भागलपुर विधानसभा से बीजेपी का टिकट नहीं मिलने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित शाश्वत चौबे ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया था. हालांकि, उन्होंने अपने फैसले पर पुनर्विचार किया और चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. शनिवार को वे अपने समर्थकों के साथ नामांकन दाखिल करने एसडीओ कार्यालय जा रहे थे, लेकिन नामांकन टेबल तक पहुंचने से पहले ही उन्होंने अपना फैसला वापस ले लिया.
अर्जित शाश्वत चौबे ने मीडिया से कहा कि उन्हें उनके पिता अश्विनी चौबे का फोन आया, जिसमें कहा गया कि "तुम बीजेपी में हो और बीजेपी में ही रहोगे." पिता के आदेश का सम्मान करते हुए उन्होंने निर्दलीय नामांकन नहीं करने और भाजपा के अनुशासन में बने रहने का निर्णय लिया. उन्होंने कहा कि यह फैसला उन्होंने पार्टी और परिवार के मान-सम्मान को ध्यान में रखकर लिया है.
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पहले अर्जित ने कहा था कि भाजपा से टिकट नहीं मिलने के कारण वे निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़ेंगे ताकि जनता की सेवा कर सकें. उन्होंने अपने समर्थकों के साथ जुलूस निकाला और नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी लेकिन पिता और पार्टी नेतृत्व के लगातार दबाव के बीच उन्होंने ऐन वक्त पर घर वापसी कर ली. अर्जित ने कहा, "मैंने विरासत का मान रखा और पिता अश्विनी चौबे के आदेश का पालन किया. नामांकन से पहले ही घर वापसी कर ली."
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रोहित पांडे को टिकट देने से नाराज थे अर्जित चौबे
जानकारी के मुताबिक, भाजपा ने भागलपुर से रोहित पांडे को उम्मीदवार बनाया है, जिससे अर्जित नाराज थे. भाजपा कार्यकर्ताओं में यह बात चर्चा का विषय बन गई कि पिता अश्विनी चौबे अपने बेटे का समर्थन करेंगे या पार्टी लाइन का. आखिर में अर्जित ने पिता और पार्टी, दोनों के प्रति वफादारी दिखाते हुए फैसला बदल लिया.
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पार्टी उम्मीदवार के लिए प्रचार करेंगे अर्जित
अर्जित ने कहा कि वे अब एनडीए उम्मीदवारों के समर्थन में प्रचार करेंगे और संगठन के हित में पूरी ईमानदारी से काम करेंगे. उन्होंने जोर देकर कहा कि भाजपा नेतृत्व के फैसले का सम्मान सर्वोपरि है. उनके इस कदम के बाद भागलपुर की राजनीति में एक बार फिर हलचल बढ़ गई है और इसे भाजपा के लिए राहत की खबर माना जा रहा है.
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