश यादव रविवार को बिहार के चुनावी मैदान में उतरे, उन्होंने छपरा में खेसारी लाल यादव के लिए पहली जनसभा की और कहा कि बीजेपी को अवध में भी हराया है और मगध में भी हराएंगे.

बिहार के दरभंगा में चुनावी प्रचार में पहुंचे अखिलेश यादव ने महागठबंधन उम्मीदवारों के समर्थन में रैली की. अखिलेश ने कहा कि भाजपा इस्तेमाल करने वाली पार्टी है. वह सीएम नीतीश कुमार को इस्तेमाल कर रहे हैं, फिर भाजपा के लोग ही उन्हें बर्बाद करेंगे. सपा के नेता बिहार की सीटों पर लगातार प्रचार कर रहे हैं, अफजाल अंसारी मल्लाह समुदाय और मुस्लिम इलाकों में प्रचार की कमान संभाले हुए हैं तो सपा विधायक ओम प्रकाश सिंह राजपूत बहुल सीटों पर महागठबंधन का प्रचार कर रहे हैं.

बिहार से यूपी को दिया जा रहा संदेश

बिहार की जमीन से उत्तर प्रदेश की सियासी बिसात बिछाई जा रही है. अखिलेश यादव जब यह कहते हैं कि अवध में हराया है और मगध में हराएंगे, इतना ही नहीं अखिलेश यादव अपने पीडीए फॉर्मूले को भी धार देते नजर आते हैं, उनकी हर रैली में पीडीए के पोस्टर नजर आएंगे. इस तरह उनका लक्ष्य दलित, ओबीसी और अल्पसंख्यक वोटों को एकजुट करने का है.

अखिलेश के प्रचार में उतरते ही केशव प्रसाद से सीएम योगी तक हमलावर हो गए हैं. एक दूसरे पर निशाना साध रहे हैं. योगी ने सीवान में शहाबुद्दीन के लड़के ओसामा पर निशाना साधते हुए कहा था कि जैसा नाम, वैसा काम है. इस पर अखिलेश ने कहा कि ओसामा का मतलब शेर होता है, क्या नाम बदलने के माहिर अब 'शेर सिंह' कर देंगे.

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ कविता के रूप में तंज कसा है. उन्होंने कहा कि 'यूपी की पार्टी, बिहार में प्रचार। न उम्मीदवार, न जमीन. फिर भी अहंकार का यकीन. जंगलराज वालों से 'रिश्तेदारी'! ऐसी है इनकी यारी. सीट जीरो, बनने चले हीरो! बिना चुनाव के स्टार प्रचारक!'

आगे केशव मौर्य ने अखिलेश पर तंज कसते हुए कहा, "बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना. उन्होंने कहा कि यूपी की साइकिल, बिहार में मोटर साइकिल बनने चली है। साइकिल पंचर हो चुकी है। अब वे बुझी लालटेन टांगकर बैरंग वापस होंगे. 

सीएम योगी आदित्यनाथ बिहार के दरभंगा में प्रचार करते हुए अखिलेश यादव को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि आपने गांधी जी के तीन बंदरों के बारे में सुना होगा, आज इंडिया गठबंधन (इंडी गठबंधन) के तीन और बंदर आ गए, पप्पू, टप्पू और अप्पू के नाम पर. महागठबंधन का जिक्र करते हुए सीएम योगी ने कहा कि पप्पू सच बोल नहीं सकता, टप्पू सच देख नहीं सकता और अप्पू सच सुन नहीं सकता है. इस तरह योगी ने बिना नाम लिए इशारों-इशारों में राहुल गांधी, अखिलेश यादव और तेजस्वी पर तंज कसा.

बिहार से क्या सेट होगा यूपी का एजेंडा?

बिहार विधानसभा चुनाव में जिस तरह से सीएम योगी और अखिलेश यादव के बीच जुबानी जंग जारी है, उससे साफ है कि यूपी के सियासी समीकरण साधने का दांव चला है. इसलिए बिहार की जनता से ज्यादा यूपी में बिहार चुनाव के नतीजों का इंतजार है। बिहार में बगहा से सासाराम तक काफी सीटें हैं जो सीमावर्ती उत्तर प्रदेश के जिलों से लगती हैं.

गंडक और गंगा किनारे के इस इलाके में लोगों के बीच रोटी-बेटी का रिश्ता है। शिक्षा, चिकित्सा और रोजगार के दृष्टिकोण से निरंतर आना-जाना है.  बिहार के इसी इलाके में बसपा का अपना सियासी आधार रहा है, जिसके लिए मायावती भी बिहार के रण में उतर रही हैं. 

सियासी जानकारों का कहना है कि बिहार चुनाव परिणाम पूर्वांचल पर सीधी छाप छोड़ेगा. इतना ही नहीं बिहार के चुनाव परिणाम से उत्तर प्रदेश और भविष्य में होने वाले अन्य राज्यों के चुनाव परिणाम पर भी असर पड़ना तय हैय.  एनडीए की जीत हुई, तो यूपी ही नहीं अन्य राज्यों में भविष्य में होने वाले चुनाव के लिए माहौल बनेगा. यदि एनडीए की पराजय होती है तो विपक्षी दलों में नई ऊर्जा पैदा होगी और उनका आत्मबल बढ़ेगा, इसीलिए यूपी के दोनों खेमे बिहार में लगातार मशक्कत कर रहे हैं. 

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